आज हिंदुस्तान को भ्रष्टाचारियों और बेईमान लोगो ने देश को बहुत लाचार बना
दिया है , देश के ही मंत्री सरेआम कानूनों का उलंगन कर संविधान के नियमो की
धज्जिया उड़ा रहे है । देश की स्वायत संस्था को भी गलिया बकते है तो क्या
मतलब रहा संविधान का ॥ जो दिन रात संविधान
की पोथी लोगो को समझाते है क्या उन्होने कभी संविधान के दायरे में रहने की
जरूरत नहीं समझी ? पहले गलती करते फिर माफी , मतलब संविधान की हत्या करने
वाले को कोई सजा नहीं ??? पता नहीं क्यूँ हमको यह अधिकार नहीं कि जिस को हम
चुनकर देश कि बागडोर सोपते है उसी को हम ( जब वो गद्दार बन जाए, जब वो देश
की जनता के हित में काम नहीं कर रहे हो )पद से हटा सके , क्यूँ हमको उनके
उनके बनाए नियमो की पालना करनी पड़ती ,जबकि वो नियम जनता के हित में नहीं
हो । क्या यही हमारे स्वतंत्र भारत का संविधान है ?
मुझे पता है मेरी इस बात पर शायद कोई सहमत होगा पर इस भ्रष्ट सरकार और भ्रष्ट नौकरशाही को tax अदा करने से बेहतर हम खुद जनता की भलाई करे , कम से कम दुआ तो मिलेगी ॥
देश के विकास के लिए हम भारत के नागरिक tax जमा करवाते है , पर हम जो tax अदा करते उसका सिर्फ 20 % हिस्सा देश के विकास कार्यो में लगता है , बाकी की धनराशि सरकार के चैन सिस्टम में बंट जाती है , मतलब भ्रष्टाचार । हम आम जन अपने कमाए पैसो से अपना कारोबार करते है और लाभ का कुछ हिस्सा tax के रूप में अदा करना पड़ता है क्यूँ की हम चाहते है देश तरक्की करे ,पर तरक्की के नाम पर हम भारतियों को मंत्रियों की तरक्की मिलती है । हम आम जन के नौकर , हम भारतियों के नौकर हम पर हुकुम चला रहे है । सरकार को tax अदा करने वालों से मैं पूछना चाहूँगा कि क्या आप उन भ्रष्ट नेताओ के लिए कमाते हो ? अपने पैसो से उनको मौज मस्ती करते का मौका देते हो ? खुद कमाते हो तो खुद ही उसका उपयोग करो ,क्यूँ उन बेईमानो की तोंद बढ़ा रहे हो । यह लोग तो आम जन के हित में काम कम और खुद का हित ज्यादा रखते है , तो हम खुद क्यूँ न समाज के लिए काम करे । जितना हम tax अदा करते वही हम समाज के हित और देश के हित में लगाए तो 100 % देश का भला होगा ॥ पर नहीं अपने हाथो से समाज सेवा लोगो को गँवारी लगती इस लिए tax देते । सरकार को 100 Rs॰ tax देते तो 15 – 20 Rs ॰ देश के हित में लगता है तो पूरे 100 Rs॰ सीधे जन हित में लगाने से क्या बिगड़ जाएगा । मुझे पता है यह नहीं हो सकता पर नामुमकिन भी तो नहीं । अपना ग्रुप हो और पैसे वह जमा कर हम ऐसा कर सकते है । इस तरह की सरकार को tax देने से तो मुझे यही बेहतर लगा । बाकी आप सब का अनुभव । आज देश पर तकरीबन 10 लाख करोड़ का कर्जा है ,पर स्विस बैंक और भारत में ही जमा कालधन अगर सार्वजनिक हो तो इतनी देश का आर्थिक भंडार इतना होगा कि देश का 10 लाख करोड़ का कर्ज़ तो बहुत ही तुच्छ होगा । cwg , 2g तो छोटे छोटे घोटाले है देश में 26 लाख करोड़ का कोयला घोटाला और भी बड़े बड़े घोटाले है जो देश की जनता के समक्ष नहीं आने दिये जाते है । और वह इसलिए कि सरकार अपनी राजनीतिक रोटिया इन घोटालो की आंच पर सेकती रहे । जहा राहुल गांधी उत्तरप्रदेश में ओछी राजनीतिक बयान बाज़ी करते कि हमको 5 साल दो हम up को मॉडर्न राज्य बना देनेगे , तो राहुल जी केंद्र में सरकार आपके हाथ में है वह किस तरह देश को मॉडर्न बना रहे है ? घोटाले करके देश कि नाक कटवा कर ? बयान बाज़ी करने से पहले खुद के गिरबान में भी झकना सीखो । वही दूसरी और राजनीतिक पार्टियां ऐसे बयानो की ताक में रहते और कटाक्ष करना शुरू । राजनीति को इतना गंदा कर दिया कि गंगा भी नहलों तो छीटे जाएंगे नहीं । जनता के सामने अपराधियों को खड़ा कर दिया जाता कि इनमे से चुनो अपना नेता ॥ क्या खाक चुने इनमे से , देश के गरीबों को के अधिकारो का मज़ाक कर के रख दिया । क्यूँ चुनाव आयोग इन आपराधिक छवि वालों को चुनाव लड़ने की इजाजत दे देती । क्या चुनाव आयोग के पास भी वो अधिकार नहीं ? हाल ही के मतदान के आंकड़ो से यह प्रतीत होता है कि लोग अपराधियों को चुनने कि बजाय वोट न देना ही बेहतर समझा ।
आज फेसबुक से भला कौन नौजवान दूर होगा , यहा पर सभी वर्ग और सभी धर्म के लोग भी है
क्या आप लोगो को नहीं लगता कि आरक्षण देश कि एकता के लिए खतरा है ? क्या आप नहीं मानते कि आरक्षण देश में गृहयुद्ध से कम नहीं है ? एक अनुसूचित जाती का व्यापारी जिसकी सालाना आय 10 लाख हो तो उसे आरक्षण की क्या जरूरत ? एक ओबीसी का गरीब जिसके पास न तो नौकरी है न कोई काम क्या उसको आरक्षण की जरूरत नहीं ? तो फिर आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर ही क्यूँ ? क्या आप नहीं चाहते आरक्षण किसी धर्म विशेष या जाति के लिए ना रख कर गरीब निसक्त और बेसहारा लोगो के लिए रखा जाना चाहिए ?
फेसबुक पर आज नेता ,मंत्री और सरकारी अफसर या सरकारी कर्मचारी भी जुड़े हैं । या इन सबके नजदीकी लोग भी जुड़े है तो क्या उनको जरा भी शर्म महसूस नहीं होती जनता के साथ वो लोग छलावा करते है ।
इस पोस्ट को जो भी पढ़ता हो उनका कोई भी नजदीकी व्यक्ति राजनीति , सरकारी अफसर या सरकारी कर्मचारी है तो क्या तुम लोग नहीं चाहते देश में भ्रष्टाचार खत्म हो , सब अपनी ईमानदारी से काम करे ?
अगर आप सोचते है कि आपको किसी से क्या लेना देना क्यूँ कि आप तो ऐश मौज से जी रहे है तो भैया भूलना मत वक़्त बदलते देर नहीं लगती । और जब तक खुदा आप पर मेहरबान है तब तक तो सब आपके साथ होंगे पर जब ज़िंदगी में अंधेरा होगा तो परछाई भी साथ नहीं देगी ।
अगर अपने परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी या राजनीतिक है और वो भ्रष्टाचार में लिप्त है तो आप उनको रोक सकते हो ,, किसी गरीब ,निसक्त की बददुआ बड़ी भयानक होती है जो ज़िंदगी को नर्क बना सकती है ।
सिर्फ चिल्लाने से कुछ नहीं होगा कि “भ्रष्टाचार खत्म करो या ,हम तुम्हारे साथ है “संकल्प ले कि हम सच्चे मन से भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते है , न कोई रिश्वत लेगा , न कोई रिश्वत देगा , न रिश्वत देने देगा, न रिश्वत लेने देगा ।
मुझे पता है मेरी इस बात पर शायद कोई सहमत होगा पर इस भ्रष्ट सरकार और भ्रष्ट नौकरशाही को tax अदा करने से बेहतर हम खुद जनता की भलाई करे , कम से कम दुआ तो मिलेगी ॥
देश के विकास के लिए हम भारत के नागरिक tax जमा करवाते है , पर हम जो tax अदा करते उसका सिर्फ 20 % हिस्सा देश के विकास कार्यो में लगता है , बाकी की धनराशि सरकार के चैन सिस्टम में बंट जाती है , मतलब भ्रष्टाचार । हम आम जन अपने कमाए पैसो से अपना कारोबार करते है और लाभ का कुछ हिस्सा tax के रूप में अदा करना पड़ता है क्यूँ की हम चाहते है देश तरक्की करे ,पर तरक्की के नाम पर हम भारतियों को मंत्रियों की तरक्की मिलती है । हम आम जन के नौकर , हम भारतियों के नौकर हम पर हुकुम चला रहे है । सरकार को tax अदा करने वालों से मैं पूछना चाहूँगा कि क्या आप उन भ्रष्ट नेताओ के लिए कमाते हो ? अपने पैसो से उनको मौज मस्ती करते का मौका देते हो ? खुद कमाते हो तो खुद ही उसका उपयोग करो ,क्यूँ उन बेईमानो की तोंद बढ़ा रहे हो । यह लोग तो आम जन के हित में काम कम और खुद का हित ज्यादा रखते है , तो हम खुद क्यूँ न समाज के लिए काम करे । जितना हम tax अदा करते वही हम समाज के हित और देश के हित में लगाए तो 100 % देश का भला होगा ॥ पर नहीं अपने हाथो से समाज सेवा लोगो को गँवारी लगती इस लिए tax देते । सरकार को 100 Rs॰ tax देते तो 15 – 20 Rs ॰ देश के हित में लगता है तो पूरे 100 Rs॰ सीधे जन हित में लगाने से क्या बिगड़ जाएगा । मुझे पता है यह नहीं हो सकता पर नामुमकिन भी तो नहीं । अपना ग्रुप हो और पैसे वह जमा कर हम ऐसा कर सकते है । इस तरह की सरकार को tax देने से तो मुझे यही बेहतर लगा । बाकी आप सब का अनुभव । आज देश पर तकरीबन 10 लाख करोड़ का कर्जा है ,पर स्विस बैंक और भारत में ही जमा कालधन अगर सार्वजनिक हो तो इतनी देश का आर्थिक भंडार इतना होगा कि देश का 10 लाख करोड़ का कर्ज़ तो बहुत ही तुच्छ होगा । cwg , 2g तो छोटे छोटे घोटाले है देश में 26 लाख करोड़ का कोयला घोटाला और भी बड़े बड़े घोटाले है जो देश की जनता के समक्ष नहीं आने दिये जाते है । और वह इसलिए कि सरकार अपनी राजनीतिक रोटिया इन घोटालो की आंच पर सेकती रहे । जहा राहुल गांधी उत्तरप्रदेश में ओछी राजनीतिक बयान बाज़ी करते कि हमको 5 साल दो हम up को मॉडर्न राज्य बना देनेगे , तो राहुल जी केंद्र में सरकार आपके हाथ में है वह किस तरह देश को मॉडर्न बना रहे है ? घोटाले करके देश कि नाक कटवा कर ? बयान बाज़ी करने से पहले खुद के गिरबान में भी झकना सीखो । वही दूसरी और राजनीतिक पार्टियां ऐसे बयानो की ताक में रहते और कटाक्ष करना शुरू । राजनीति को इतना गंदा कर दिया कि गंगा भी नहलों तो छीटे जाएंगे नहीं । जनता के सामने अपराधियों को खड़ा कर दिया जाता कि इनमे से चुनो अपना नेता ॥ क्या खाक चुने इनमे से , देश के गरीबों को के अधिकारो का मज़ाक कर के रख दिया । क्यूँ चुनाव आयोग इन आपराधिक छवि वालों को चुनाव लड़ने की इजाजत दे देती । क्या चुनाव आयोग के पास भी वो अधिकार नहीं ? हाल ही के मतदान के आंकड़ो से यह प्रतीत होता है कि लोग अपराधियों को चुनने कि बजाय वोट न देना ही बेहतर समझा ।
आज फेसबुक से भला कौन नौजवान दूर होगा , यहा पर सभी वर्ग और सभी धर्म के लोग भी है
क्या आप लोगो को नहीं लगता कि आरक्षण देश कि एकता के लिए खतरा है ? क्या आप नहीं मानते कि आरक्षण देश में गृहयुद्ध से कम नहीं है ? एक अनुसूचित जाती का व्यापारी जिसकी सालाना आय 10 लाख हो तो उसे आरक्षण की क्या जरूरत ? एक ओबीसी का गरीब जिसके पास न तो नौकरी है न कोई काम क्या उसको आरक्षण की जरूरत नहीं ? तो फिर आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर ही क्यूँ ? क्या आप नहीं चाहते आरक्षण किसी धर्म विशेष या जाति के लिए ना रख कर गरीब निसक्त और बेसहारा लोगो के लिए रखा जाना चाहिए ?
फेसबुक पर आज नेता ,मंत्री और सरकारी अफसर या सरकारी कर्मचारी भी जुड़े हैं । या इन सबके नजदीकी लोग भी जुड़े है तो क्या उनको जरा भी शर्म महसूस नहीं होती जनता के साथ वो लोग छलावा करते है ।
इस पोस्ट को जो भी पढ़ता हो उनका कोई भी नजदीकी व्यक्ति राजनीति , सरकारी अफसर या सरकारी कर्मचारी है तो क्या तुम लोग नहीं चाहते देश में भ्रष्टाचार खत्म हो , सब अपनी ईमानदारी से काम करे ?
अगर आप सोचते है कि आपको किसी से क्या लेना देना क्यूँ कि आप तो ऐश मौज से जी रहे है तो भैया भूलना मत वक़्त बदलते देर नहीं लगती । और जब तक खुदा आप पर मेहरबान है तब तक तो सब आपके साथ होंगे पर जब ज़िंदगी में अंधेरा होगा तो परछाई भी साथ नहीं देगी ।
अगर अपने परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी या राजनीतिक है और वो भ्रष्टाचार में लिप्त है तो आप उनको रोक सकते हो ,, किसी गरीब ,निसक्त की बददुआ बड़ी भयानक होती है जो ज़िंदगी को नर्क बना सकती है ।
सिर्फ चिल्लाने से कुछ नहीं होगा कि “भ्रष्टाचार खत्म करो या ,हम तुम्हारे साथ है “संकल्प ले कि हम सच्चे मन से भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते है , न कोई रिश्वत लेगा , न कोई रिश्वत देगा , न रिश्वत देने देगा, न रिश्वत लेने देगा ।
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