सारा जग सदियों से जिसके गुण गावत
भगवान जहाँ रहते, है सूर्य जहाँ जागत
पूजते हैं गौ माता, जिनमे सारे देव विराजत
पधारे सुदामा हों,, तो भी कृष्ण करें स्वागत
करोड़ों विशिष्ठिताओं में, ये भी एक बात है
कि नदी और पहाड़ भी, पूजे यहाँ जावत
सदियों से पुण्य भूमि, युग-युग से दिव्य शाश्वत
है माँ के जैसी ममता, देवी स्वरुप जाग्रत
समूचे विश्व को सिखाई जिसने शांति पूजा,
उसी में ही रची है वीरों ने महाभारत
पूरे विश्व को जिसने गिनती सिखाई,
विश्व-विजयी हो के भी विनती सिखाई,
मेरे गायकों की राग से दीपक जल जावत
हिमालय हैं उत्तर के पहले प्रभारी,
सागर भी करते हैं रक्षा हमारी,
मेरे देश में है ईश्वरीय ताकत
देश के युवाओं को नींद से जगाया,
भारत क्या है पूरे विश्व को बताया,
उठो- जागो- आगे बढ़ो नारा लगाया,
ऐसे विवेकानंद को कौन नहीं जानत
सुप्रभात भारत
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