भुलाये भूलता नहीं वो दहशत और खौफ का मंजर
सिसकियाँ खून और चीखों भरे हालत का मंजर
कहीं जलते हैं चोराहे कही गलियारे जलते हैं
जला कर बस्तियां सारी सजाया राख का मंजर
जिधर देखो उदासी है ये कैसा खोफ का आलम
डरी बेबस निगाहों मैं धडकती साँस का मंजर
घुली बारूद पानी मैं बही हैं आग की नदियाँ
टपकती आँख से आंसू के इस हालत का मंजर
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद कही अरदास होती है
धर्म के नाम पर चलते हुए व्यापर का मंजर
खुदा की जुस्तजू उनको खुदी से दूर रहते हैं
बसी हैं नफरते दिल मैं सुलगता आग का मंजर
सिसकियाँ खून और चीखों भरे हालत का मंजर
कहीं जलते हैं चोराहे कही गलियारे जलते हैं
जला कर बस्तियां सारी सजाया राख का मंजर
जिधर देखो उदासी है ये कैसा खोफ का आलम
डरी बेबस निगाहों मैं धडकती साँस का मंजर
घुली बारूद पानी मैं बही हैं आग की नदियाँ
टपकती आँख से आंसू के इस हालत का मंजर
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद कही अरदास होती है
धर्म के नाम पर चलते हुए व्यापर का मंजर
खुदा की जुस्तजू उनको खुदी से दूर रहते हैं
बसी हैं नफरते दिल मैं सुलगता आग का मंजर
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