रोज़ की तरह आज भी मैं अपने काम पर निकल गया | रास्ते में कल्लू की छोटी
सी चाय की होटल पड़ती है | हाँ मैं वह ज्यादा रुकता तो नहीं पर जाते जाते
कल्लू के हाथ की चाय पी कर ही जाता , और आते जाते चार लोगो से बाते भी हो
जाती और इधर उधर की उधार की बाते भी सुनाने को मिलाती | अगर थोडा जल्दी आ
जाता तो अख़बार भी(घर में t.v. नहीं है ,आज भी वही पुराने हालत है हमारे
घर के ,बड़े बुजुर्ग तो उकने खयालो में ही जीना चाहते है और होना भी
चाहिए ,भला परम्परा को तोड़ कैसे दिया जाये ,पर फिर भी अब वक़्त बदल रहा तो
बड़े बुजुर्ग न सही हमको तो बदलना ही होगा ) पढने बैठ जाता ,देश विदेश की
खबरों को देख कर मन में कई सवाल आते कि कितना बदल गया इन्सान और इन्सान
ने इस प्राकृतिक के स्वछ माहोल को भी इतना बदल गया कि आने वाली पीढ़ी तो
जन्म लेते ही बीमारियाँ साथ में लाती है |
आइये राजाबाबू आज बड़े फुर्सत में लग रहे है ; कल्लू ने कहा
कल्लू कि मुस्कराहट इतनी स्वच्छ और अच्छी कि हर किसी का मन मोह लेती है इसीलिए हम कल्लू कि दुकान पर ही अक्सर आते है
अरे कल्लू भैया आज सुबह ताउजी से जल्दी उठाया कि जाओ थोडा टहल कर आजाओ और व्यायाम करो ताकि स्वाती अच्छा बना रहे वरना अब के वातावरण के हिसाब से तो ज़िन्दगी का अर्द्सतक भी नहीं लगा पाओगे |
कल्लू को हंसी आ गयी और कहने लगा ; ताउजी की बात में सोलह आना सच्चाई है राजा बाबु ,,सही कहा ताउजी ने अब वातावरण ही ऐसा हो गया कि जन्म जात बच्चा भी बीमार पैदा होता है |
कल्लू चाय बना रहा था ,,उसकी चाय कि महक इतनी जबरदस्त थी कि आज इया चाय न पीवे तो पूरा दिन मलाल होगा ..
मैंने हंसकर कहा ;कल्लू भैया जे आज तुमरे हाथ कि चाय न पीवे तो आज हमरा दिन अच्छा नहीं जावेगा ,एक मस्त चाय तो पिला दो भाई |
कल्लू ; अभी लाया राजा बाबु
कल्लू चाय देते देते कह रहा था ; अरे राजा बाबु आपको पता है धनिया को लड़का हुआ ,,"बेचारा धनिया " कहकर कल्लू अपने काम में लग गया |
अरे यह तो बहुत ही अच्छी बात है कल्लू भैया पर बात क्या है तुमने धनिया को "बेचारा कहा ?"
कल्लू ;बेचारा नहीं तो क्या भाग्यशाली कहूं ,अरे राजा बाबु धनिया कि शादी हुए ८ साल हो गए और अब जाकर औलाद का सुख मिला ,पर ऊपर वाले ने जरा भी दया नहीं की बिचारे इस गरीब पर ,धनिया तो रात से ही खून के आंसू रोये जा रहा है ,और उसकी पत्नी की तो हालत देखी न जाय ऐसी होई गावी है |
पर कल्लू भैया बात क्या है आखिर हुआ क्या है ? मैंने पूछा
राजा बाबु धनिया की लुगाई ने बच्चे को जन्म दिया ,तब तो बहुतो ख़ुशी का माहोल था ,, धनिया और उसकी पत्नी की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा ..पर जैसे ही डोक्टर ने चेक करके बताया कि बच्चा न तो बोल सकेगा न चल सकेगा | मतलब बच्चा विकलांग है .. पोलियो ग्रस्त है , तब धनिया और उसकी पत्नी पर मनो पहाड़ टूट पड़ा हो |
यह तो बहुत ही दुःख कि बात है कल्लू भैया.... इस पीढ़ी के विकलांग विचारों ,विकलांग सोच ,कि तरह जन्मजात बच्चो पर भी इनका प्रभाव पड़ने लगा है ..
तभी मास्टर जी आ गए होटल पर
कहिए मास्टरजी आज रास्ता भूल कर इधर का रुख कैसे ? ( मैंने मुस्कुरा कर कहा )
अरे ऐसी बात नहीं राजा बाबु , आज स्कूल का अवकाश घोषित किया गया तो सोचा कल्लू कि दुकान हो आऊ |
चलो अच्छा किया मास्टर जी , पर आज तो सन्डे नहीं फिर काहे का अवकाश ? ; मैंने पूछा
स्कूल क्या बाज़ार भी बंद है आज तो ; मास्टर जी ने कहा
क्या ? बाज़ार भी बंद ? पर क्यों मास्टर जी ?सब कुछ ठीक तो है न ? ;मैंने आश्चर्य से पूछा
काहे का ठीक है राजा बाबु इस देश के नेता और मंत्री इस देश को अपने देश कि जागीर समझते है इसलिए जब चाहे अवकाश जब चाहे जब चाहे बाज़ार बंद | कोई शेर है तो कोई सवा शेर | अपने मतलब के लिए लोगो का जीना हराम कर रहे है |
पर आज क्या हुआ मास्टरजी जो बाज़ार और स्कूल बंद करवाएं है ; मैंने पूछा
होना क्या है कुछ समाजकंटक लोगो ने सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री पर कोई टिपण्णी कर दी ,उसी के रोस में मंत्रीजी के समर्थको ने हड़ताल करवा दी और हुडदंग मचा रखा है ,सब काम ठप करवा दिया है |
लोगो को क्या चाहिए ,कुछ पैसे फेक देते और दारू वारु पिला देते ,, तो लोग उनके लिए कुछ भी करने पर उतर जाते है
हाँ मास्टर जी ,धनिया के बच्चे कि तरह यह देश भी विकलांग हो गया है ..मैंने कहा
क्या ? धनिया के बच्चा विकलांग ? मास्टर जी ने पूछा
हाँ मास्टर जी , अब ज़माने का माहोल है ही ऐसा कि जन्मजात बच्चे भी विकलांग और बीमारियाँ लेकर ही जन्म लेते है ,
हमारे देश का भी यही हाल है मास्टरजी ,,, कितने तो भ्रष्टाचारी नेता है जो सरकार चला रहे है ,सब को पता है पर कोई कुछ नहीं कर पा रहा है ,क्यों कि कानून इनके हाथ में है सरकार इनके हाथ में तो इनको कौन पूछे | अगर पूछने की कोई हिम्मत करता तो वो लोग उल्टा उनको ही भ्रष्टाचारी साबित कर देते | आखिर नेताओ का काम ही राजनीती खेलना है पर कोई इस तरह की राजनीती करेगा यह किसी ने नहीं सोचा .. यह लोग पैसो के इतने भूखे हो गए कि खुद भूल गए कानून कायदे भी कोई चीज़ है , अगर है भी तो यह लोग अच्छी तरह भाव तोल करना जानते है कानून ,कायदे का | अरे पैसे ने इनको ऐसा अँधा बना दिया कि इनको तो यह भी नहीं पता कि देश के तिरंगे का कौनसा रंग ऊपर रहता | ऐसे नेताओ को गंवार कहें तो कोई गलत बात नहीं होगी . हर काम में राजनीती करते है चाहे शिक्षा हो,देश के विकाश कि बात हो ,किसी गरीब कि फरियाद भी क्यों न हो ,यह लोग उसमे भी राजनीती करने में नहीं चुकते ..| एक तरफ देश में पूंजीवादी और इन् नेताओ जैसो का सशक्त पैर है तो दूसरी तरफ ,गरीबी,महंगाई ,भ्रष्टाचार और देश के हालातो का लचर पैर , धनिया के बच्चे को तो कोई सहारा दे देगा पर इस विकलांग देश को कौन सहारा देगा . महंगाई दिनों दिन असमान छू रही है , पेट्रोल ,डीजल के भाव तो महीने में एक बार बढ़ाना जरुरी हो गया , टैक्स भी बढ़ा देते ,क्यों कि देश का खजाना खाली हो रहा है | घर का भेदी लंका ढहाए , बिलकुल सटीक बात है ,देश के लोग देश का धन जो टैक्स के मार्फ़त और गरीब किसान कि कमी से जमा हुआ है उसे बेपरवाह लुटा रहे है | अरे क्या मरते वक़्त साथ ले जायेंगे क्या .. कुछ साथ नहीं चलेगा सिर्फ भलाई और पुन्य ही साथ चलेंगे ,, जितना भ्रष्टाचार किया अगर उतनी भलाई की होती तो लोग घर में भगवन के साथ इनकी भी पुजा करते | पर इन भ्रष्ट बुद्धि के इन्सान जिनकी तुलना कुत्ते से भी नहीं की जा सकती ,क्यों की कुत्ता भी अपने मालिक का वफादार होता है ... वोह जिस थाली में खता उस थाली में कभी छेद नहीं करता ,पर यह भ्रष्टाचारी तो वोह वादे भी भूल जाते जो उन्होंने वोट मांगते वक़्त किये थे | नमक हराम है जो वादों से मुकर जाये | शिक्षा के लिए स्कूल तो बहुत है पर शिक्षा का स्तर क्या है यह बात नेताजी बखूबी जानते है ,क्यों नेता और मंत्री अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में पढने भेजने की बजाय प्राइवेट स्कूल में भेजते | क्यूँ की वह शिक्षा नहीं है | क्यों नहीं शिक्षा सरकारी स्कूल में क्यों ध्यान नहीं दिया जाता ,| क्यों की वह गरीब लोग जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर है वोह मजबूरन उनके बच्चो को वह पढ़ा देंगे |
अब तो इस देश के लोगो को भी विकलांगता की आदत पड़ चुकी है | सब विकलांग हुए जा रहे है सब को सहारे की जरुरत होने लगी है | आज का इन्सान मदद का मोहताज़ हो गया है | हर पल मदद की ही आशा रखता है |
आम आदमी देश के काम को अपना समझते नहीं क्यों की जब सरकारी कर्मचारी ही काम के वक़्त नदारद हो तो ,आम आदमी को देश की क्या पड़ी .. |
मैं तमाम देश वाशियों से गुजारिश करूँगा कि आज देश अर्द विकलांग है , देश को पूरा विकलांग होने से बचाना है तो अपने आप को सुधारो ,,अगर देश का हर एक बंदा सुधर जाता है तो पूरा देश सुधर गया .. | क्यों की बुराई हम खुद में है | अगर हम रिश्वत लेना और देना बंद करे तो भ्रष्टाचार तो ख़त्म हो जायेगा | पर यह काम कोई आन्दोलन करने या जन चेतना करने की बजाय हर हिन्दुस्तानी दिल से ठान ले तो ही संभव है . वरना कितने भी आन्दोलन हो जाये ,कुत्ते की दुम सीधी होना मुमकिन नहीं |
अगर दिल से सच्चे न बने तो इस विकलांग देश को गिरने से कोई नहीं बचा सकता | हम चाहते है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम विकलांग नहीं एक स्वस्थ देश सोपे |
अपना इमान मत बेचो ,अपने आने वाली पीढ़ी का जीवन बर्बाद मत करो , देश को बर्बाद होने से बचा लो |
:- राजू सीरवी (राठौड़)
आइये राजाबाबू आज बड़े फुर्सत में लग रहे है ; कल्लू ने कहा
कल्लू कि मुस्कराहट इतनी स्वच्छ और अच्छी कि हर किसी का मन मोह लेती है इसीलिए हम कल्लू कि दुकान पर ही अक्सर आते है
अरे कल्लू भैया आज सुबह ताउजी से जल्दी उठाया कि जाओ थोडा टहल कर आजाओ और व्यायाम करो ताकि स्वाती अच्छा बना रहे वरना अब के वातावरण के हिसाब से तो ज़िन्दगी का अर्द्सतक भी नहीं लगा पाओगे |
कल्लू को हंसी आ गयी और कहने लगा ; ताउजी की बात में सोलह आना सच्चाई है राजा बाबु ,,सही कहा ताउजी ने अब वातावरण ही ऐसा हो गया कि जन्म जात बच्चा भी बीमार पैदा होता है |
कल्लू चाय बना रहा था ,,उसकी चाय कि महक इतनी जबरदस्त थी कि आज इया चाय न पीवे तो पूरा दिन मलाल होगा ..
मैंने हंसकर कहा ;कल्लू भैया जे आज तुमरे हाथ कि चाय न पीवे तो आज हमरा दिन अच्छा नहीं जावेगा ,एक मस्त चाय तो पिला दो भाई |
कल्लू ; अभी लाया राजा बाबु
कल्लू चाय देते देते कह रहा था ; अरे राजा बाबु आपको पता है धनिया को लड़का हुआ ,,"बेचारा धनिया " कहकर कल्लू अपने काम में लग गया |
अरे यह तो बहुत ही अच्छी बात है कल्लू भैया पर बात क्या है तुमने धनिया को "बेचारा कहा ?"
कल्लू ;बेचारा नहीं तो क्या भाग्यशाली कहूं ,अरे राजा बाबु धनिया कि शादी हुए ८ साल हो गए और अब जाकर औलाद का सुख मिला ,पर ऊपर वाले ने जरा भी दया नहीं की बिचारे इस गरीब पर ,धनिया तो रात से ही खून के आंसू रोये जा रहा है ,और उसकी पत्नी की तो हालत देखी न जाय ऐसी होई गावी है |
पर कल्लू भैया बात क्या है आखिर हुआ क्या है ? मैंने पूछा
राजा बाबु धनिया की लुगाई ने बच्चे को जन्म दिया ,तब तो बहुतो ख़ुशी का माहोल था ,, धनिया और उसकी पत्नी की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा ..पर जैसे ही डोक्टर ने चेक करके बताया कि बच्चा न तो बोल सकेगा न चल सकेगा | मतलब बच्चा विकलांग है .. पोलियो ग्रस्त है , तब धनिया और उसकी पत्नी पर मनो पहाड़ टूट पड़ा हो |
यह तो बहुत ही दुःख कि बात है कल्लू भैया.... इस पीढ़ी के विकलांग विचारों ,विकलांग सोच ,कि तरह जन्मजात बच्चो पर भी इनका प्रभाव पड़ने लगा है ..
तभी मास्टर जी आ गए होटल पर
कहिए मास्टरजी आज रास्ता भूल कर इधर का रुख कैसे ? ( मैंने मुस्कुरा कर कहा )
अरे ऐसी बात नहीं राजा बाबु , आज स्कूल का अवकाश घोषित किया गया तो सोचा कल्लू कि दुकान हो आऊ |
चलो अच्छा किया मास्टर जी , पर आज तो सन्डे नहीं फिर काहे का अवकाश ? ; मैंने पूछा
स्कूल क्या बाज़ार भी बंद है आज तो ; मास्टर जी ने कहा
क्या ? बाज़ार भी बंद ? पर क्यों मास्टर जी ?सब कुछ ठीक तो है न ? ;मैंने आश्चर्य से पूछा
काहे का ठीक है राजा बाबु इस देश के नेता और मंत्री इस देश को अपने देश कि जागीर समझते है इसलिए जब चाहे अवकाश जब चाहे जब चाहे बाज़ार बंद | कोई शेर है तो कोई सवा शेर | अपने मतलब के लिए लोगो का जीना हराम कर रहे है |
पर आज क्या हुआ मास्टरजी जो बाज़ार और स्कूल बंद करवाएं है ; मैंने पूछा
होना क्या है कुछ समाजकंटक लोगो ने सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री पर कोई टिपण्णी कर दी ,उसी के रोस में मंत्रीजी के समर्थको ने हड़ताल करवा दी और हुडदंग मचा रखा है ,सब काम ठप करवा दिया है |
लोगो को क्या चाहिए ,कुछ पैसे फेक देते और दारू वारु पिला देते ,, तो लोग उनके लिए कुछ भी करने पर उतर जाते है
हाँ मास्टर जी ,धनिया के बच्चे कि तरह यह देश भी विकलांग हो गया है ..मैंने कहा
क्या ? धनिया के बच्चा विकलांग ? मास्टर जी ने पूछा
हाँ मास्टर जी , अब ज़माने का माहोल है ही ऐसा कि जन्मजात बच्चे भी विकलांग और बीमारियाँ लेकर ही जन्म लेते है ,
हमारे देश का भी यही हाल है मास्टरजी ,,, कितने तो भ्रष्टाचारी नेता है जो सरकार चला रहे है ,सब को पता है पर कोई कुछ नहीं कर पा रहा है ,क्यों कि कानून इनके हाथ में है सरकार इनके हाथ में तो इनको कौन पूछे | अगर पूछने की कोई हिम्मत करता तो वो लोग उल्टा उनको ही भ्रष्टाचारी साबित कर देते | आखिर नेताओ का काम ही राजनीती खेलना है पर कोई इस तरह की राजनीती करेगा यह किसी ने नहीं सोचा .. यह लोग पैसो के इतने भूखे हो गए कि खुद भूल गए कानून कायदे भी कोई चीज़ है , अगर है भी तो यह लोग अच्छी तरह भाव तोल करना जानते है कानून ,कायदे का | अरे पैसे ने इनको ऐसा अँधा बना दिया कि इनको तो यह भी नहीं पता कि देश के तिरंगे का कौनसा रंग ऊपर रहता | ऐसे नेताओ को गंवार कहें तो कोई गलत बात नहीं होगी . हर काम में राजनीती करते है चाहे शिक्षा हो,देश के विकाश कि बात हो ,किसी गरीब कि फरियाद भी क्यों न हो ,यह लोग उसमे भी राजनीती करने में नहीं चुकते ..| एक तरफ देश में पूंजीवादी और इन् नेताओ जैसो का सशक्त पैर है तो दूसरी तरफ ,गरीबी,महंगाई ,भ्रष्टाचार और देश के हालातो का लचर पैर , धनिया के बच्चे को तो कोई सहारा दे देगा पर इस विकलांग देश को कौन सहारा देगा . महंगाई दिनों दिन असमान छू रही है , पेट्रोल ,डीजल के भाव तो महीने में एक बार बढ़ाना जरुरी हो गया , टैक्स भी बढ़ा देते ,क्यों कि देश का खजाना खाली हो रहा है | घर का भेदी लंका ढहाए , बिलकुल सटीक बात है ,देश के लोग देश का धन जो टैक्स के मार्फ़त और गरीब किसान कि कमी से जमा हुआ है उसे बेपरवाह लुटा रहे है | अरे क्या मरते वक़्त साथ ले जायेंगे क्या .. कुछ साथ नहीं चलेगा सिर्फ भलाई और पुन्य ही साथ चलेंगे ,, जितना भ्रष्टाचार किया अगर उतनी भलाई की होती तो लोग घर में भगवन के साथ इनकी भी पुजा करते | पर इन भ्रष्ट बुद्धि के इन्सान जिनकी तुलना कुत्ते से भी नहीं की जा सकती ,क्यों की कुत्ता भी अपने मालिक का वफादार होता है ... वोह जिस थाली में खता उस थाली में कभी छेद नहीं करता ,पर यह भ्रष्टाचारी तो वोह वादे भी भूल जाते जो उन्होंने वोट मांगते वक़्त किये थे | नमक हराम है जो वादों से मुकर जाये | शिक्षा के लिए स्कूल तो बहुत है पर शिक्षा का स्तर क्या है यह बात नेताजी बखूबी जानते है ,क्यों नेता और मंत्री अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में पढने भेजने की बजाय प्राइवेट स्कूल में भेजते | क्यूँ की वह शिक्षा नहीं है | क्यों नहीं शिक्षा सरकारी स्कूल में क्यों ध्यान नहीं दिया जाता ,| क्यों की वह गरीब लोग जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर है वोह मजबूरन उनके बच्चो को वह पढ़ा देंगे |
अब तो इस देश के लोगो को भी विकलांगता की आदत पड़ चुकी है | सब विकलांग हुए जा रहे है सब को सहारे की जरुरत होने लगी है | आज का इन्सान मदद का मोहताज़ हो गया है | हर पल मदद की ही आशा रखता है |
आम आदमी देश के काम को अपना समझते नहीं क्यों की जब सरकारी कर्मचारी ही काम के वक़्त नदारद हो तो ,आम आदमी को देश की क्या पड़ी .. |
मैं तमाम देश वाशियों से गुजारिश करूँगा कि आज देश अर्द विकलांग है , देश को पूरा विकलांग होने से बचाना है तो अपने आप को सुधारो ,,अगर देश का हर एक बंदा सुधर जाता है तो पूरा देश सुधर गया .. | क्यों की बुराई हम खुद में है | अगर हम रिश्वत लेना और देना बंद करे तो भ्रष्टाचार तो ख़त्म हो जायेगा | पर यह काम कोई आन्दोलन करने या जन चेतना करने की बजाय हर हिन्दुस्तानी दिल से ठान ले तो ही संभव है . वरना कितने भी आन्दोलन हो जाये ,कुत्ते की दुम सीधी होना मुमकिन नहीं |
अगर दिल से सच्चे न बने तो इस विकलांग देश को गिरने से कोई नहीं बचा सकता | हम चाहते है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम विकलांग नहीं एक स्वस्थ देश सोपे |
अपना इमान मत बेचो ,अपने आने वाली पीढ़ी का जीवन बर्बाद मत करो , देश को बर्बाद होने से बचा लो |
:- राजू सीरवी (राठौड़)
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