Wednesday, 29 February 2012

बड़े बुजुर्ग कहा करते थे ,प्रतिस्परधा में किसी की रेखा को काटने की बजाय खुद की रेखा को ही बड़ा करना ही असल में योग्य व्यक्ति होता है । पर अब तो बूढ़ो का माथा ठनक गया । वैसे बूढ़ी तो हमारी दादी भी है पर आज भी ज्ञान की बाते बताती है ॥ मैं जिन बूढ़ो की बात कर रहा हूँ वो राजनीतिक बूढ़े है जिनका दिमाग आजकल घास चरने चला गया हो । बोलने वाला तो ऐसा बोलता कि उसको खुद को भी पता नहीं रहता कि वो क्या बोल रहा , और जो नहीं बोलता उनको पता ही नहीं कि बोले भी तो क्या बोले ,उसका मुह तो ऐसे बंद जैसे किसी ने fevikol से चिपका दिया है ।
आजकल रजीनीत के घमासान में यही हो रहा है दिग्विजय की जुबान बंद होती नहीं ,जो उनके मन में आया भोक दिये , जिस पर चाहा कीचड़ उछल दिये , और मनमोहन कि जुबान खुलती ही नहीं ।
वैसे कांग्रेसियों को राहुल की बड़ी चिंता होती है जब कोई उनके खिलाफ कुछ कर दे तो खैर नहीं , कांग्रेसी उनको RSS का एजेंट रामदेव समर्थक या और किसी का एजेंट बता देंगे जैसे आरएसएस या रामदेव बाबा कोई आतंकवादी हो ।
वैसे राजनीति को गंदा नहीं कहना चाहिए , गंदे तो राजनीतिक है , एक दूसरे पर आरोपो से ही बाज़ न आए , खासतौर से कांग्रेस तो आम आदमी को भी देशद्रोही बता सकती है ।
अगर कोई दल जीत कर सरकार बना लेता है तो वो ज़्यादातर समय विरोधियों की गलतियाँ गिनने में ही बिता देंगे , जनता से किए वादे तो उनको जूत चप्पल पड़ने पर याद आते है ।

आम जन को मैं इतना ही कहूँगा कि सोच समझ कर और सही पहचान कर ही अपना प्रत्यासी का चुनाव करना । जो रोज़ कानून का उलंगन करते है जीतने के बाद आपको बर्बाद करने के लिए भी कानून का उलंगन करेंगे । इतना सोच लो जो व्यक्ति विरोधियों कि गलतिया गिनाता रहेगा वो जनता का भला कभी नहीं कर सकेगा । दूसरों कि गलतिया गिनने कि बजाय खुद अच्छे काम कर के दिखाये ।
अगर कोई भी प्रत्यासी आपका भला नहीं कर सकता जनता का भला नहीं कर सकता तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 49 का उपयोग कर अपने अधिकार का प्रयोग जरूर करे ।
 

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