रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी,
होली की भर लो पिचकारी ।
इक-दूजे को रंग दो ऐसे,
मिटें दूरियां दिल की सारी ।
तन भी रंग लो मन भी रंग लो,
परंपरा यह कितनी न्यारी ।
रंगों का त्योहार अनोखा,
आज है पुलकित हर नर-नारी ।
प्रेम-पर्व है आज बुझा दो,
नफ़रत की हर-इक चिंगारी ।
जाति-धर्म का भेद भुला दो,
मानवता के बनो पुजारी ।
मेलजोल में शक्ति बहुत है
वैर-भाव तो है बीमारी ।
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