Saturday, 17 November 2012




मन
कभी शांत ,कभी विचलित
कभी मौन ,कभी मुखरित
कभी लोभी ,कभी त्यागी
कभी सांसरिक ,कभी वैरागी
कभी गहरा ,कभी सतही
कभी प्रेमी ,कभी निष्ठुर
कभी घाघर ,कभी सागर
कभी उपवन ,कभी बंजर
कभी स्वस्थ ,कभी रोगी
कभी स्नेही ,कभी क्रोधी
कैसा है मन
असंख्य जिज्ञासायेँ, अनंत अभिलाषाएं
भावो के अनगिनत रंग ,स्वयं में समाएँ

कैसा है यह मन .......

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