Sunday, 3 June 2012

कल पाने की चाह में
आज खोता जा रहा है
वो कल भी ना आयेगा
रोज़ खुद को आज में पाएगा
आज है जो साथ तेरे बस वही अनमोल है
कल तो रोज़ आयेगा , यह दुनिया गोल है ....

कोस रहा आज क्यूँ कल को
जो गया वो फिर ना आयेगा
उस कल में तो तू जी न सका
अब चिंता में अगले कल को
कल के गणित में जोड़ रहा , आज का जो मोल है 
कल तो रोज़ आयेगा , यह दुनिया गोल है 

कर ले आज तू अपने मन की
कल में जो भी दोष रहा
जो सीख लिया तुमने आज में जीना
मिल जाएगा ,कल जो खोज रहा था
आज ही कल का माप दंड है , कल के तोल में झोल है
कल तो रोज़ आयेगा , यह दुनिया जो गोल है ॥

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