Sunday, 3 February 2013

है ज़रा सा सफर 
गुजर जाएगा ये भी 
धूप की तापिस में 
साया भी मिल जाएगा 
बादल जो रोये आज बहुत 
कल वो भी मुस्कुराएगा 
ये किस्सा हवा का छोड़
पत्थर दिलो को तोड़ा 
ज़िंदगी के हज़ार रास्तो में 
मेरी मंज़िल को रास्ता मिला 
आखरी ख़्वाहिश जो थी मेरी 
उसको सहील का किनारा मिला

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