ज़िंदगी हर पल अपने अर्थ बदलती रही
हम हँसते रहे चाहे रोते रहे
पर वो अपनी रफ्तार से बस बहती रही
कभी बन कर सवाल कभी बन कर जवाब
वो हमें हर मोड पर मिलती रही
हम टूटते रहे बिखरते रहे
फिर खुद ही गिर कर संभालते रहे
और ज़िंदगी युही जलती बुजती रही
गम मिले कुछ इस तरह कि गम ही गम ना लगे
खुशियों की बात भी हमें गम बनाकर मिलती रही
क्या करे किसी से शिकवा , क्या करे किसी से शिकायत
अपने ही जब तोड़ते रहे ....
तो सांस मेरी हर पल घुटती रही
बस ज़िंदगी युही चलती रही हर पल अपने अर्थ बदलती रही
हम हँसते रहे चाहे रोते रहे
पर वो अपनी रफ्तार से बस बहती रही
कभी बन कर सवाल कभी बन कर जवाब
वो हमें हर मोड पर मिलती रही
हम टूटते रहे बिखरते रहे
फिर खुद ही गिर कर संभालते रहे
और ज़िंदगी युही जलती बुजती रही
गम मिले कुछ इस तरह कि गम ही गम ना लगे
खुशियों की बात भी हमें गम बनाकर मिलती रही
क्या करे किसी से शिकवा , क्या करे किसी से शिकायत
अपने ही जब तोड़ते रहे ....
तो सांस मेरी हर पल घुटती रही
बस ज़िंदगी युही चलती रही हर पल अपने अर्थ बदलती रही
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