हर कोई राजनेता, मंत्री अक्सर कहते कि हमने लोगो के लिए फलाना योजना लागू की ,ढिमका योजना लाये है, पर असल में उन योजनाओं का लाभ किसको कितने पैमाने पर होती ?
देश की आधी से ज्यादा आबादी सरकार की कई योजनाओं से वंचित रहती जिसका कारण लोगो में जागरूकता की कमी, सरकारों की लीपापोती , शिक्षित वर्ग की उदासिनता , और सबसे बड़ी समस्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के प्रक्रिया की पेचीदगियां ।
और योजनाओ पर काम करने से ज्यादा सरकारे आरोप प्रत्यारोप में ज्यादा व्यस्त रहती है,
मैं तो कहता, पिछली सरकारों ने जो किया सो किया अब आप उनकी खामियों का बखान करने की बजाय अपनी योजनाओ को जन जन तक पहुंचने के हर प्रयास करो ,
यानि खुद की मार्केटिंग करो ।
अब
समाज और राजनीति ।
समाज को राजनीति में आगे बढ़ना चाहिए,
मगर समाज में राजनीति नहीं होनी चाहिए ।
PP चौधरी जी अखिल भारतीय सीरवी महासभा के अध्यक्ष है
साथ ही पाली लोकसभा क्षेत्र के MP और अपनी काबिलियत से पहले ही प्रयास में केंद्र में मंत्री बने ,जो वाकई में समाज के लिए गौरव की बात है ।
मगर महासभा कहाँ गयी ?
साहब आपने नीव रखी ,उस पर दीवार बनाई, और उसके सहारे आशियाना बना ,
तो साहब दीवार के खंभे ढह गए है , आशियाना खोखला हुआ जा रहा है ।
राजनीति समाज सेवा के लिए बेहतर विकल्प है जब आप जमीन से जुड़कर रहे ।
आज हम महासभा के द्वारा सामाजिक कार्यो की बात करते तो कई सीरवी बुद्दिजीवी कहते महासभा ने समाज को एकमात्र सांसद दिया जो समाज की पहचान व समाज के गौरव है,
भाई साहब अब लाइन में बदलाव कर सकते ।
महासभा ने एक केंद्रीय मंत्री दिया ।
और अब उस महासभा का कोई मतलब,महत्व नही जिसकी बदौलत केंद्र मंत्री तक पहुंचे ।
असल में महासभा समाज के लिए बनाई या राजनीति के लिए ?
3 साल से ज्यादा समय गुजर गया, कोई खास उपलब्धि बताओ महासभा की जो सीरवी समाज के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई ।
अब ये ढर्रा चालु मत कर देना कि महासभा ने सांसद दिया,मंत्री दिया ।
चलिये बढ़ते राजनीति से समाज को क्या फायदा हुआ अब तक के कार्यकाल में ,
महासभा (एक सामाजिक संगठन) से राजनीति में केंद्र तक पहुंचे महासभा अध्यक्ष महोदय ने अब तक समाजहित के लिए राजनितिक तौर पर क्या सहयोग मिला ?
सरकारी योजनाये ?
वो भी आप पाली या आसपास देख सकते बाकी पूरा सर्वे कर लीजिए कोई खास फायदा आम जन को नहीं मिल रहा, सड़के चमचमा रही वो प्रोजेक्ट तो मैंने वर्तमान सरकार से पहले ही चलते देखे थे जो अभी तक चल रहे, चलते रहेंगे ।
समाज को होस्टलों की शीघ्र जरुरत है जिसके लिए राजनितिक स्तर पर क्या सहयोग मिला ?
महानुभावों ऐसे कई विषय है जो हमेशा अधूरे ही रहेंगे, चाहे महासभा बन जाए, या समाज के "साहब" लोग मंत्री बन जाए ।
क्योकि ज्यादा फ़िक्र समाज की हम आप भी नहीं करते ।
कृपया बीते समय की इनकी उनकी खामियों को गिनाकर समय व्यर्थ न करे ,
हम वर्तमान की बात कर रहे, वर्तमान में जो कार्य जिनसे संभव है उनके बारे में चर्चा करे ।
पुरानी बातों का कोई मतलब नहीं, कल को आज वालो का कार्यकाल भी बीत जाएगा, तब आज वालो की कमियां गिनाना बेकार की बात होगी ।
हो सकता मेरे विचारों से कई समाजी बंधू मुझे किसी एक पक्ष का समर्थक मानेंगे जिससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना है, क्योकि मैं सिर्फ और सिर्फ सामाजिकता का पक्षधार हूँ ।
दिक्कत तब शुरू होती जब इंसान को इंसान बने रहने नहीं देते, नेता को नेता ही रहने नहीं देते ,