Wednesday, 29 February 2012

अपनी ज़िम्मेदारी जरूर निभाए .... ईमानदार को जीताना हो या बेईमान को नकारना ,, फैसला जनता के हाथ में जनता के लिए ।
मित्रो यदि आप अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे किसी भी प्रत्यासी को पसंद नहीं करते तो भी आपको उनमे से किसी एक को वोट देना होता है या यदि आप वोट नहीं भी करते तो भी उनमे से कोई एक
विजयी होता है ! परन्तु यदि आप अपना अधिकार उपयोग में लायें तो वे सभी नाकारा साबित हो जायेंगे तथा दोबारा होने वाले चुनाव में उनमे से किसी को टिकेट भी नहीं मिलेगा !
आरक्षण हटाने के लिए यह सबसे उपयोगी हथियार साबित होगा
हमारे संविधान की एक धारा 49-O में एक प्रावधान है जिसके अनुसार किसी भी चुनाव में मतदाता पोलिंग बूथ पर जाये, अपनी पहचान और मतदाता क्रमांक साबित करे, अपनी उंगली पर स्य!ही लगवाये,
और फ़िर चुनाव अधिकारी से यह कहे कि मैं किसी को वोट नहीं करना चाहता। सवाल उठता है कि हमें ऐसा क्यों करना चाहिये?
मान लीजिये कि आपके वार्ड चुनावों में लगभग सारे प्रत्याशी या तो गुंडे-बदमाश हैं या उनमे से किसी एक को चुनना आपकी मजबूरी है , या फ़िर कोई निकम्मा उम्मीदवार पुनः मैदान में है और आप चाहते हैं कि सभी तो नालायक हैं, या आरक्षण के समर्थक हैं , मैं क्यों वोट दूँ? उस वक्त यह धारा काम आयेगी... मान लीजिये कि आपके क्षेत्र से कोई प्रत्याशी 2500 वोटों से जीतता है, लेकिन यदि उसी क्षेत्र में 2501 वोट “मुझे किसी को वोट नहीं देना” वाली धारा 49-O के निकलते हैं तो न सिर्फ़ उस प्रत्याशी का चुनाव रद्द हो जायेगा, बल्कि जब पुनः चुनाव होंगे !
उस वक्त पिछले सारे प्रत्याशियों को चुनाव में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा

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