Wednesday, 29 February 2012

फलक पकड़ के उठो और हवा पकड़ के चलो ।
फलक पकड़ के उठो और हवा पकड़ के चलो ।।

तुम चलो तो हिंदुस्‍तान चले ।
तुम चलो तो हिंदुस्‍तान चले ।।

लगाओ हाथ के सूरज सुबह निकाला करे ।
हथेलियों में भरे धूप और उछाला करे ।।

उफ़क़ पे पांव रखो और चलो अकड़ के चलो ।
फ़लक पकड़ के उठो और हवा पकड़ के चलो ।।

तुम चलो तो हिंदुस्‍तान चले ।
तुम चलो तो हिंदुस्‍तान चले ।।


किसने नहीं सुना होगा यह गीत
जितना मधुर है उतना ही मधुर इसका मतलब भी है ।
अगर हम चलेंगे तो देश भी चलेगा अगर हम चुप बैठे तो देश चलने की उम्मीदे नहीं रखनी चाहिए ।
अपने देश को हमें ही बदलना है ॥ 1947 में सिर्फ नाम की आज़ादी मिली है ,पर असल में हम अभी तक गुलाम है । अपने भविष्य को बेहतर बनाना है तो आज हमको अपने हक के लिए लड़ना ही होगा । किसी से आशा की उम्मीद रखने की बजाय हमें खुद अपनी लड़ाई लदनी है । सिर्फ सुब्रमणियम स्वामी ,अन्ना हज़ारे या बाबा रामदेव से आशा रखने की बजाय हमको उनका साथ देना है ।
 

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