आज
का youngistan कहता है कानून तोड़ने के लिए ही बनाए है । सच आज हमको एहसास
हो रहा कि युवा बिलकुल सही कह रहे है कानून होते ही तोड़ने के लिए । पर आम
जन के लिए नहीं , कानून वही तोड़ सकता जिसकी जेब भारी हो या जो राजनीतिक हो
तब ही वो कानून तोड़ने लायक समझा जाएगा ,
और अगर जिसकी जेब ही खाली हो और राजनीतिक का कोई जाना पहचाना न हो और कानून
तोड़ देता तो उसकी हड्डीया जरूर टूट जाएगी ।
वैसे आजकल कोंग्रेसी कार्यकर्ता और कॉंग्रेस के युवराज का या तो दिमाग चुनावी टेंशन की वजह से खराब हो गया या यह देश के कानून को अपने घर का नौकर समझ बैठे है । पता नहीं लोग क्यूँ इनके पीछे भागते है , क्यूँ आँखों पर काला चसमा पहन लिया है , यह जानते हुए कि कांग्रेस के युवराज के भाषण देना भी नहीं आता ठीक से । वो जो भी बोलते है वो पहले से तैयार रट्टा मार कर आते है ।
पता नहीं क्यूँ लोग समझ नहीं रहे कि यह राजनीतिक जनता को कितने हद तक बेवकूफ बना रहे है ,यह लोगो को काले चसमे पहना कर आंखो पर मिर्ची डाल रहे है ।
जिनको खुद का भाषण याद नहीं रहे वो लोगो के वादे क्या याद रखेंगे ?
जो रोजाना कानून का उलंगन करते है कानून तोड़ते है कल अगर जीत गए तो लोगो कि हड्डिया तोड़ेंगे । यह जनता को थोथे वादे बहुत दिखते है क्यूँ कि उनको पता इस देश के लोगो को बेवकूफ बनाना कोई मुस्किल काम नहीं ।
देशवासियों आंखो से काली पट्टी हटाओ और ईमानदार और सही व्यक्ति की पहचान करो ॥ अगर कोई भी उम्मीदवार ईमानदार नहीं या जनता का भला करने वाला नहीं तो हमारे संविधान की एक धारा 49-O में एक प्रावधान है जिसके अनुसार किसी भी चुनाव में मतदाता पोलिंग बूथ पर जाये, अपनी पहचान और मतदाता क्रमांक साबित करे, अपनी उंगली पर स्य!ही लगवाये,
और फ़िर चुनाव अधिकारी से यह कहे कि मैं किसी को वोट नहीं करना चाहता।
अगर ऐसा करोगे तो आपका वोट भी बेकार नहीं जाएगा।
अगर आप वोट नहीं देंगे तो कोई ना कोई जीत ही जाएगा पर अगर अपने अधिकार का उपयोग किया तो हो सकता दोनों प्रत्यासी जीत ही ना पाये और पुनः उनको चुनाव में टिकिट भी नहीं मिलेगा
मान लीजिये कि आपके क्षेत्र से कोई प्रत्याशी 2500 वोटों से जीतता है, लेकिन यदि उसी क्षेत्र में 2501 वोट “मुझे किसी को वोट नहीं देना” वाली धारा 49-O के निकलते हैं तो न सिर्फ़ उस प्रत्याशी का चुनाव रद्द हो जायेगा, बल्कि जब पुनः चुनाव होंगे !
उस वक्त पिछले सारे प्रत्याशियों को चुनाव में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा
वैसे आजकल कोंग्रेसी कार्यकर्ता और कॉंग्रेस के युवराज का या तो दिमाग चुनावी टेंशन की वजह से खराब हो गया या यह देश के कानून को अपने घर का नौकर समझ बैठे है । पता नहीं लोग क्यूँ इनके पीछे भागते है , क्यूँ आँखों पर काला चसमा पहन लिया है , यह जानते हुए कि कांग्रेस के युवराज के भाषण देना भी नहीं आता ठीक से । वो जो भी बोलते है वो पहले से तैयार रट्टा मार कर आते है ।
पता नहीं क्यूँ लोग समझ नहीं रहे कि यह राजनीतिक जनता को कितने हद तक बेवकूफ बना रहे है ,यह लोगो को काले चसमे पहना कर आंखो पर मिर्ची डाल रहे है ।
जिनको खुद का भाषण याद नहीं रहे वो लोगो के वादे क्या याद रखेंगे ?
जो रोजाना कानून का उलंगन करते है कानून तोड़ते है कल अगर जीत गए तो लोगो कि हड्डिया तोड़ेंगे । यह जनता को थोथे वादे बहुत दिखते है क्यूँ कि उनको पता इस देश के लोगो को बेवकूफ बनाना कोई मुस्किल काम नहीं ।
देशवासियों आंखो से काली पट्टी हटाओ और ईमानदार और सही व्यक्ति की पहचान करो ॥ अगर कोई भी उम्मीदवार ईमानदार नहीं या जनता का भला करने वाला नहीं तो हमारे संविधान की एक धारा 49-O में एक प्रावधान है जिसके अनुसार किसी भी चुनाव में मतदाता पोलिंग बूथ पर जाये, अपनी पहचान और मतदाता क्रमांक साबित करे, अपनी उंगली पर स्य!ही लगवाये,
और फ़िर चुनाव अधिकारी से यह कहे कि मैं किसी को वोट नहीं करना चाहता।
अगर ऐसा करोगे तो आपका वोट भी बेकार नहीं जाएगा।
अगर आप वोट नहीं देंगे तो कोई ना कोई जीत ही जाएगा पर अगर अपने अधिकार का उपयोग किया तो हो सकता दोनों प्रत्यासी जीत ही ना पाये और पुनः उनको चुनाव में टिकिट भी नहीं मिलेगा
मान लीजिये कि आपके क्षेत्र से कोई प्रत्याशी 2500 वोटों से जीतता है, लेकिन यदि उसी क्षेत्र में 2501 वोट “मुझे किसी को वोट नहीं देना” वाली धारा 49-O के निकलते हैं तो न सिर्फ़ उस प्रत्याशी का चुनाव रद्द हो जायेगा, बल्कि जब पुनः चुनाव होंगे !
उस वक्त पिछले सारे प्रत्याशियों को चुनाव में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा
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