Sunday 17 June 2012

father's day
आज सुबह मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि"अपने पिताजी को wish किया ?"
मैंने कहा -क्यूँ ? ना तो आज उनका जन्मदिवस है और ना ही शादी की सालगिराह ... फिर क्यूँ wish ?
अरे आज father's day है ना तो आज का दिन अपने पिता के लिए खास होता है ।
मैंने कहा यह क्या होता ?
उसने तपाक से बोला-जैसे teacher's day ,mother's day ,वैलेंटाइन डे ,और न्यू इयर डे
उसे खुश करने के लिए उसे गिफ़्ट देते हैं और उसकी लम्बी उमर और अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं”
मैंने पूछा “इस चलन की उत्पत्ती कहां से हुई है?”
वो बोला  “वैसे तो इस चलन की उत्पत्ति का श्रेय पश्चिमी सभ्यता को है पर अब ये भारत में भी काफ़ी पोपुलर है” मैं सोच में पड गया हम भारतीय आज भी विदेशी चीजों के कितने इच्छुक हैं। विदेशी चीजों के लिए अपनी सभ्यता, संसकार एवं मान सम्मान का भी बलिदान करने को तैयार रहते हैं
अब एक खास दिन फादर डे मनाने के पीछे क्या तर्क है ये मेरी समझ के परे है सिर्फ़ एक दिन का मान सम्मान बाकी के 364 दिन का क्या? और फिर हर दिन क्यूं नहीं? माता पिता का इस दुनियाँ में कोई पर्याय नही है जिन्हों ने हमारी रचना की वो हर दिन ,हर पल पूजनीय हैं

जो मां बाप एक कमरे में चार चार बच्चे के साथ रह पाते थे उन्ही मां बाप को बुढापे में ये बच्चे एक बडे घर में अपने साथ नही रख पाते है “ओल्ड एज़ होम और सेकेन्ड इनिंग होम“ इन पश्चिमी सभ्यता वालों की देन है हम भारतीय भी इनका अनुशरण करने में पीछे कहां रहने वाले थे? बडे बडे शहरों मे रोजाना खुलते ऐसे होम इनका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं

आज जिनके भी पिता जीवित हैं या जिनकी माता जीवित हैं वो दुनियाँ के सबसे अमीर लोग हैं सबसे सम्पन्न लोग हैं

मेरे लिए हर दिन खास है
अपने माता पिता गुरुजन और प्रकृति के लिए
इनकी मेहर हम पर सदैव रहती है तो हम इनके लिए कोई खास दिन क्यूँ बनाए ॥

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