अरमान दिल के लेकर चला
तो देखा वाहनो का आना जाना
कोई इधर भागे तो कोई उधर
ना जाने किसको कहाँ जाना
आशाओ के पहिये लुढ़क रहे
फितरत इनकी
कदमो से आगे बढ़ जाना
अकेला ही निकाल पड़ा
कि
मुझको है मंजिल पाना
कदम बढ़ाए चल दिया
था मौसम सुहाना
पर दिल में उपजी शंका
कि
आखिर है कहाँ अपना ठिकाना
No comments:
Post a Comment