Thursday, 26 April 2012

ज़िंदगी के वो खूबसूरत लम्हे कहीं खोते जा रहे है 
जो कल अपने थे वो आज पराए होते जा रहे है 
कभी माँ के हाथ की रोटी सबसे स्वादिष्ट लगती थी 
आज तो बस Mcdonald's को ही चुनते जा रहे है 
शायद लोग बदलते जा रहे है 
 
एक वक़्त था जब बेटा बाप की गोद में सोया करता था 
बाप की डांट सुनकर रूठ जाया करता था 
फिर बाप भी उसे बड़े प्यार से मनाया करता था 
आज तो हम माँ बाप को हड़काते(तंगकरना) जा रहे है
शायद लोग बदलते जा रहे है 
 
एक वक़्त था जब हम भगवान को याद करते थे 
सुबह शाम मंदिर जाया करते थे 
खुद के लिए नहीं बल्कि सबके लिए दुआ करते थे 
आज तो बस पैसो की अहमियत देकर हम उस परवादिगर (पालन करने वाला )को भूलते जा रहे है 
शायद लोग बदलते जा रहे है   

एक वक़्त था जब सब दोस्त यार शाम की चाय साथ पिया करते थे 
चाय के साथ दिलचस्प बातें किया करते थे 
हम सब राइस होने की तम्मनाएं किया करते थे 
आलम अब यह रहा कि सब यहा एक दूसरे को  छोड़ आगे बढ़ते जा रहे है 
शायद सब लोग बदलते जा रहे है 

अपनी तनहाई को देख आज कुछ शब्द लिखते जा रहे है 
जो छोड़ गए हमें उनपर इल्ज़ाम लगते जा रहे है 
दुनियाँ से मिले गमों से जाने अनजाने टूटते जा रहे है 
वक़्त के इस तेज़ रफ्तार से हम अपनों से पिछड़ते जा रहे है 
शायद लोग बदलते जा रहे है 

दुनिया में घुल कर अखरत को भूलते जा रहे है 
हम ही अपने आप को बदलतेजा रहे है 
प्रभु के इस जगत से खिलवाड़ करते जा रहे है 
अपनी सफ़ेद रूह पर कालिख पोतते जा रहे है 
शायद लोग बदलतेजा रहे है 

कोई हमें छोड़े तो गवारा नहीं ,तो फिर भगवान को क्यूँ छोडते जा रहे है 
यह सब देख कर एक रूठी हुई कलम से लिखता हूँ मैं 
शायद लोग बदलते जा रहे है

Wednesday, 25 April 2012

भुलाये    भूलता   नहीं   वो   दहशत और खौफ का मंजर 
सिसकियाँ   खून  और  चीखों   भरे   हालत   का   मंजर 
कहीं  जलते   हैं   चोराहे    कही    गलियारे   जलते   हैं 
 जला   कर   बस्तियां   सारी   सजाया   राख   का  मंजर 
जिधर   देखो   उदासी   है   ये   कैसा   खोफ   का   आलम  
 डरी    बेबस   निगाहों   मैं   धडकती    साँस   का   मंजर  
घुली   बारूद   पानी   मैं   बही   हैं    आग    की    नदियाँ 
 टपकती  आँख   से   आंसू   के  इस    हालत  का   मंजर 
कहीं   मंदिर   कहीं   मस्जिद   कही   अरदास   होती   है
 धर्म   के   नाम   पर   चलते   हुए   व्यापर   का    मंजर 
खुदा   की    जुस्तजू    उनको    खुदी   से  दूर   रहते   हैं 
 बसी  हैं   नफरते  दिल   मैं   सुलगता   आग  का   मंजर  

Monday, 23 April 2012

भारतीय समाज अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है किन्तु हमारे समाज में आज भी इतनी कुरीतिया व्याप्त हैं जिनका आज तक कोई निदान नहीं हुआ इसी वजह से आज भी हम दुसरे देशों से बहुत पीछे हैं इन कुरितियो में एक है बाल विवाह 
बाल विवाह एक ऐसी कुरीति है जिसने हमारे देश के बचपन को रौंद के रख दिया है 
छोटे छोटे बच्चों को शादी के बंधन में बाँध देते है . उनको मालूम भी होगा या नहीं कि शादी क्या होती है शादी कि मायने क्या हैं ?,उनका शरीर शादी के लिए तैयार भी है ?वो नन्ही सी आयु शादी के बोझ को झेल पायेगी?
कलियाँ फूल खिलने से पहले तोड़ दी जाएँ उनको पावों तले रौंद दिया जाये तो पूरी फुलवाड़ी बेजान हो जाती है ऐसे ही यह छोटे छोटे बच्चे हैं इनके बचपन को खिलने दो महकने दो जब ये शादी के मायने समझे इनका शरीर और मन , दिमाग शादी के योग्य हो ,आत्म निर्भर हो ग्रहस्थी का बोझ उठाने योग्य हो तभी इनकी शादी की जाये।
बालविवाह जैसी कुरीति के पनपने में असाक्षारता और गरीबी  मुख्य कारण है । 
आखिर बालविवाह होते क्यूँ है :-
मैंने कई बुजुर्ग लोगो से इस बारे में जाना तो मुझे यही जवाब मिला कि "हमारे बुजुर्गो की परंपरा है जो वो निभा रहे है " 
सही है बुजुर्गो ने सोच समझ कर ही कुछ रीति रिवाज बनाए होंगे । 
अक्सर गरीब शादियों के खर्चे को कम करने के लिए समूहिक विवाह करते है जिसमे वयस्क लड़कियों के साथ अवयस्क लड़कियों की भी शादी कर देते ,ताकि एक खर्चे में सब की शादी हो जाए । 
दूसरा पहलू है शिक्षा का 
कम पढे लिखे और अनपढ़ लोगो को बालविवाह के दुसप्रभाव के बारे में जानकारी नहीं होना भी मूल कारण है । 
समय के साथ इंसान को भी कदम मिला कर चलना होता है , पर आज भी देश के गाँव इतने तेज कदम नहीं चला रहा की जमाने की बराबरी कर सके ।
बालविवाह जैसी कुरीतियों को रोकने के लिए कानून तो बने है , पर कानून बनाने के बावजूद बालविवाह धड़ल्ले से हो रहे है । अब कानून भी करे तो क्या करे ,बिचारे कानून को बनाने वाले भी कानून की धज्जिया उड़ते है तो आम जनता क्यूँ पीछे रहे , वैसे आज के यूथ को पूछ लो कि भई कानून क्यूँ होते है तो जवाब यही मिलेगा कि "तोड़ने " के लिए । 
पर अगर किसी के मन को बदलना हो तो उसे मोटिवेशन करना करना होता है , मतलब जो बात लात से ना बने वो बात से बन सकती है , हर चीज़ को बदलना है तो सिर्फ कानून से कुछ नहीं बदलेगा ,लोगो को जागरूक करना  और ऐसी कुरीतियों के दुसप्रभाव के बारे में जानकारी लोगो तक पाहुचने से कुछ असर होगा । 
प्रशासन और शिक्षित लोग एक साथ होकर बालविवाह जैसी कुरीतियों के बारे में लोगो को जागरूक करे । ज्यादा से ज्यादा महिला शिक्षा को बढ़ावा देना , और जागरूकता के लिए सरकार को नुक्कड़ नाटको का आयोजन करवाना चाहिए ताकि लोग बालविवाह के दुसप्रभाव को समझ सके । और गरीबो को बेटी की शादी के लिए कुछ सहायता मुहैया करवाया जाए ताकि खर्च के बहाने छोटे बच्चो के बचपन को रौदा न जाए । 
क्यूँ कि" बच्चे ही देश और समाज का भविष्य "है और अपने देश और समाज के भविष्य के साथ होते  खिलवाड़ को रोकना हमारा कर्तव्य है ।
इस तरह की कुरीतियो को रोकने के लिए युवाओ को आगे आना चाहिए , और लोगो को मोटिवेट करना चाहिए। 
जिस दिन ये कर्तव्य लोग निभाना सीख लेंगे उस दिन ऐसी कुरीतिया हमारे समाज से दूर हो जायेंगी 
और धीरे धीरे हमारा समाज में भी बचपन खिलखिलाने लगेगा मुस्कुराने लगेगा और हमारी बगिया महकने लगेगी
 

Tuesday, 17 April 2012


अब आप सभी लोगो से है यही रह गया कहना ,
 
बहुत रो लिए, बहुत खो दिए अपने अपने स्वार्थो के वास्ते

बहुत लूटे अपनों को अपने ही वतन में ,सिर्फ निजता के वास्ते
 
हर जन को गैर जाना ,हर पल ठोकर मारी अच्छाई के रास्ते

जब देश गुलाम था , सबका सिर्फ एक ही अरमान था ,अपने देश की आजादी की खातिर कुर्बान पूरा हिंदुस्तान था ,सबने मिल सोचा था , आजाद भारत की फिजा निराली होगी
हर घर में खुशियों का माहौल होगा, सर्वत्र हरियाली होगी ,जब देश आजाद हुआ , विकास रास्ता चौबंद हु ,

पर उन आजादी के दीवानों को क्या मालूम रहा होगा ,
 
आजाद भारत में घोर भ्रस्टाचार तंत्र ताकतवर बुलंद हु
 
धनवानों , नेता,सरकारी मुलाजिमो , नौकरशाहों पर कुबेर बरस गए
 
आजादी सिर्फ अमीरों को अमीरी और बेईमानी की मिली,

बाकि गरीब -किसान मजदूर रोटी के लिए तरस गए,

क्या इसे ही आजादी कहते है, क्या इसे ही गणतंत्र कहते है?
 
जहा करोडो भूखो के बीच सैकड़ो अरबपति आरामतलबी से रहते है ।
 
उठो जागो बहुत हो गया धर्म युद्ध -वाक युद्ध - जाति युद्ध ,
 
बहुत हो गया जाति और धन स्वार्थ का स्वाभिमान युद्ध,
 
अब भारत को जागना होगा , भ्रष्ट तंत्र को बदलना होगा ,
 
खोखले निर्जीव राष्ट्रीयता को फिर से जिन्दा और मजबूत करना होगा,
 
भारत को दम तोड़ते मूल्यों से , कुत्सित और भ्रष्ट स्वार्थ से छीज रहे
र्तमान के गंदे गलियारे से निकाल सुन्दर भारत -सबका भारत में बदलना होगा

Monday, 16 April 2012

मीडिया और प्रेस को को देश का चौथा स्तम्भ माना जाता है , या इनको देश का दर्पण कहा जा सकता है जो देश कि असली सूरत को दर्शाता हो ।
अक्सर हम आम जन नेताओ , ढोंगी बाबाओ पर विरोध जताते है कि इन लोगो ने जनता को ठगा है । पर "मीडिया " का विरोध  नहीं करते ।
पर आज मीडिया और प्रेस ने अपने अधिकारो का गलत उपयोग कर ना सिर्फ देश कि जनता को गुमराह करने का काम किया बल्कि राजनेताओ और निर्मल बाबा जैसे ढोंगियों के साथ जनता को ठगने में बराबर के भागीदार बन चुके है ।
बक़ौल निर्मल बाबा , यह ढोंगी हर महीने का 17 लाख चैनल वालों को देता है अपने कार्यक्रम के प्रसारण के लिए ।
देश की जनता इन मीडिया और प्रेस पर इतना भरोसा करते जितना खुद पर नहीं , पर जनता के भरोसे के साथ मीडिया भी खिलवाड़ करने में पीछे नहीं रहा ।

मीडिया कहता है कि निर्मल बाबा की सच्चाई जनता के सामने लाने के लिए महीनो से निर्मल बाबा के ठिकाने और रिश्तेदारों से मिल कर जानकारी जुटा रहा है
तो अगर चैनल वालों को जरा भी शक है किसी पर तो उनके कार्यक्रम क्यूँ प्रसारित किए जिसकी वजह से लाखो लोग ठगी के शिकार हुए ,

मीडिया को कोई भी प्रसारण करने से पहले उस कार्यक्रम या व्यक्ति के बारे में पूर्ण जांच करना चाहिए , सिर्फ पैसो के लिए ,स्वार्थी बन कर बिना जांच पड़ताल  के ही कोई कार्यक्रम को प्रसारण क्यूँ किया जाता है ।

आज निर्मल बाबा जैसे पाखंडियों की समाज में जड़े मजबूत करने वाला मीडिया ही है , लोग टीवी पर देखे कार्यक्रम से प्रभावित होकर इस ढोंगी के ठगी का शिकार हुए है ।

मीडिया को पैड न्यूज़ के दलदल से बाहर निकाल कर ,अपने काम को कर्तव्यनिष्टा से करना होगा , जनता में अपने विश्वास को बनाकर रखना है तो निष्पक्ष होकर अपना कार्य करना होगा ।

मीडिया और प्रेस को सही मायानों में लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ  बनाना होगा ।

Sunday, 15 April 2012

मेरे मामा जी को जोड़ो के दर्द की शिकायत थी , बहुत से लोगो ने बहुत से उपाय बताए , किए भी पर कुछ कम नहीं हुआ , एक दिन मामा जी ने कहा कि उन्होने कन्नड़ TV9 में देखा एक बाबा का चमत्कार जो हर असाध्य बीमारी का इलाज़ करता है ,मामा जी को उसके पास जाना था , एक दिन मैं , मामा जी और मामा जी के दो दोस्त जिसमे एक डॉक्टर और एक दर्जी था । चल दिये उस बाबा के यहा जिसको मामा जी ने tv9 में देखा। चित्रदुर्गा से कुछ दूरी पर एक गाँव के बाहर जहा वो बाबा रहते थे वह गए लोगो का हुजूम उम्दा था । मैंने सोचा वाकई कुछ तो चमत्कार है यहाँ इसलिए इतने लोग है यहा । हम बाबा के आश्रम की तरफ गए , वहाँ काफी लोग बाबा को 10 र्पए देते और बाबा के चरण स्पर्स करते , मैंने भी किए । तकरीबन 400-600 लोग थे वह सबको बैठा दिया गया और कहा कि बाबा स्नान कर के भगवान का ध्यान करने के बाद सब कि समस्या का हल करेंगे । आधे घंटे बाद बाबा आए , एक -एक करके लोग बाबा के पास जाने लगे । मैंने देखा जो भी बाबा के पास जाता ,बाबा उस पर कुछ मंत्र तंत्र करता वो शक्स चिल्लाने लगता और जमीन पर लोट पोट होते , उसे वह बैठे लोग समझते कि कोई भूत प्रेत का साया जिसको बाबा ने ठीक कर दिया हो । पर कुछ देर बाद वह हँगामा हुआ और बाबा का ढोंग सामने आ गया , सब को पता चल गया कि यह सब पाखंड है ,मैंने लोगो से पूछा कि आप किस आधार पर इस पर विश्वास करते है .... सब लोगो का जवाब था कि TV9 कन्नड़ देख कर यहा आए है । मतलब सब को धोखा हुआ ,सब ने tv9 मीडिया पर विश्वास कर के गलती की ।परमात्मा के आदेश के सामने सब नतमस्तक है और कुछ महीनो बाद मेरे मामा जी की भी मृत्यु हो गई ।

मैं यह जानकारी आप सबसे इस लिए साझा कर रहा हु कि जिस तरह मीडिया पर विश्वास कर हम पाखंड का शिकार हुए है , उस तरह और कोई व्यक्ति ना हो , हालांकि आज जो मीडिया इनके गुणगान का प्रचार करता था ,वही आज इनकी पोल खोलने में लगा है , पर सवाल है है कि मीडिया वाले बिना किसी जांच और सच्चाई के तथ्यो को जाने बिना इनके कार्यक्रम प्रसारित करते है इससे लोग ठगी का शिकार ज्यादा होते है । जो किसी के कहने और सुनने से उतना नहीं ठगा जाता जितना मीडिया के प्रचार के कारण ठगा जा रहा है ।

बाबाओ के कार्यक्रम प्रसारित नहीं करना चाहिए ,अगर करते है तो उनके बारे में पूरी जानकारी जुटा कर (जैसे अब जांच कर रहे है )अगर कुछ सच्चाई है तो प्रसारित करना चाहिए । 

किसी भी राजनीतिक दल का प्रचार नहीं करना चाहिए । 

निसपक्षता से अपना काम करना चाहिए , क्यों कि जनता को आईना दिखाना मीडिया का काम है
पर आज मीडिया जो काम कर रहा है उससे साफ यही होता है कि मीडिया लोगो को सच्चाई से रूबरू कराने के बजाय खुद कमाई करने में लगा है । 

निर्मल सिंह नरूला जो कृपा का नाम लेकर लोगो से ठगी कर रहा है , इस पर धर्म के ज्ञाता , देश में सच्चे साधुओ ने और द्वारका के शंकरचार्य स्वरूपनन्द सरस्वती ने भी इसे महज ढोंग बताया , और स्टार न्यूज़ पर चर्चा में शामिल तर्कशास्त्री ,वेदो के जानकार ,धर्म के जानकार ,मनोचिकित्सक और वेज्ञानिकों तक ने इसे नकार दिया तो हम आम जनता को तो आंखे खोलनी चाहिए कि यह सिर्फ पैसे कमाने का जरिया है । 

अगर सच में लोगो पर इसकी कृपा होती तो रोज़ 1 करोड़ रुपये जमा होने वाले सिर्फ 34 लाख तक क्यूँ आ गए । अगर यह ढोंगी बाबा कहता है कि यह एक सजिस है उसे बदनाम करने की तो क्यूँ अपनी कृपा का इस्तेमाल कर इस विरोध को खत्म नहीं कर सकता । 

बड़ा अच्छा धंधा है इसका जिसे "दलाली " कहेंगे तो कोई हर्ज़ नहीं क्यूँ कि इस ढोंगी के अनुसार जो कृपा लोगो तक पहुँचती है वो इसके द्वारा जाती है और उस कृपा के 2000 वसूलता है ।
खुद पर विश्वास रखो ,अंधविश्वास पर नहीं , जब विधिविधाता ही अपनी कुंडली नहीं बदल  सकते तो यह किस खेत कि मुली है जो हमारे किस्मत बदल सकता है । 

Saturday, 14 April 2012

पता नहीं इस देश में इतने लुटेरे कैसे पनप गए , जाहीर है अपना घर खुला रखोगे तो लुटेरे तो लौटेंगे ही ना ,
ईद देश में लोग हर किसी के बहकावे में जल्दी आ जाते है , चाहे नेता हो या पाखंडी ,
बिना सोचे समझे हर किसी पर विश्वास कर लेते है ,
अंधविश्वास पर तो कुछ नहीं कहूँ तो अच्छा , क्यूँ कि इस देश के लोग ""अंधविश्वास में ही विश्वास "" करते है
एक तरफ सरकार लोगो को लौटने में लगी वही दूसरी तरफ ऐसे ढोंगी बाबा जो अंधविश्वास का सहारा लेकर लोगो की जेब पर हमला करते है । 


कमाल है जिस तरह से यह ढ़ोगी कहता है कि लोगो पर कृपा होती है वो इसके जरिये होती है और उस कृपा का यह 2000 लेता है 

हर क्षेत्र में दलाली का धंधा बहुत फला फूला है , 

और अब भगवान से कृपा भी दलालो से लेनी पड़ती है 

निर्मल सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा समागमों में अपने भक्तों के दुख दूर करने का दावा करते हैं. इस समागम में बाबा लोगों को चौंकाने वाले उपाय बताते हैं लेकिन निर्मल बाबा की इन बातों पर उठ रहे हैं सवाल. हर कोई जानना चाहता है निर्मल बाबा उर्फ निर्मल सिंह नरूला का पूरा सच.
लगभग सभी चैनलो पर इनके कार्यक्रम दिखाये जाते है , लोग टीवी पर इन कार्यक्रमों को देखकर ही ज्यादा आकर्षित होते है और जितना धोखा जनता के साथ यह ढ़ोगी करता है उसके बराबर के भागीदार चैनल वाले भी है ।

जो भी इनके कार्यक्रम में भाग लेने जाता है उनसे 2000 रुपये लिए जाते है , और फिर कहते है कि "हमने किसी से मांगा नहीं "
लोगो को बेवकूफ बना कर इस ढोंगी ने 240 करोड़ की कमाई कर ली (आंकड़े  इस ढोंगी ने खुद बताए )

बड़े अजीबो गरीब नुख्से बताता है यह ढ़ोगी बाबा ,

समोसा खाओ काम बनाओ
गोलगप्पे खाओ कल्याण होगा , इस गोलगप्पे के चक्कर में एक बच्चे का सचमुच में कल्याण हो गया , हेपोटाइटिस का शिकार बच्चा इस ढोंगी की पाखंडता के कारण मर गया , 
इस ढोंगी के शिकार क्रिकेट के नायक युवराज सिंह भी हुए थे वो तो अच्छा हुआ की डॉक्टर की राय से कैंसर का इलाज़ कराया वरना युवराज भी शायद इस ढोंगी के पाखंड की भेंट चाड जाते ॥ 

कमाल है किसी को बच्चा नहीं हुआ तो समोसे की चटनी से इलाज़ करते है ,
टाई वाले की दुकान में व्यापार कम है , इस ढोंगी ने कारण बताया कि खुद टाई नहीं पहनोगे तो व्यापार कैसे चलेगा ,
किसी कपड़े की दुकान वाले के व्यापार ना होने का कारण कि वो नंगा होकर दुकान चलता है ?
एक बहन जी को उपाय बताया कि घर में सीडी है तो उसको चलाये कल्याण होगा (हंसी आती है ऐसे उपायो पर )

खुद की फोटो और खुद की सीडी बेचकर व्यापार करता है , खुद को भगवान के बराबर मानता है , 

खुद पर भगवान की कृपा बताने वाला यह ढ़ोगी खुद न्याय के लिए अदालत की शरण में जाता है तो कैसी कृपा है भगवान की इस पाखंडी पर । 

लोगो से जो पैसा लिया जाता है उन पैसो पर बिना सोचे समझे अपना हक जाता देता है , कि यह तो मेरे पैसे है , इन पर मेरा हक है । 

अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले इस तरह के कई विज्ञापन पहले भी कई न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित किये जाते रहे हैं लेकिन आज से पहले कभी उन विज्ञापनों को टीआरपी में नहीं गिना गया, इससे तो यही ज़ाहिर होता है कि तीसरी आंख वाले बाबा जी के दरबार में पड़ने वाली लाखों रुपयों की बारिश की कुछ छींटे टैम के ऊपर भी पड़ी हैं जिसकी बदौलत बाबा जी रातों रात शोहरत बटोरने में कामयाब हो गये हैं, और अगर ये बात कहीं ना कहीं सच साबित होती है तो वाकई उन तमाम मीडियाकर्मियों के लिए सोचने का विषय है जो 20-20 हज़ार रुपये या फिर उससे भी कम मानदेय पर न्यूज़ चैनलों के तमाम स्पेशल प्रोग्राम बनाते हैं और उनके बदले की टीआरपी ले जाती है तीसरी आंख।

टीवी इंटरव्यू में इस पाखंडी ने कोई ऐसा जवाब नहीं दिया जिससे यह साबित हो सके कि वाकई में किसी का भला हुआ है 

हैरानी की बात तो ये है कि आखिर इस तरह की बकवास पर कोई इस कदर आंख मूंद कर भरोसा कैसे कर सकता है।

2 दिन से समाचार चैनलो पर इस पाखंडी के बारे में दिखाया जा रहा है , जाहीर है इसमे फेसबुक का काफी सहयोग रहा है , 

अपनी आंखो से अंधविश्वास की पट्टी को हटकर अपने आप को धोखे से बचाए , इन पाखंडियों के जाल से बचे । 
 अरे इतना तो सोचो कि हमारे भाग्य लिखने वाला भी हमारी किस्मत नहीं बदल सकता तो यह ढ़ोगी क्या बदलेंगे , अपने आप पर विश्वास रखो , भगवान के प्रति अपनी आस्था के साथ खिलवाड़ मत करो ।