अनमोल है ज़िन्दगी ,जीना है मुस्कुराकर
हर पल जियो ख़ुशी से ,हर गम भुलाकर
खाली हाथ आये थे खाली हाथ जायेंगे
चंद लफ्जों के अल्फाज़ ,दिलो में रह जायेंगे
सुख दुख सब के बांटकर , रहना सबको एक
ऐसा कुछ कर जाओ, कि जाने के बाद भी कहे बंदा था नेक
गरीबो की सहायता ही है हमारा कर्म
इंसानियत को ही मानो अपना सच्चा धर्म
जात पांत का भेद न हो , न हो ऊंच नीच का अंतर
इंसानियत ही मजहब हमारा ,यही हो हमारा मन्त्र
एक दूजे का हाथ बटाना, रहना है मिलजुल कर
द्वेष किसी से मत रखना ,दुःख न देना छलकर
अनमोल है ज़िन्दगी ,जीना है मुस्कुराकर
:-राजू सीरवी (राठौड़)
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