एक किसान ने अपने पड़ोसी की बेवजह बहुत निंदा की बहुत भला बुरा कहा | पड़ोसी को उसकी बातो से बुरा तो लगा पर वह शांत रहा | जब किसान को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह पड़ोसी के पास जाकर माफ़ी मांगने लगा , और कहा की मैं अपने कहे शब्द वापस लेता हूँ | पड़ोसी ने कहा - माफ़ी एक शर्त पर ही मिल सकती है | किसान ने कहा " जो भी शर्त होगी मुझे मंजूर है "| पड़ोसी ने एक पंखो का थेला किसान को थमा कर बोला " इस थेले को गाँव के चोराहे पर खाली कर के आ जाओ | किसान थेला लेकर गया और गाँव के चोराहे पर खाली करके वापस आ गया | किसान ने कहा " मैं थेला खाली कर आया अब मुझे माफ़ कर दो भाई | पड़ोसी ने कहा " अब तुम वापस चोराहे पर जाकर उन्ही पंखो को इक्कठा कर के यह थेला फिर से भर कर लाओ | किसान चोराहे पर गया पर सरे पंख तो बिखर और उड़ गए और इक्कठा करना नामुमकिन हो गया था | किसान वापस पड़ोसी के पास आया और कहा " अब मेरी मति ठिकाने आ गयी भाई " जो शब्द एक बार मुँह से निकल जाते उसे वापस लेना नामुमकिन होता है | पड़ोसी ने किसान से कहा " तुमने बात तो कह दी पर अब वापस नहीं ले सकते , इसलिए शब्दों के चुनाव में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए | जो कुछ बोलो तो पहले जरुर तोलो , शब्दों को तोल कर ही अपना मुँह खोलो ..
:- राजू सीरवी (राठौड़)
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