नन्ही सी कोमल काली
रुई के फाहे सी सफ़ेद
घने काले केशों के संग
मानो श्याम मेघो के
बीच चंदा ,रहा चमक
इन्द्रधनुषी आभा सी दमकती
मेरे आँगन में चमकती
नयनों की डिबिया को
झप-झप झपकाती
कस के बंद
गुलाबी मुट्ठियों को
हिलती डुलती
अलि सी गुनगुन में
गुनगुनाती -इठलाती
हमारी दुलारी है तू
चाँद सी प्यारी है तू
रौशन होगा तुमसे ही
अपने घर का हर कोना
हर त्योहार में तू ही
रचेगी बसेगी
तेरी किलकारी से
हमारी दुनिया सजेगी
जब-जब तू खिलखिलाएगी
भतीजी ! हमारी दुनिया जगमगाएगी
"प्यारी पवित्रा हमारी "
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