Monday, 31 October 2011

:: मुस्कान::

मुस्कान की कोई कीमत नहीं होती, मगर यह बहुत कुछ रचती है,
यह पाने वाले को खुशहाल करती है ,देने वाले का कुछ घटता नहीं ,
यह क्षणिक होती है लेकिन यह यादो में सदा के लिए रह सकती है ,
कोई इतना आमिर नहीं कि बगेर इसके बगैर काम चला ले ,
और कोई इतना गरीब नहीं कि इसके फायदे को न पा सके ,
यह घर में खुशहाली लाती है,व्यवहार में ख्याति बढाती है ,
और यह दोस्तों कि पहचान है |
यह थके हुए के लिए आराम है ,निराश लोगो के लिए रोशनी,
उदास के लिए सुनहरी धुप ,और हर मुस्किल के लिए
कुदरत की सबसे अच्छी दवा |
न तो यह भीख में ,न खरीदने से ,
न उधर मांगने से और न चुराने से मिलती है ,
क्योंकि यह एक ऐसी चीज़ है जो तब तक किसी के काम की नहीं ,
जब तक आप इसे किसी को न दे ,
दिन भर की भाग दौड़ में कुछ परिचित हो सकते है ,
कि इतने थके कि मुस्कुरा न सके |
तो उन्हें अपनी ही मुस्कान दीजिए |
किसी को मुस्कान कि उतनी जरुरत नहीं होती जितनी कि उसे ,
जो खुद किसी को अपनी मुस्कान न दे सके |

:-राजू सीरवी (राठौड़)

::भोजन मुफ्त में नहीं मिलता::

एक राजा ने अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते इतिहास की समझदारी भरी बाते लिखने के लिए कहा ,ताकि वह उन्हें आने वाली पीढियों तक पहुंचा सके | सलाहकारों ने काफी मेहनत कर समझदारी भरी बातो पर कई किताबे लिखी ,और उन्हें राजा के सामने पेश किया | राजा को वो किताबे काफी भरी भरकम लगी | उन्होंने सलाहकारों से कहा कि लोग इन्हें पढ़ नहीं पाएंगे , इसलिए इन्हें छोटा करो | सलाहकारों ने फिर  काम किया और केवल एक किताब लेकर ए | राजा को वह भी काफी मुस्किल लगी | राजा ने सलाहकारों को इसे और छोटा करने का आग्रह किया | इस बार सलाहकार सिर्फ एक अध्याय लेकर आए  | राजा को वह भी काफी लम्बा लगा ,अतः राजा ने उसे और छोटा करने का आग्रह किया | तब सलाहकारों ने उसे और छोटा कर सिर्फ एक पन्ना पेश किया | लेकिन राजा को एक पन्ना भी लंबा लगा | आखिरकार सलाहकार राजा के पास सिर्फ एक वाक्य लेकर आये और राजा उससे संतुष्ट हो गया | राजा ने कहा कि अगर उसे आने वाली पीढ़ियों तक समझदारी का केवल एक वाक्य पहुँचाना हो तो वह वाक्य होगा ""भोजन मुफ्त में नहीं मिलता ""
""भोजन मुफ्त में नहीं मिलता"" का मतलब दरसल यह है कि हम कुछ दी बिना कुछ पा भी नहीं सकते | दूसरो लफ्जों में कहे तो जो हम लगते है ,बदले में वही पाते है | अगर हमने किसी योजना में ज्यादा लागत नहीं लगाई तो हमको ज्यादा फायदा भी नहीं मिलेगा |
बेशक हर समाज में ऐसे मुफ्तखोर भी होते है जो कुछ किए बिना ही पाने कि उम्मीद लगाए रहते है  |
 :-राजू सीरवी (राठौड़)

Sunday, 30 October 2011

::वचनबद्धता::

हमारे जीवन मूल्यों का एक बेहद जरुरी हिस्सा है ,वचनबद्धता | जब हमारे जीवन मूल्य साफ होते है ,तो फैसला लेना और वचन निभाना आसन हो जाता है |
उदहारण के तौर पर आप देश दुश्मनों को अपने देश के राज़ बताकर या बेचकर अपने देश के प्रति वचनबद्धता नहीं निभा सकते | अपने दोस्त के राज़ दूसरो को बताकर दोस्ती बरकरार नहीं रख सकते |  नियमानुसार काम नहीं करके ,आप अपनी नौकरी या काम के प्रति वचनबद्धता नहीं दिखा सकते |
वचनबद्धता पूरा न करने का नतीजा बेईमान व्यवहार होता है |

कोई रिश्ता चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक ,अगर निम्नलिखित बातो के बावजूद कायम रहे तो निसंदेह एक हैरानी की बात होगी -
मैं कोशिश करूँगा, मगर मैं वचनबद्धता नहीं दे सकता |
मैं इसे कर लूँगा मगर मेरे भरोसे मत रहना |
अगर हो सके तो मैं आऊंगा मगर कम ही आशा रखना |
जब तक तुम्हारी सेहत अच्छी है मैं तुम्हारे साथ रहूँगा |
जब तक तुम कामयाब हो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा |
जब तक मुझे कुछ और अच्छा नहीं मिल जाता ,मैं तुम्हारे साथ रहूँगा

अगर निम्नलिखित रिश्ते एक दुसरे पर भरोसा नहीं कर सकते ,तो पता नहीं दुनिया का काम कैसे चलेगा -
माँ - बाप / बच्चे
पति /पत्नी
गुरु / शिष्य
विक्रेता /ग्राहक
मालिक / कर्मचारी
दोस्त /दोस्त
इन रिश्तो के बुनियादी उसूलो पर भरोसा न कर पाने का अहसास किसी इन्सान को पागल बना सकता है | हमारे सबसे मजबूत रिश्ते वचन के अदृश्य  धागे से बंधे होते है | इन दिनों वादा तोडना कोई बड़ी बात नहीं मानी जाती है ,लेकिन वचनबद्धता के बिना सभी रिश्ते खटाई में पड़ जाते है | वचनबद्धता की कमी  रिश्तो में दरार डाल देती है ,और असुरक्षा बढाती है | वचनबद्धता न होने पर लोग समझ नहीं पाते कि उनके आपसी रिश्तो में कितनी गहराई है |
वचनबद्धता में जरुरी -
भरोसा
विश्वसनीयता
निश्चितता
निरंतरता
परवाह करना
दूसरो कि भावनाओ का अहसास
कर्तव्य का भाव
ईमानदारी
चरित्र
निष्ठा
वफ़ादारी
अगर इनमे से एक भी चीज़ कि कमी हो तो वचनबद्धता में कमजोरी आ सकती है |
जब कोई व्यक्ति किसी को वचन देता है तो वह वास्तव में कहता है "तुम मुझ पर हर हाल में भरोसा कर सकते हो "और "जब भी तुम्हे मेरी जरुरत होगी मैं तुम्हारे साथ होऊंगा "
बिना किसी शर्त के दिया गया वचन कहता है "अनिश्चित भविष्य में ही निश्चित हूँ "
भविष्य को अनिश्चित बनाती -
आपकी ज़िन्दगी और हालत में बदलाव
बाहरी हालत में बदलाव
वचन देने वाला इन्सान बहुत कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहता है | वचनबद्धता कहती है -
मैं त्याग करने को तैयार हूँ ,क्योंकि मुझे तुम्हारी परवाह है
मैं भरोसेमंद व्यक्ति हूँ तुम मुझ पर विश्वास कर सकते हो
मैं तुम्हे धोखा नहीं दूंगा
तकलीफों के बावजूद मैं तुम्हारे साथ रहूँगा
अछे या बुरे समय में मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा
वचनबद्धता उस क़ानूनी कांट्रेक्ट की तरह नहीं होता जिसे पूरा करना ही पड़ता | इसकी बुनियाद कागज के टुकड़े पर किया गया दस्तखत नहीं ,बल्कि चरित्र ,निष्ठां और दूसरो की मनोभावनाओ का अहसास है |
वचन देने का मतलब यह नहीं किऔर कोई रास्ता न बचने पर ही इसे निभाया जाए | इसका मतलब बहुत से रस्ते होने पर भी अपने वचन पर डंटे रहना |  
वचनबद्धता कायम रखने के फायदे -
निश्चितता
सुरक्षा
व्यक्तिगत विकास
व्यक्ति और समुदाय के बीच अटूट रिश्ता
टिकाऊ व्यक्तिगत और व्यावसायिक रिश्ते
वचनबद्धता रिश्तो को जोड़ने वाली गोद कि तरह होती है ,वचन निभाने का मतलब -अपने सुखो को त्यागकर दुःख को इच्छापूर्वक स्वीकार करना |
मिसाल के तौर पर -
दोस्ती में वचन निभाने का मतलब-विश्वसनीयता कायम रखना |
ग्राहकों के प्रति वचन निभाने का मतलब- अच्छी सेवा देना |
वैवाहिक जीवन के प्रति वचनबद्धता का मतलब - वफादार होना |
शिष्टता के प्रति वचनबद्धता का मतलब - अशिष्टता से दूर रहना |
देशभक्ति के प्रति वचनबद्धता का मतलब -त्याग करना |
नौकरों के प्रति वचनबद्धता का मतलब -निष्ठावान होना |
समुदाय के प्रति वचनबद्धता का मतलब - जिम्मेदारी होना |
वचनबद्धता परिपक्वता कि पहचान है | वचनबद्धता का मतलब है ,दूसरा रास्ता मिलने या कठिनाइयाँ सामने आने पर अपने फ़र्ज़ से मुँह न मोड़ना | सिर्फ मजबूत इरादों के लोग ही एक मजबूत समाज का निर्माण करते है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::अधुरा सच::

एक नाविक तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था | एक रात वह नशे में धुत हो गया | ऐसा पहली बार हुआ था | कप्तान  ने इस घटना को रजिस्टर में इस तरह दर्ज किया "नाविक आज रात नशे में धुत था "|
नाविक ने यह बात पढ़ ली | वह जानता था कि इस एक वाक्य से उसकी नौकरी पर असर पड़ेगा ,इसलिए वह कप्तान के पास गया ,और माफ़ी मांगी और कप्तान से कहा कि उसने जो कुछ भी लिखा है ,उसमे यह भी जोड़ दे कि ऐसा तीन साल में पहली बार हुआ है ,क्यों कि पूरी सच्चाई यही है | कप्तान ने मन कर दिया और कहा " मैंने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा वह सही है ,वही असली सच्चाई है "|
अगले दिन रजिस्टर भरने कि बारी नाविक की थी | उसने लिखा " आज की रात कप्तान ने शराब नहीं पी |'' कप्तान ने इसे पढ़ा और नाविक से कहा कि या तो वह इस वाक्य को बदल दे या पूरी बात लिखने के लिए आगे कुछ  और लिखे ,क्यों कि जो लिखा गया था उससे जाहिर होता था कि कप्तान हर रात शराब पीता था | नाविक ने कप्तान से कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा ,वह सच है |
दोनों बाते सही थी ,लेकिन दोनों से जो सन्देश मिलता है ,वह एक दम भटकाने वाला है ,और उसमे सच्चाई की झलक नहीं है |

बढ़ा चढ़ा कर कहना 
सच को बढ़ चढ़ा कर कहने से दो बाते होती है -
  • इससे हमारी बात का असर कम होता है ,और हमारी विश्वसनीयता घटती है |
  • यह एक आदत की तरह है | एक आदत सी बन जाती है | कुछ लोग बात को बढाए चढ़ाए बिना सच कह ही नहीं पाते | 
निष्कपट बने -
निष्कपट होना मन की एक भावना है | इसका सबूत देना मुश्किल है | मन में कोई कपट रखे बिना दूसरो की मदद करने की भावना हमें अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद देती है |
दिखावे से दूर रहना -
मुसीबत में पड़े किसी दोस्त से यह पूछना काफी अखरता है कि " मेरे लायक कोई काम हो तो बताओ " क्यों कि ऐसा मदद करने के मकसद से नहीं ,बल्कि दिखावे के लिए कहा जाता है "अगर हम सचमुच मदद करना चाहते है तो करने लायक कोई उचित काम सोचिए और कीजिए |
बहुत से लोग अपने स्वार्थ को छिपाने के लिए इंसानियत का नकाब लगा लेते है ,ताकि जब कभी उन्हें तकलीफ हो तो वे बदले में हक़ जताते हुए सहायता मांग सके |
झूठी और बेकार कि नाटक बजी से दूर रहे |
निष्कपटता सही फैसले का मापदंड नहीं है | कोई इमानदार होते हुए भी गलत हो सकता है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Saturday, 29 October 2011

::खतरों से सफलता::

सफलता पाने के लिए सोच समझ कर खतरे भी उठाने पड़ते है | खतरे उठाने का मतलब बेवकूफी भरा जुआ खेलना और गैरजिम्मेदारी बरतना नहीं होता | कई बार लोग गैरजिम्मेदारी पूर्ण और  ऊटपटाँग कामो को करना भी खतरा उठाना मान लेते है | इस वजह से जब बुरे नतीजे मिलते है तो वो अपनी किस्मत को दोष देते है |
हमें कौनसी चीज़ पीछे धकेल रही है ?
खतरे का मतलब अलग अलग इन्सान के लिए हो सकता है और यह ट्रेनिंग का नतीजा भी होता है | पहाड़ पर चढ़ना किसी प्रशिक्षित व्यक्ति और किसी नए सिखने वाले दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है ,लेकिन प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए इसे गैरजिम्मेदारी भरा खतरा नहीं मन जा सकता | जिम्मेदार ढंग से खतरे उठाने के लिए ज्ञान ,प्रशिक्षण ,ध्यानपूर्वक  अध्ययन .आत्मविश्वास और काबिलियत की जरुरत होती है | खतरा सामने होने पर ये चीज़े हमको उनका सामना करने की हिम्मत देती है | खतरा न उठाने वाला आदमी कोई गलती भी नहीं करता | लेकिन कोशिश नहीं करना ,कोशिश करके असफल होने से भी बड़ी गलती है |
कई लोगो में फैसला न पाने की आदत बन जाती है ,और यह छुआछुत बीमारी की तरह फैलती है | ऐसे लोग फैसले न ले पाने के कारण कई अवसरों से हाथ धो बैठते है  | खतरे उठाइए ;पर जुआ मत खेलिए |
खतरा उठाने वाले अपनी आंखे खुली करके आगे बढ़ते है ,जबकि जुआ खेलने वाले अँधेरे में तीर चलते है |
एक बार किसी ने एक किसान से पूछा "क्या तुमने इस मौसम में गेहू की फसल बोई है ?" किसान ने जवाब दिया "नहीं मुझे बारिश न होने का अंदेशा था " उस आदमी ने पूछा :क्या तुमने मक्के की फसल बोई ?'' किसान ने कहा ;नहीं मुझे दर था कि कीड़े मकोड़े खा लेंगे " तो उस आदमी ने पूछा ;आखिर तुमने बोया क्या है , किसान ने कहा ; कुछ नहीं , मैं कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था "

हँसने में बेवकूफ समझे जाने का डर है |
रोने में जज्बाती समझे जाने का डर है |
लोगो से मिलने में नाता जुड़ जाने का डर है |
अपनी भावनाएं प्रकट करने में ,मन कि सच्ची बात खुल जाने का डर है |
अपने विचार ,अपने सपने लोगो से कहने में ,उनके चुरा लिए जाने का डर है |
किसी को प्रेम करने पर बदले में प्रेम न पाने का डर है |
जीने में डरने का डर है | 
आशा में निराशा का डर है |
कोशिश करने में असफलता का डर है |
लेकिन खतरे जरुर उठाएं जाने चाहिएं क्यों कि ,
ज़िन्दगी में खतरा न उठाना ही सबसे बड़ा खतरा है |
जो सख्स खतरा नहीं उठता वह न तो कुछ करता है ,
न कुछ पाता है ,और न कुछ बनता है |
वे जिंदगी में दुःख दर्द से तो बच सकते है ,लेकिन
वे सिखने ,महसूस करने ,बदलाव लेन ,आगे बढ़ने या प्रेम करने ,
और जीवन जीने को सीख नहीं पाते है |
अपने नज़रिए कि जंजीरों में बंधकर गुलाम बन जाते है |
और अपनी आज़ादी खो देते है |
सिर्फ खतरा उठाने वाला इन्सान  ही सही मायनो में आज़ाद है |

:- राजू सीरवी (राठौड़)

::हिम्मत न हरो::


जब कोई काम बिगड़ जाए ,
जैसे की कभी कभी होता है ,
जब रास्ता सिर्फ चढ़ाई का ही दिखता हो,
जब पैसे कम और क़र्ज़ ज्यादा हो ,
जब मुस्कराहट की इच्छा आ बने ,
जब चिंताएं दबा रही हो ,
तो सुस्ता लो ,लेकिन हिम्मत न हारो ,
भूल भुलैया है ये जीवन ,
पगडंडियाँ जिसकी हमें पार करनी है ,
कई असफल तब लौट गए ,
पार हो गए जो आगे बढ़ते गए ,
धीमी रफ़्तार तो क्या ,
मंजिल को एक दिन पाओगे ,
सफलता छिपी असफलता में ही ,
जैसे शंका के बदल में आशा की चमक ,
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी ,
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो ,
डटे रहो चाहे कितनी भी मुस्किल हो ,
चाहे हालात जितने भी बुरे हो ,
लेकिन हिम्मत न हारो ,डटे रहो !
:राजू सीरवी (राठौड़)

::पर्यावरण::

यह नदिया ,यह सागर
होकर भाप ,बन जाते बादल 
उड़ते है मीलो आकाश में,
जहाँ होता है बरसना ,बरस पड़ते उल्लास में
लगी बरसात की झड़ी ,लहला गए खेत खलियान
हरियाली की चादर ओढ़े ,मुस्कुरा रहे है मैदान
वक़्त बदला ,इन्सान भी बदले
समय की है ऐसी धार
कर रहे कलुषित वातावरण को
अब नहीं आते वसंत बहार
खो गयी मौसम की खुशबु
सुने लग रहे नदिया पहाड़
मत काटो इन बेजुबां पेड़ो को
खुशहाल रहेगा ये जहाँ और किसान
वक़्त रहते अगर न चेते
मिट जायेगा नामुनिशान
आँखे बंद ,कान भी बंद है इन्सान की
और मर रहे चुपचाप
अगर हो स्वच्छ वातावरण का स्पंदन
हर वक़्त रहे आनंद ही आनंद
:राजू सीरवी (राठौड़)
























adsense, limewire