समय के कुछ पल भले ही बुरे हो
पर समय हर वक़्त गद्दार नहीं
सूरज समा जाए चाँद की आग़ोश में
पर चाँद की चाँदनी बेकार नहीं
सुख-दुख तो ज़िंदगी का हिस्सा है
पर इसके बिना ज़िंदगी का सार नहीं
पाना है लक्ष्य को, हो चाहे लाखो मुश्किले
तान कर सीना बढ़ जा आगे कि मानेगा तू हार नहीं
रूठे को मना दे ,दुश्मन को भी यार बना दे
उन मधुर अल्फ़ाज़ों से तेज तलवार की धार नहीं
सुख दुख के हर पालो में हाथ जो थामे रहे
भटके को पथ दिखाये उससे बड़ा कोई यार नहीं
जगत की सारी खुशियाँ माँ के चरणों में है
माँ की ममता से बढ़कर कोई प्यार नहीं
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