उस ठूंठ को मैं देख रहा हूं
वह मेरे सामने है ,
उसकी काया मेरी तरह है
फर्क इतना है कि ,
वह जीवन से हार गया,
मेरी जंग जारी है।
पता है पहले वह हरा-भरा था
चिड़ियां चहचहाती थीं उसपर
कितना आंनद था
कितना सुहानापन था।
आज वह सूना है
कोई पास नहीं,
लेकिन देखो न फिर भी वह खड़ा है
यह जीवन की दास्तान है
कभी शुरु हुई थी,
अब खत्म हो रही है।
रुखापन सिमटा हुआ
मेरे साथ चल रहा है
विवशता का आदि होना पड़ता है
समय ही ऐसा है।
अगर कोई चौराहा है
तो सभी रास्ते एक से हैं
वही वीरान राहे हैं
जहां हमेशा सूखी हरियाली शरण लिए रहती है
एहसास होता है कि कुछ नमी अभी बाकी है।
वह मेरे सामने है ,
उसकी काया मेरी तरह है
फर्क इतना है कि ,
वह जीवन से हार गया,
मेरी जंग जारी है।
पता है पहले वह हरा-भरा था
चिड़ियां चहचहाती थीं उसपर
कितना आंनद था
कितना सुहानापन था।
आज वह सूना है
कोई पास नहीं,
लेकिन देखो न फिर भी वह खड़ा है
यह जीवन की दास्तान है
कभी शुरु हुई थी,
अब खत्म हो रही है।
रुखापन सिमटा हुआ
मेरे साथ चल रहा है
विवशता का आदि होना पड़ता है
समय ही ऐसा है।
अगर कोई चौराहा है
तो सभी रास्ते एक से हैं
वही वीरान राहे हैं
जहां हमेशा सूखी हरियाली शरण लिए रहती है
एहसास होता है कि कुछ नमी अभी बाकी है।
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