अब आप सभी लोगो से है यही रह गया कहना ,
बहुत रो लिए, बहुत खो दिए अपने अपने स्वार्थो के वास्ते
बहुत लूटे अपनों को अपने ही वतन में ,सिर्फ निजता के वास्ते
हर जन को गैर जाना ,हर पल ठोकर मारी अच्छाई के रास्ते
जब देश गुलाम था , सबका सिर्फ एक ही अरमान था ,अपने देश की आजादी की खातिर कुर्बान पूरा हिंदुस्तान था ,सबने मिल सोचा था , आजाद भारत की फिजा निराली होगी
हर घर में खुशियों का माहौल होगा, सर्वत्र हरियाली होगी ,जब देश आजाद हुआ , विकास रास्ता चौबंद हुआ ,
पर उन आजादी के दीवानों को क्या मालूम रहा होगा ,
आजाद भारत में घोर भ्रस्टाचार तंत्र ताकतवर बुलंद हुआ
धनवानों , नेताओ ,सरकारी मुलाजिमो , नौकरशाहों पर कुबेर बरस गए
आजादी सिर्फ अमीरों को अमीरी और बेईमानी की मिली,
बाकि गरीब -किसान मजदूर रोटी के लिए तरस गए,
क्या इसे ही आजादी कहते है, क्या इसे ही गणतंत्र कहते है?
जहा करोडो भूखो के बीच सैकड़ो अरबपति आराम मतलबी से रहते है ।
उठो जागो बहुत हो गया धर्म युद्ध -वाक युद्ध - जाति युद्ध ,
बहुत हो गया जाति और धन स्वार्थ का स्वाभिमान युद्ध,
अब भारत को जागना होगा , भ्रष्ट तंत्र को बदलना होगा ,
खोखले निर्जीव राष्ट्रीयता को फिर से जिन्दा और मजबूत करना होगा,
भारत को दम तोड़ते मूल्यों से , कुत्सित और भ्रष्ट स्वार्थ से छीज रहे
बहुत रो लिए, बहुत खो दिए अपने अपने स्वार्थो के वास्ते
बहुत लूटे अपनों को अपने ही वतन में ,सिर्फ निजता के वास्ते
हर जन को गैर जाना ,हर पल ठोकर मारी अच्छाई के रास्ते
जब देश गुलाम था , सबका सिर्फ एक ही अरमान था ,अपने देश की आजादी की खातिर कुर्बान पूरा हिंदुस्तान था ,सबने मिल सोचा था , आजाद भारत की फिजा निराली होगी
हर घर में खुशियों का माहौल होगा, सर्वत्र हरियाली होगी ,जब देश आजाद हुआ , विकास रास्ता चौबंद हुआ ,
पर उन आजादी के दीवानों को क्या मालूम रहा होगा ,
आजाद भारत में घोर भ्रस्टाचार तंत्र ताकतवर बुलंद हुआ
धनवानों , नेताओ ,सरकारी मुलाजिमो , नौकरशाहों पर कुबेर बरस गए
आजादी सिर्फ अमीरों को अमीरी और बेईमानी की मिली,
बाकि गरीब -किसान मजदूर रोटी के लिए तरस गए,
क्या इसे ही आजादी कहते है, क्या इसे ही गणतंत्र कहते है?
जहा करोडो भूखो के बीच सैकड़ो अरबपति आराम मतलबी से रहते है ।
उठो जागो बहुत हो गया धर्म युद्ध -वाक युद्ध - जाति युद्ध ,
बहुत हो गया जाति और धन स्वार्थ का स्वाभिमान युद्ध,
अब भारत को जागना होगा , भ्रष्ट तंत्र को बदलना होगा ,
खोखले निर्जीव राष्ट्रीयता को फिर से जिन्दा और मजबूत करना होगा,
भारत को दम तोड़ते मूल्यों से , कुत्सित और भ्रष्ट स्वार्थ से छीज रहे
वर्तमान के गंदे गलियारे से निकाल सुन्दर भारत -सबका भारत में
बदलना होगा
No comments:
Post a Comment