Saturday, 3 March 2012
Thursday, 1 March 2012
कली हो तुम अभी बगियन की
बालों पे सजना ठीक नहीं है।
पंखुड़ियाँ खिली नहीं है अभी तुम्हारी,
बालों पे सजना ठीक नहीं है।
पंखुड़ियाँ खिली नहीं है अभी तुम्हारी,
यूँ खिल कर हँसना ठीक नहीं है।
भौरे बडे बेवफ़ा होते हैं,
यूँ उनसे बेख़बर रहना ठीक नहीं हैं।
इन काली घटाओं में दहकता सूरज,
और उसपर ये चन्दन-बन ठीक नहीं हैं।
नयनों को प्रतीक्षा में बिछा दो वक्त की,
यूँ लम्बे डग भरकर चलना ठीक नहीं हैं।
आशाओं को बांधो ख्वाबों से,
यूँ निराशा में जीना ठीक नहीं हैं।
कुचल देते हैं भौरे खिलती हुई कलियाँ,
यूँ वक्त से पहले खिलना ठीक नहीं हैं।
लुट जाते हैं कुछ लोग कुछ लुटे जाते हैं,
इससे बेख़बर रहना ठीक नहीं हैं।
कमाल है तुम्हारी कारीगरी का भगवान,
क्या-क्या बना दिया, बना दिया क्या से क्या!
छिपकली को ही ले लो,
कैसे पुरखोंकी बेटी छत पर उल्टासरपट भागती छलती तुम्हारे ही बनाए अटूट नियम को।
फिर वे पहाड़!
क्या क्या थपोड़ कर नहीं बनाया गया उन्हें?
और बगैर बिजली के चालू कर दी उनसे जो
नदियाँ, वो?
सूंड हाथी को भी दी और चींटीको भी एक ही सी कारआमद अपनी-अपनी जगह
हाँ, हाथी की सूंड में दो छेद भी हैंअलग से शायद शोभा के वास्ते
वर्ना सांस तो कहीं से भी ली जा सकती थीजैसे मछलियाँ ही ले लेती हैं गलफड़ों से।
अरे, कुत्ते की उस पतली गुलाबी जीभ का ही क्या कहना!
कैसी रसीली और चिकनी टपकदार,
सृष्टि के हर स्वाद की मर्मज्ञ और दुम की तो बात ही अलग
गोया एक अदृश्य पंखे की मूठतुम्हारे ही मुखड़े पर झलती हुई।
आदमी बनाया, बनाया अंतड़ियों और रसायनों का क्या ही तंत्रजालऔर उसे दे दिया कैसा अलग सा दिमागऊपर बताई हर चीज़ को आत्मसात करने वालापल-भर में ब्रह्माण्ड के आर-पारऔर सोया तो बस सोयासर्दी भर कीचड़ में मेढक सा
हाँ एक अंतहीन सूची है
भगवान तुम्हारे कारनामों की, जो बखानी न जाएजैसा कि कहा ही जाता है।
यह ज़रूर समझ में नहीं
आता कि फिर क्यों बंद कर दियाअपना इतना कामयाब
कारखाना?
नहीं निकली कोई नदी पिछले चार-पांच सौ सालों से
जहाँ तक मैं जानता हूँ
न बना कोई पहाड़ या समुद्र
एकाध ज्वालामुखी ज़रूर फूटते दिखाई दे जाते हैं कभी-कभार।
बाढ़ेँ तो आयीं खैर भरपूर, काफी भूकंप,
तूफ़ान खून से लबालब हत्याकांड अलबत्ता हुए खूब
खूब अकाल, युद्ध एक से एक तकनीकी चमत्कार
रह गई सिर्फ एक सी भूख, लगभग एक सी फौजी
वर्दियां जैसे
मनुष्य मात्र की एकता प्रमाणित करने के लिए
एक जैसी हुंकार, हाहाकार!
प्रार्थनाग्रृह ज़रूर उठाये गए एक से एक आलीशान!
मगर भीतर चिने हुए रक्त के गारे से
वे खोखले आत्माहीन शिखर-गुम्बद-मीनार
ऊँगली से छूते ही जिन्हें रिस आता है खून!
आखिर यह किनके हाथों सौंप दिया है ईश्वर
तुमने अपना इतना बड़ा कारोबार?
अपना कारखाना बंद कर के
किस घोंसले में जा छिपे हो भगवान?
कौन - सा है वह सातवाँ आसमान?
हे, अरे, अबे, ओ करुणानिधान !!!
from kabadkhana blog.
क्या-क्या बना दिया, बना दिया क्या से क्या!
छिपकली को ही ले लो,
कैसे पुरखोंकी बेटी छत पर उल्टासरपट भागती छलती तुम्हारे ही बनाए अटूट नियम को।
फिर वे पहाड़!
क्या क्या थपोड़ कर नहीं बनाया गया उन्हें?
और बगैर बिजली के चालू कर दी उनसे जो
नदियाँ, वो?
सूंड हाथी को भी दी और चींटीको भी एक ही सी कारआमद अपनी-अपनी जगह
हाँ, हाथी की सूंड में दो छेद भी हैंअलग से शायद शोभा के वास्ते
वर्ना सांस तो कहीं से भी ली जा सकती थीजैसे मछलियाँ ही ले लेती हैं गलफड़ों से।
अरे, कुत्ते की उस पतली गुलाबी जीभ का ही क्या कहना!
कैसी रसीली और चिकनी टपकदार,
सृष्टि के हर स्वाद की मर्मज्ञ और दुम की तो बात ही अलग
गोया एक अदृश्य पंखे की मूठतुम्हारे ही मुखड़े पर झलती हुई।
आदमी बनाया, बनाया अंतड़ियों और रसायनों का क्या ही तंत्रजालऔर उसे दे दिया कैसा अलग सा दिमागऊपर बताई हर चीज़ को आत्मसात करने वालापल-भर में ब्रह्माण्ड के आर-पारऔर सोया तो बस सोयासर्दी भर कीचड़ में मेढक सा
हाँ एक अंतहीन सूची है
भगवान तुम्हारे कारनामों की, जो बखानी न जाएजैसा कि कहा ही जाता है।
यह ज़रूर समझ में नहीं
आता कि फिर क्यों बंद कर दियाअपना इतना कामयाब
कारखाना?
नहीं निकली कोई नदी पिछले चार-पांच सौ सालों से
जहाँ तक मैं जानता हूँ
न बना कोई पहाड़ या समुद्र
एकाध ज्वालामुखी ज़रूर फूटते दिखाई दे जाते हैं कभी-कभार।
बाढ़ेँ तो आयीं खैर भरपूर, काफी भूकंप,
तूफ़ान खून से लबालब हत्याकांड अलबत्ता हुए खूब
खूब अकाल, युद्ध एक से एक तकनीकी चमत्कार
रह गई सिर्फ एक सी भूख, लगभग एक सी फौजी
वर्दियां जैसे
मनुष्य मात्र की एकता प्रमाणित करने के लिए
एक जैसी हुंकार, हाहाकार!
प्रार्थनाग्रृह ज़रूर उठाये गए एक से एक आलीशान!
मगर भीतर चिने हुए रक्त के गारे से
वे खोखले आत्माहीन शिखर-गुम्बद-मीनार
ऊँगली से छूते ही जिन्हें रिस आता है खून!
आखिर यह किनके हाथों सौंप दिया है ईश्वर
तुमने अपना इतना बड़ा कारोबार?
अपना कारखाना बंद कर के
किस घोंसले में जा छिपे हो भगवान?
कौन - सा है वह सातवाँ आसमान?
हे, अरे, अबे, ओ करुणानिधान !!!
from kabadkhana blog.
Wednesday, 29 February 2012
कल रात अँधेरी रात थी,
अचानक मुझे सिसकिया सुनाई दी,
मै सकपकाया ,
मेरे ही घर में ये कौन आया,
मैं घबराया ,
पीछा किया उन सिसकियों का और
मेरे मन को रोता पाया ,
मेरा मन रो रहा था,
आँसू बहा रहा था ,
बाल नोच रहा था ,
बिलख रहा था ,
आख़िर मुझसे देखा नहीं गया ,
रहा नहीं गया ,
मैंने उससे पूछ ही डाला,
तू काहे को रो रहा है
वो बोला महंगाई से मैं झुलस गया हूँ ,
खाने पिने को तरस गया हूँ,
मैं तीन दिन से भूखा हूँ,
मगर भूख सहता हूँ,
क्यों की मेरे पास मोबाईल है ,
मैं अपने दोस्तों से,
मन भर के बाते जो करता हूँ,
चलो मुझे तिनके का सहारा तो मिला,
मेरा चेहरा तो रहता है खिला खिला,
क्या हुआ यदि खाने को कुछ न मिला ।
अचानक मुझे सिसकिया सुनाई दी,
मै सकपकाया ,
मेरे ही घर में ये कौन आया,
मैं घबराया ,
पीछा किया उन सिसकियों का और
मेरे मन को रोता पाया ,
मेरा मन रो रहा था,
आँसू बहा रहा था ,
बाल नोच रहा था ,
बिलख रहा था ,
आख़िर मुझसे देखा नहीं गया ,
रहा नहीं गया ,
मैंने उससे पूछ ही डाला,
तू काहे को रो रहा है
वो बोला महंगाई से मैं झुलस गया हूँ ,
खाने पिने को तरस गया हूँ,
मैं तीन दिन से भूखा हूँ,
मगर भूख सहता हूँ,
क्यों की मेरे पास मोबाईल है ,
मैं अपने दोस्तों से,
मन भर के बाते जो करता हूँ,
चलो मुझे तिनके का सहारा तो मिला,
मेरा चेहरा तो रहता है खिला खिला,
क्या हुआ यदि खाने को कुछ न मिला ।
उस ठूंठ को मैं देख रहा हूं
वह मेरे सामने है ,
उसकी काया मेरी तरह है
फर्क इतना है कि ,
वह जीवन से हार गया,
मेरी जंग जारी है।
पता है पहले वह हरा-भरा था
चिड़ियां चहचहाती थीं उसपर
कितना आंनद था
कितना सुहानापन था।
आज वह सूना है
कोई पास नहीं,
लेकिन देखो न फिर भी वह खड़ा है
यह जीवन की दास्तान है
कभी शुरु हुई थी,
अब खत्म हो रही है।
रुखापन सिमटा हुआ
मेरे साथ चल रहा है
विवशता का आदि होना पड़ता है
समय ही ऐसा है।
अगर कोई चौराहा है
तो सभी रास्ते एक से हैं
वही वीरान राहे हैं
जहां हमेशा सूखी हरियाली शरण लिए रहती है
एहसास होता है कि कुछ नमी अभी बाकी है।
वह मेरे सामने है ,
उसकी काया मेरी तरह है
फर्क इतना है कि ,
वह जीवन से हार गया,
मेरी जंग जारी है।
पता है पहले वह हरा-भरा था
चिड़ियां चहचहाती थीं उसपर
कितना आंनद था
कितना सुहानापन था।
आज वह सूना है
कोई पास नहीं,
लेकिन देखो न फिर भी वह खड़ा है
यह जीवन की दास्तान है
कभी शुरु हुई थी,
अब खत्म हो रही है।
रुखापन सिमटा हुआ
मेरे साथ चल रहा है
विवशता का आदि होना पड़ता है
समय ही ऐसा है।
अगर कोई चौराहा है
तो सभी रास्ते एक से हैं
वही वीरान राहे हैं
जहां हमेशा सूखी हरियाली शरण लिए रहती है
एहसास होता है कि कुछ नमी अभी बाकी है।
एक लड़का , एक लड़की से प्यार करता है , पर लड़की पूछती " तुम मुझसे प्यार
क्यूँ करते हो , कारण बताओ । लड़के ने कहा " कारण तो नहीं है पर इतना जानता
हूँ की मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
लड़की - तुम मुझे भी कारण नहीं बताओगे ? तो तुम कैसे कह सकते हो कि तुम मुझसे प्यार करते हो ?
लड़का -सच मुझे कारण पता नहीं है पर मैं साबित कर सकता हूँ कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
लड़की - नहीं ! मैं कारण जानना चाहती हूँ , मेरी दोस्त के प्रेमी उनको कारण बता सकते तो तुम क्यूँ नहीं ?
लड़का - ठीक है ! मैं तुमसे प्यार करता हूँ क्यूँ कि तुम खूबसूरत हो , तुम्हारी voice अच्छी है ,तुम carring हो ,तुम बहुत प्यारी हो , तुम thoughtful हो , तुम्हारी smile अच्छी है , तुममे वो सब खूबी है , इसलिए मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
एक दिन unfortunately एक दुर्घटना में लड़की कोमा में चली गई
लड़के ने एक latter लिखा और लड़की के पास रख दिया
उसमे लिखा था
dearest
तुम्हारी आवज अच्छी थी तो मैं तुमसे प्यार करता था पर क्या अब तुम बोल सकती हो ? नहीं ! इसलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता ,
तुम अच्छी care करती थी इसलिए मैं तुमसे प्यार करता था , पर अब तुम नहीं कर सकती , इसलिए अब मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकता ।
तुम्हारी मुस्कान और तुम्हारी सब खूबियों से मैं तुमसे प्यार करता था पर अब वो सब नहीं रहा इसलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता ।
अगर प्यार करने के लिए कारण जरूरी है तो मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकता , जैसे अब कोई कारण है ही नहीं तुम्हें प्यार करने के लिए ।
क्या सच में प्यार करने के लिए कारण चाहिए ?
नहीं !
इसलिए मैं तुमसे अभी भी प्यार करता हूँ क्यूँ की मैं किसी कारण वस तुमसे प्यार नहीं करता , क्यूँ कि प्यार करने के लिए कोई कारण कि जरूरत नहीं होती ।
कभी किसी से प्यार करो तो , इसका अफसोस मत करो कि तुम क्या करते हो , अफसोस इसका करो कि तुम क्या नहीं कर सकते हो ,
If God brings u to it...He will bring u through it
लड़की - तुम मुझे भी कारण नहीं बताओगे ? तो तुम कैसे कह सकते हो कि तुम मुझसे प्यार करते हो ?
लड़का -सच मुझे कारण पता नहीं है पर मैं साबित कर सकता हूँ कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
लड़की - नहीं ! मैं कारण जानना चाहती हूँ , मेरी दोस्त के प्रेमी उनको कारण बता सकते तो तुम क्यूँ नहीं ?
लड़का - ठीक है ! मैं तुमसे प्यार करता हूँ क्यूँ कि तुम खूबसूरत हो , तुम्हारी voice अच्छी है ,तुम carring हो ,तुम बहुत प्यारी हो , तुम thoughtful हो , तुम्हारी smile अच्छी है , तुममे वो सब खूबी है , इसलिए मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
एक दिन unfortunately एक दुर्घटना में लड़की कोमा में चली गई
लड़के ने एक latter लिखा और लड़की के पास रख दिया
उसमे लिखा था
dearest
तुम्हारी आवज अच्छी थी तो मैं तुमसे प्यार करता था पर क्या अब तुम बोल सकती हो ? नहीं ! इसलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता ,
तुम अच्छी care करती थी इसलिए मैं तुमसे प्यार करता था , पर अब तुम नहीं कर सकती , इसलिए अब मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकता ।
तुम्हारी मुस्कान और तुम्हारी सब खूबियों से मैं तुमसे प्यार करता था पर अब वो सब नहीं रहा इसलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता ।
अगर प्यार करने के लिए कारण जरूरी है तो मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकता , जैसे अब कोई कारण है ही नहीं तुम्हें प्यार करने के लिए ।
क्या सच में प्यार करने के लिए कारण चाहिए ?
नहीं !
इसलिए मैं तुमसे अभी भी प्यार करता हूँ क्यूँ की मैं किसी कारण वस तुमसे प्यार नहीं करता , क्यूँ कि प्यार करने के लिए कोई कारण कि जरूरत नहीं होती ।
कभी किसी से प्यार करो तो , इसका अफसोस मत करो कि तुम क्या करते हो , अफसोस इसका करो कि तुम क्या नहीं कर सकते हो ,
If God brings u to it...He will bring u through it
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