Saturday 26 November 2011

::अब तो जागो::

अब तो जाग ऐ देश के बन्दे 
मत बनो तुम सब देखकर भी अंधे 
हो गए राजनीतिक बहुत ही गंधे 
चलाते है खुद गैर क़ानूनी धंधे 
जनता को लुटने के है सैकड़ो हथकंडे 
आम जनता पर बरसते है रोजाना डंडे 
गरीब फिरते बिना कपड़े और अधनंगे 
नेता दिखते हर पल हेंडसम और चंगे 
मौज मानते हर पल,सन्डे हो या मंडे 
इश्क भी फरमाते यहाँ बूढ़े मुश्कंडे 
वोट के खातिर जनता को बनाते भीखमंगे 
कुर्सी हासिल करने के लिए करवा देते है दंगे
किस तरह अंधे हुए ये राजनीति के पण्डे 
दिखते नहीं इनको सामने रखे देश के उल्टे झंडे
टैक्स के नाम पर मांगते है यहाँ चंदे 
उसी चंदे से पीते है कभी गरम तो कभी ठन्डे 
आंखे खोल चेत जा ऐ सोये हुए बन्दे 
नहीं तो यही भ्रष्ट नेता बनेंगे तेरी फांसी के फंदे 
जागो इंडिया जागो 
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::क्या देश फिर से होगा अंग्रेजो का गुलाम ?::

महंगाई बढ़ रही बेलगाम है
यह बात नेताओ के लिए आम है
सरकार को नहीं कोई और काम है
बढ़ाते रहते हर वस्तुओ के दाम है
शहरों में बढ़ रहा वाहनों का जाम है
लालच की इस दुनिया में देशभक्ति हो रही गुमनाम है
देश को लुटाने में नेता लगे तमाम है
लूटकर जनता को फिरते चारो धाम है
जो लूटे देश को उसका बड़ा नाम है
भ्रष्टाचार के कारण देश हो रहा बदनाम है
जनता की जुबान पर पता नहीं क्यूँ लगाम है
इस लगाम की वजह से चारो तरफ मचा कोहराम है
जागे नहीं हम अगर वक़्त रहते तो
फिर से देश को होना अंग्रेजो के गुलाम है
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Thursday 24 November 2011

::दुनिया बड़ी मतवाली::

यह दुनिया है बड़ी मतवाली
यहाँ सूरत किसी की गोरी तो किसी की है काली
एक हाथ से कोई भी ना बजा सकता है ताली
बात ना कभी ख़त्म होती दिए बिना गाली
छप्पन भोग से सजी रहती हर नेता की थाली
जरुरत पड़ने पर चला लेता करंसी भी जाली
गरीब की जेब रहती है हमेशा खाली
महंगाई के दौर में हर आम नागरिक की हालत हुई माली
सरकार अब ऐसी है चल चलने वाली
कि बिना उसके इशारे हिले ना पता ना डाली
रहे हर सुख संपदा नहीं तो डांटे घरवाली
कोहराम मच जाये जे पत्नी की बात टाली
रहे श्रंगार अधुरा नारी का जे ना लगावे लाली
ससुराल रहे अधुरा जे ना हो कोई साली
मजनू ने कहा लैला से तुम ही हो मेरे दिल में बसने वाली
लैला ने जवाब दिया नहीं है मेरे दिल में जगह खाली
अगर चाहते हो ज़िन्दगी में हर वक़्त खुशहाली
तो गुनगुनाते रहो भजन और कव्वाली
खाली हाथ आये थे जाना भी है हाथ खाली
कहो भाई कैसी लगी यह दुनिया मतवाली ||
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Tuesday 22 November 2011

::राजनीति का जंजाल::



राजनीति बहुत बड़ा जंजाल है 
हर नेता की जेब में भरा बहुत सा माल है  
महंगाई ने किया जनता का बुरा हाल है 
महंगाई के इस दौर में सबके पिचक रहे गाल है 
योजनाओ के उपहार में मंत्री मालामाल है 
महीने भर की योजना को लगता पूरा साल है 
अनपढ़ नेता के सामने अफसर करते सलाम है 
मंत्रियो के चमचे भी करते कदम ताल है 
नहीं इसमें मिलते किसी के सुर और ताल है 
कोई भी न समझ पाया किसकी टेढ़ी चाल है 
गुनाहगारो के हाथ में तलवार और ढाल है  
जो मांगे इंसाफ उसकी उतरती खाल है  
बात जब बिगड़ जाये तो प्रेस कांफ्रेंस का हाल है 
जानते है सब नुक्से कि कौनसी चलनी चाल है  
कभी CWG तो कभी 2G करता निहाल है 
धन दौलत कि खातिर बिछाते नित नया जाल है 
अब इस राजनितिक अखाड़े से जनता हुई बेहाल 
बंद करो यह खेल घिनोना ,वरन देश में आयेगा बड़ा भूचाल ||
:- राजू सीरवी (राठौड़)


Saturday 19 November 2011

::ज़िन्दगी की पटरी पर, मन डगमगाए ना अपना::

ज़िन्दगी की पटरी पर ,मन डगमगाए ना अपना 
गर जोश हो इरादों में तो ,सच हो जाये हर एक सपना 
चलते रहो पथ पर ,पार कर हर बाधाओ को 
करो ऐसे सत्कर्म ,दुनिया भी सीखे अपनी अदाओ को 
पथ पर आये लाख रुकावट ,
ढूंढो उनमे फूलो की सजावट ,
तान कर सीना अपना ,आगे सदा बढे चलो 
तूफां जो टकराए तुझसे ,रुख तूफां का भी मोड़ दो 
लक्ष्य से विचलित ना होना ,
धेर्य अपना कभी ना खोकर 
सफलता तेरे कदम चूमेगी  
खुद नतमस्तक होकर 
छुना है तुम्हे आसमां को एक दिन 
वरन आसमां भी रह जायेगा अकेला तेरे बिन 
है हिम्मत जिसमे ,उसका हर  सपना  साकार हो 
सलाम करे दुनिया ,मुट्ठी में संसार हो 
अहंकार ना जगे मन में, याद तुम हमेशा रखना 
ज़िन्दगी की पटरी पर , मन ना डगमगाए अपना 
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Thursday 17 November 2011

::जाओ ना हमसे दूर सनम ...::

जाओ ना हमसे दूर सनम ...
जाओ ना  हम से दूर ...

यु नज़ारे ना चुराओ हमसे ..
समझो जरा मजबूरी मेरी ..
कभी ना दूर रहना चाहू
हम दम मेरे चाहत से तेरी ..

जाओ ना हमसे दूर सनम 
जाओ ना हमसे दूर ...

नहीं पढ़ा कभी पाठ प्यार का
तुमने वह सिखाया मुझको
ना सुना कभी मैंने
दिल के हसीं तरानों को
जब से यह दिल हुआ तुम्हारा
सजाया ज़िन्दगी के हर ख्वाब  को 

जाओ ना हमसे दूर सनम 
जाओ ना हमसे दूर

सुना सुना लगता था यह जग पूरा 
अब तेरे बिना एक सपना भी है अधुरा
हर आरजू  हर तमन्ना अब सिर्फ तुझे पाने की
जी ना  सकूँगा एक पल बिन तेरे
कसम है इस दीवाने दिल की i 

जाओ ना हमसे दूर सनम
जाओ ना हम से दूर

:- राजू सीरवी (राठौड़)

Wednesday 16 November 2011

SAVE THE EARTH

save the earth, save the earth
we must save the earth
 ये झीलों का पानी ,ये पेड़ो की छाव
मत करो बर्बाद इनको , रखो इनसे लगाव 
ये नदिया ये झरने ,ये धरती ये अम्बर 
खैर करो इनकी भी ,खो न जाये ये समंदर
 save the earth, save the earth
we must save the earth
काटो न इन बेजुबान पेड़ो को
नहीं तो सहना पड़ेगा धुप के थपेड़ो को
स्वच्छ रखो नदियों का पानी
 वरन पानी भी रह जायेगा सिर्फ एक कहानी
काटो ना सर इन पहाड़ो का
ऋतुये बदल जाएगी ,मौसम ना आयेगा झाड़ो का
save the earth, save the earth
we must save the earth
सूरज की तपिस बढ़ जाएगी
धरती उगलेगी अंगारे
एक बूँद पानी को तरसोगे
वक़्त रहते अगर ना समझा रे
यह वाहनों की रेलमपेल
बदल गया मौसम का खेल
इन्सान की क्रूरता से ना होगा
सागर और नदियों का मेल
save the earth, save the earth
we must save the earth
आओ करे एक प्राण मिलकर हम सब
होगा ना प्रकृति पर अत्याचार अब
एक पेड़ लगाकर हमको है पलना
होगा जीवन में कृतव्य हमारा
लक्ष्य हमारा धरती को बचाना
सब के होटों पर मुस्कान लाना
 save the earth, save the earth
we must save the earth
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::जीवन की घड़ी::


बचपन में हम शरारत बहुत किया करते थे | एक दिन मुझसे दादा जी की घड़ी टूट गयी | मैंने दादा जी से कहा " दादा जी मुझसे आपके घड़ी टूट गयी " दादा जी ने कहा " कोई बात नहीं ठीक करवा देंगे तेरे पापा | वैसे तुमने कोई जानबूझ कर तो नहीं तोड़ी ना | पर दादा जी जब तक घड़ी ठीक नहीं होगी अप टाइम कैसे देखोगे ? मैंने पूछा | अरे बेटा हम तो बिना घड़ी देखे सही वक़्त बता देते है | मैंने कहा " वो कैसे दादा जी "| दादा जी कहा " यहाँ बैठ " | मैं दादा जी के पास बैठ गया | दादा जी ने कहा - बेटा पहले ज़माने के लोग घड़ी नहीं पहनते थे ,इसके बावजूद उनका जीवन समयबद्ध था ,उनका सोना -जागना,खाना -पीना ,सब कुछ वक़्त पर हो जाता था | इसका उल्टा आज के लोगो का जीवन पूरा अस्त व्यस्त है | सोने के लिए नींद की गोली लेनी पड़ती ,और उठने के लिए अलार्म रखना पड़ता | आज हर घर में दिवार से टंगी घड़ी देखने को मिल जाएगी , हर व्यक्ति की कलाई पर घड़ी बंधी होगी | पर आज यह घड़ी सिर्फ एक शोभा बढ़ाने मात्र की वास्तु रह गयी है | जबकि घड़ी आदमी को पल -पल चेताती है कि ज़िन्दगी घड़ी दो घड़ी से ज्यादा नहीं है बंधू | अतः हम शांत चित होकर प्रभु को याद करते रहे ,परोपकार करते रहे , पुन्य करते रहे, वक़्त का मोल समझो,, वरना हाथ कि घड़ी हाथ में रह जाएगी और जीवन की घड़ी बंद हो जाएगी | मैं समझ गया कि असली घड़ी तो हमारी ज़िन्दगी है जिसका क्षण क्षण बिता जा रहा है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Tuesday 15 November 2011

::धनवान::

अक्सर लोग पैसे वालो को धनवान कहते है , पर क्या वाकई में वो धनवान है , क्या दुनिया की हर खुसी उनके पास है |
धनवान वह नहीं ,जिसके पास बहुत सारी धन दौलत हो , बल्कि वह जिसके पास अपने जन्मदाता( माता पिता ) की सेवा करने का समय हो | जिसके पास दुनिया भर की दौलत हो पर जन्मदाता से २ टूक बतियाने के लिए वक़्त न हो वह दुनिया का सबसे बड़ा बदनसीब इन्सान होगा | जो रोजाना लाखो करोड़ों में खेलता हो वह भी धनवान नहीं , बल्कि धनवान वह है जो बच्चो के संग बच्चो जैसा व्यवहार रखकर खेलता  हो | धनवान वह नहीं ,जो आलिशान बंगले में मुलायम गद्दों पर पर सोता है ,बल्कि वह है ,जिसे रात सोने के लिए नींद की गोली और सुबह जागने के लिए अलार्म की जरुरत नहीं पड़ती है |
जो संतुष्ट है ,वही धनवान है | जिसका परिवार सुशील और बच्चे आज्ञाकारी हो वह धनवान है | जो सेहतमंद है वह आमिर है | जो अक्लमंद है वही सही मायनो में सुखी और धनवान  है |
:- राजू सीरवी (राठौड़)

Monday 14 November 2011

::लालच बुरी बला::

आज देश के हालत भ्रष्टाचार की मार से बहुत कमजोर हो गए है | हर तरफ रिश्वत खोरी , हिंसा और ना -ना प्रकार की बुराइया पनप रही है | इस सब की जड़ है लालच , लालच ही सब बुरइयो की वजह है | सम्पति का लालच भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है ,ऐश मौज का लालच हिंसा और कई तरह की बुरइयो को दावत देता है | पर इसका परिणाम तो एक ना एक दिन भुगतना निश्चित है |
एक लालची किसान से कहा गया कि वह दिन में जितनी जमीन पर चलेगा, उतनी जमीन उसकी हो जाएगी ,बशर्ते वह जहा से चलना शुरू करता वहा सूरज ढलने तक वापस लौट आये | ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए किसान दुसरे दिन सूरज निकलने से पहले निकल पड़ा | वह काफी तेजी से चल रहा था ,क्यों कि वह ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करना चाहता था | थकने के बावजूद वह सारी दोपहर कड़ी धूप में भी चलता रहा ,क्योंकि वह ज़िन्दगी में दौलत कमाने के लिए हासिल हुए इस मौके हो गंवाना नहीं चाहता था | दिन ढलते वक़्त उसे वह शर्त याद आयी कि उसे सूरज डूबने से पहले शुरुआत कि जगह पहुंचना है | दौलत के लालच कि वजह से किसान शुरूआती जगह से काफी दूर जा चूका था | वह अब वापस लौट पड़ा | सूरज ढलने का वक़्त ज्यो ज्यो नजदीक आ रहा था , वह उतनी तेजी से दौड़ता जा रहा था | वह बुरी तरह थक कर हांफने लगा ,फिर भी वह बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौड़ता रहा | नतीजा यह हुआ कि सूरज ढलते ढलते वह शुरुआती स्थान पर तो पहुँच गया पर बुरी तरह थके घायल किसान का दम निकल गया | किसान मार गया | उसको दफना दिया गया ,और उसे दफ़न करने के लिए जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरुरत पड़ी |
इस कहानी में आज के ज़माने की सच्चाई और सबक भी है | आज इन्सान अपनी जरुरत पूरी होने के बावजूद, बहुत कुछ पाने की लालसा रखता है और यही लालच दुखो का कारण बनता है | गरीब हो या आमिर सब लालची इंसानों का हश्र इस किसान की तरह ही होता है | कुछ नहीं ले जा सकेंगे दुआओ के, मृत शारीर को भी सिर्फ २ गज जमीन की आवश्यकता होगी ,तो क्या करोगे दुनिया भर की दौलत को पाकर |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Sunday 13 November 2011

::जो बोलो ,जरुर पहले तोलो ::


एक किसान ने अपने पड़ोसी की बेवजह बहुत निंदा की बहुत भला बुरा कहा | पड़ोसी को उसकी बातो से बुरा तो लगा पर वह शांत रहा | जब किसान को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह पड़ोसी के पास जाकर माफ़ी मांगने लगा , और कहा की मैं अपने कहे शब्द वापस लेता हूँ | पड़ोसी ने कहा - माफ़ी एक शर्त पर ही मिल सकती है | किसान ने कहा " जो भी शर्त होगी मुझे मंजूर है "| पड़ोसी ने एक पंखो का थेला किसान को थमा कर बोला " इस थेले को गाँव के चोराहे पर खाली कर के आ जाओ | किसान थेला लेकर गया और गाँव के चोराहे पर खाली करके वापस आ गया | किसान ने कहा " मैं थेला खाली कर आया अब मुझे माफ़ कर दो भाई | पड़ोसी ने कहा " अब तुम वापस चोराहे पर जाकर उन्ही पंखो को इक्कठा कर के यह थेला फिर से भर कर लाओ | किसान चोराहे पर गया पर सरे पंख तो बिखर और उड़ गए और इक्कठा करना नामुमकिन हो गया था | किसान वापस पड़ोसी के पास आया और कहा " अब मेरी मति ठिकाने आ गयी भाई " जो शब्द एक बार मुँह से निकल जाते उसे वापस लेना नामुमकिन होता है | पड़ोसी ने किसान से कहा " तुमने बात तो कह दी पर अब वापस नहीं ले सकते , इसलिए शब्दों के चुनाव में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए  | जो कुछ बोलो तो पहले जरुर तोलो , शब्दों को तोल कर ही अपना मुँह खोलो ..
:- राजू सीरवी (राठौड़)

Saturday 12 November 2011

सहानुभूति


विद्यालय में हमने दूसरो की मदद और दयाभाव के अध्याय पढ़े था। हमको बताया जाता था की हमेशा दूसरो की मदद करो । दूसरों की मदद करना ही हमारा कर्तव्य  हो। बहुतेरो के लिए यह बाते सिर्फ उपदेश था,या युही कह सकते की सिर्फ बकवास। मुझे पता है, कुछ ऐसे है जो रास्ते से गुजर रहे भिखारी को पहले गाली दी होगी, भीख तो दूर की बात । बूढ़ दादा-दादी या नाना-नानी को एक गिलास पानी देने में वक़्त बर्बाद हुआ होगा।

दया की भावना को दूसरो के उपकार से जोड़कर देखा जाता है,परमपिता दया करता है, हम सब दया करते हैं,कहा जाता है न की हर किसी के मन में कभी न कभी दया जरुर आती है  है।इसका उल्टा भी होता है ,जब दया करने वाला ईष्या का पात्र बनता है !
हारून आज फिर से कक्षा के बाहर खड़ा था । पिछले दो सालों से हारून को हर महीने के शुरुआती दिनों में इसी तरह खड़े होता देखा जा सकता था । तुम्हारा बकाया शुल्क जमा नहीं हुआ। कल से तुम्हारा विद्यालय में प्रवेश बंद ।’’मास्टर जी का यह वाक्य बहुत पुराना और घिसापिटा हो चुका था।

गरीब परिवारों की कितनी इज्जत होती है, यह मुझे तब पता चला जब हारून कक्षा के बहार खड़ा रहता था । हारून लिये गरीबी अभिशाप थी मगर औरो के वास्ते हंसी का कारण।

फटा और मैला कुरता ,, मैले मोज़े एक सफ़ेद तो दूसरा कला जूते भी जवाब देते हुए । और टाई को देख सालो पुरानी कहने में कोई शर्म या गलत बात भी नहीं थी, लेकिन हारून ने टाई से कई दफा आंसुओं को जरुर साफ किया होगा । यह शिक्षा की देवी सरस्वती का महान स्थल था, जहां पढाई अपनी अनसुलाजी लटाओं को सजाने का प्रयत्न तो करती लेकिन न जाने क्यों रोजाना सुलाजाने बजाय उलझती ही रही थीं।

हारून कभी निराश नहीं होता था, मन का साफ था | पढ़ाई में हारून ने मास्टर जी को कभी निराश नहीं किया था ।विद्यालय शुल्क जमा नहीं कराते कराते  जैसे तैसे पांचवी तक पंहुच गया । पहले मेरे साथ मेरी कक्षा में पढता था ,फिर विद्यालय के शुल्क के चक्कर में मेरे छोटे भाई की कक्षा में, आखिर उसे जैसे तैसे विद्या अर्जन करना था । यह हारून की किस्मत का दोष नहीं तो क्या था, उसके पिताजी के पास रहने को एक छोटा सा छप्पर और २ बकरिया थी | माँ -बाप मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरते थे,कभी कबार काम नहीं मिलता तो खाने के भी लाले पड़ते थे |

विद्यालय की तरफ से हारून को फरमान जारी किया था  कि हारून जरुर गरीब है पर थोडा शुल्क लेना अनिवार्य है,परन्तु हारून के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था । पढाई का भाव तोल करने वाले, पढाई को व्यापर का जरिया बनाने वालो आदत से मजबूर होने के झूठे दावे करते थे। विद्यालय के पास इतनी क्षमता है वहा आसानी से कई गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जा सकती था।

कई बच्चे स्कूल बैग हाथ में लटकाये खड़े थे।उब बच्चो के चेहरे मायूस लग रहे  थे। मैं कोई काम से प्रधानाध्यापक जी के कमरे के पास से जा रहा था। उन लडको में हारून भी खड़ा था। मैंने हारून से पूछा कि "यहाँ क्यूँ खड़े हो" मुझे पता था पर फिर भी मैंने पूछा। हारून का जबाव आँखों में आंसूं ला देने वाला था,‘‘विद्यालय का शुल्क जमा नहीं करा पाए इसलिए हमको विद्यालय से निष्कासित किया जा रहा है ।’’

 अभी शुल्क जमा नहीं किया तुमने :मैंने हारून से कहा  ।’’

हारून कुछ नहीं बोल रहा था, उसने सिर झुका लिया। मैंने हारून के कंधे पर हाथ रखा, यह सहानुभूति की भावना थी ,ज्ञान(पढाई)के चेहरे पर मंद मुस्कान आई । मुस्कान दिखावे की नहीं थी।

बहुत बार हारून को मास्टर जी के गुस्से का शिकार होना पड़ा। हारून रोता भी बहुत था , टाई  से आंसुओं को साफ भी,पर हारून का अच्छी शिक्षा  का सपना पीछे छुट रहा था । बहुत समय बाद पता चला  कि हारून भी अब बकरिया चराने जाने लगा | आखिर उसका भविष्य वही है। अब हारून विद्यालय भी नहीं आ रहा था । एक दिन हम सब सहपाठियों नेने मिलकर निर्णय लिया कि  हम हारून के सहपाठी है ,क्यों न हम सब कुछ धनराशी जमा कर के हारून कि स्कूल शुल्क जमा करने में मदद करे | आखिर हमने वही किया हम सब सहपाठियों ने मिल कर कुछ धनराशी जमा कर हारून कि शुल्क जमा करवा दी |हारून ने  अच्छी शिक्षा हासिल कर आज नौकरी पा ली और हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता रहा है | आज भी हारून जब हमसे मिलता तो भावुक हो जाता है .. मन ही मन हम सब सहपाठियों को तह दिल से शुक्रिया अदा करता है |


:-राजू सीरवी (राठौड़)

Thursday 10 November 2011

::समय::


समय की उम्र न कभी बढती है न कभी घटती | समय कभी बुढा नहीं होता | समय के चहरे पर बूढ़े इन्सान की तरह झुर्रिया नहीं पड़ती है और न ही आलस आता है | इसके विपरीत समय के चहरे पर रोज़ नया निखार आता है | समय अगर बूढ़ा होता है , तो कभी के समय के पाँव कब्र में लटक गए होते | समय कभी बूढ़ा नहीं होता | हाँ यह हो सकता कि समय औरो को जरुर बूढ़ा करता है | वक़्त बहुमूल्य है ,इसे व्यर्थ मत कीजिये | जो समय एक बार हाथ से निकल जाता है , वह दोबारा लौट कर नहीं आता है | समय की पूजा करेंगे तो समय हमको पूज्य बना सकता है | हम अक्सर कढ़ते है " क्या करे समय काट रहे है " पर सही मायनो में हम समय नहीं काट रहे है , समय हमारी ज़िन्दगी को हर पल कट रहा है |

Wednesday 9 November 2011

::सत्य या झूठ का संसार ?::


बड़े बड़े महानुभव और ज्ञानी कहते है सत्य के बिना संसार नहीं चलता | मगर क्या वाकई में ऐसा है कि सत्य के बिना संसार नहीं चलता | आज के हालत और लोगो को देखा जाये तो नहीं लगता | लोगो के व्यवहार और हालत देख कर तो जाहिर है झूठ के बिना संसार नहीं चलता | हमारे सभी रिश्ते नाते झूठ कि बुनियाद पर टिके हुवे है | परदे के पीछे कि ज़िन्दगी का सच अगर हम ईमानदारी से सार्वजानिक कर दे , तो सोचिये क्या होगा ? पति -पत्नी में झगडा होने के बाद एक दुसरे के प्रति मन में जो बुरे ख्याल आते है ,अगर वह एक दुसरे को हु ब हु  बता दे तो .. यह तो निश्चित कि एक सप्ताह में तलक हो जायेगा | लोग एक दुसरे की पीठ पीछे जो कहते है ,आहार वह मुँह के सामने कह दे तो दुनिया में दो दोस्त भी नहीं बचेंगे | हम अपने मन के सच को दबाकर बाहर के (दिखावा) झूठ से संसार चलाते है | अब तो आप सहमत है न कि संसार झूठ कि बुनियाद पर चलता है | मगर  हाँ ,धर्म में झूठ बिलकुल नहीं चलता है |

:- राजू सीरवी (राठौड़)

Tuesday 8 November 2011

::भ्रष्टाचार कब ख़त्म होगा::

एक बार अमेरिका ,रूस और भारत के राष्ट्रपति भगवन से मिले |
ओबामा ने भगवान से पूछा - प्रभु मेरे देश से भ्रष्टाचार कब ख़त्म होगा ?
भगवान ने कहा - पूरे ६० साल बाद |
ओबामा की आँखों में आंसू आ गए ,क्यों कि वो अच्छे दिन देखने के लिए तब तक जीवित नहीं रहेंगे |
फिर देमित्री मेडवेडेव ने भी यही सवाल भगवान से किया |
भगवान ने कहा ; ५० साल लग जायेंगे |
इस पर देमित्री कि आँखों में भी आंसू आ गए क्यूँ कि समस्या वही है ,, देमित्री भी तब तक शायद जीवित नहीं रहंगे  |
आखिर में प्रतिभा पाटिल जी ने भगवान से पूछा ; हे परमपिता ! मेरे देश से भ्रष्टाचार कब खत्म होगा  ?
यह सुन कर इस बार खुद भगवान की आँखे नम हो गयी |
इसका मतलब एकदम साफ है !

::जीवन चक्र::

अमीर हो या गरीब ,दोनों के सामने समस्या एक है | गरीब की समस्या है कि भूख लगे तो क्या खाए ? और अमीर कि समस्या है कि क्या खाए तो भूख लगे | युवा हो या बूढ़ा उनको भी समस्या है | युवा कि समस्या क्या करे समय नहीं मिलता , और बूढों की समस्या , क्या करे वक़्त नहीं कटता | कोई आम आदमी हो चाहे खास ,, वोह भी समस्या से दूर नहीं भाग सकते | आम आदमी की समस्या -आज क्या पहने | और खास आदमी की समस्या -आज क्या क्या पहने | इस जगत में कोई ऐसा इन्सान नहीं जो पूर्ण रूप से तृप्त है | कोई संतुष्ट नहीं | गरीब लोग अमीर बनाना चाहते , अमीर सुन्दर होना चाहते , सुन्दर लोग शादी करना चाहते और शादीशुदा मरना चाहते है | यही जीवन चक्र है |

Monday 7 November 2011

::Faith::


i was walking along the beach with the Lord. Across the sky flashes scenes from my life . For each scenes ,I noticed two sets of footprints in the sand : one belonged to me ,the other to the Lord .
After the last scenes of my life flashed before me , I looked back at the footprints in the sand . I noticed that at many times along the path of my life ,especialy at the very lowest  and saddest times ,there was only one set of footprints .
This really troubled me .so I asked the Lord about it ."Lord u said once I decidedto follow you ,But I noticed that during the saddest nd most trouble some time of my life ,there was only one set of footprints . I dont understand y ,when I needed u the most , you would leave me "
The Lord replied " my son ,my precious child ,I love u nd I would never leave u . during ur times of suffering ,when u could see only one set of footprints ,it was then that I carried u
:- raju seervi (rathore)

:: जीवन एक गूंज::



एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज़ होकर चिल्लाने लगा " मैं तुमसे नफरत करता हूँ " उसके बाद वह फटकारे के डर से घर से भाग गया | वह पहाड़ियों के पास जाकर चीखने लगा "मैं तुमसे नफरत करता हूँ , मैं तुमसे नफरत करता हूँ "और वही आवाज़ गूंजी " मैं तुमसे नफरत करता हूँ " मैं तुमसे नफरत करता हूँ " | उसने ज़िन्दगी में पहली बार कोई गूंज सुनी थी | वह डर कर बचाव के लिए अपनी माँ के पास भगा ,और बोला घटी में एक बुरा बच्चा है जो चिल्ला चिल्ला कर कहता है " मैं तुमसे नफरत करता हूँ ,मैं तुमसे नफरत करता हूँ " | उसकी माँ सारी बात समझ गयी | और उसने अपने बेटे से कहा कि पहाड़ी पर जाकर फिर से चिल्ला कर कहे " मैं तुमसे प्यार करता हूँ |छोटा बच्चा वह गया और चिल्लाया "मैं तुमसे प्यार करता हूँ ,मैं तुमसे प्यार करता हूँ "| और वही आवाज़ गूंजी | इस घटना से उस बच्चे को एक सीख मिली कि हमारा जीवन एक गूंज कि तरह है | हमें वही वापस मिलता जो हम देते है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Sunday 6 November 2011

::चरित्र की ताकत::



मैंने एक प्रसंग में सुना था और बहुत अच्छा लगा था | महात्मा गाँधी जी जहा सोते थे ,और सुबह उठते ही उस स्थान पर उनके तकिए के नीचे से दारू की बोतल पाई जाती है | पुलिस आयी छापा मारा और शराब की बोतल मिली तो उससे पूछा जाये कि " कहा से बरामद हुई ? तो कहेंगे " बापूजी के तकिए के नीचे से " तब पुलिस बापूजी से पूछेगी नहीं | पुलिस यह कयास लगाएगी कि " बापू के तकिए के नीचे यह बोतल कौन दुष्ट छोड़ गया "
यह ताकत है गाँधी जी के चरित्र की | पुलिस की हिम्मत नहीं होगी गाँधी जी से पूछने की . तुरंत छानबीन शुरू हो जाती ,कि यह काम किया किसने है | कौन गाँधी बापू के तकिए के नीचे शराब कि बोतल रख कर गया ,बापू को बदनाम करने के लिए .
अच्छे चरित्र कि यही पहचान है , और यही चरित्र कि ताकत है |
:-राजू सीरवी(राठौड़)

Thursday 3 November 2011

::विकलांग देश::

रोज़ की तरह आज भी मैं अपने काम पर निकल गया | रास्ते में कल्लू की छोटी सी चाय की होटल पड़ती है | हाँ मैं वह ज्यादा रुकता तो नहीं पर जाते जाते कल्लू के हाथ की चाय पी कर ही जाता , और आते जाते चार लोगो से बाते भी हो जाती और इधर उधर की उधार की बाते भी सुनाने  को मिलाती | अगर थोडा जल्दी आ जाता तो अख़बार भी(घर में t.v. नहीं है ,आज भी वही पुराने हालत है हमारे घर के ,बड़े बुजुर्ग तो उकने खयालो में ही जीना चाहते है और होना भी चाहिए ,भला परम्परा को तोड़ कैसे दिया जाये ,पर फिर भी अब वक़्त बदल रहा तो बड़े बुजुर्ग न सही हमको तो बदलना ही होगा ) पढने बैठ जाता ,देश विदेश की खबरों को देख कर मन में कई सवाल आते कि कितना बदल गया इन्सान और इन्सान ने इस प्राकृतिक के स्वछ माहोल को भी इतना बदल गया कि आने वाली पीढ़ी तो जन्म लेते ही बीमारियाँ साथ में लाती है | 
आइये राजाबाबू आज बड़े फुर्सत में लग रहे है ; कल्लू ने कहा
कल्लू कि मुस्कराहट इतनी स्वच्छ और अच्छी कि हर किसी का मन मोह लेती है इसीलिए हम कल्लू कि दुकान पर ही अक्सर आते है
अरे कल्लू भैया आज सुबह ताउजी से जल्दी उठाया कि जाओ थोडा टहल कर आजाओ और व्यायाम करो ताकि स्वाती अच्छा बना रहे वरना अब के वातावरण के हिसाब से तो ज़िन्दगी का अर्द्सतक भी नहीं लगा पाओगे |
कल्लू को हंसी आ गयी और कहने लगा ; ताउजी की बात में सोलह आना सच्चाई है राजा बाबु ,,सही कहा ताउजी ने अब वातावरण ही ऐसा हो गया कि जन्म जात बच्चा भी बीमार पैदा होता है |
कल्लू चाय बना रहा था ,,उसकी चाय कि महक इतनी जबरदस्त थी कि आज इया चाय न पीवे तो पूरा दिन मलाल होगा ..
मैंने हंसकर कहा ;कल्लू भैया जे आज तुमरे हाथ कि चाय न पीवे तो आज हमरा दिन अच्छा नहीं जावेगा ,एक मस्त चाय तो पिला दो भाई |
कल्लू ; अभी लाया राजा बाबु
कल्लू चाय देते देते कह रहा था ; अरे राजा बाबु आपको पता है धनिया को लड़का हुआ ,,"बेचारा धनिया " कहकर कल्लू अपने काम में लग गया |
अरे यह तो बहुत ही अच्छी बात है कल्लू भैया पर बात क्या है तुमने धनिया को "बेचारा कहा ?"
कल्लू ;बेचारा नहीं तो क्या भाग्यशाली कहूं ,अरे राजा बाबु  धनिया कि शादी हुए ८ साल हो गए और अब जाकर औलाद का सुख मिला ,पर ऊपर वाले ने जरा भी दया नहीं की बिचारे इस गरीब पर ,धनिया तो रात से ही खून के आंसू रोये जा रहा है ,और उसकी पत्नी की तो हालत देखी न जाय ऐसी होई गावी है |
पर कल्लू भैया बात क्या है आखिर हुआ क्या है ? मैंने पूछा
राजा बाबु धनिया की लुगाई ने बच्चे को जन्म दिया ,तब तो बहुतो ख़ुशी का माहोल था ,, धनिया और उसकी पत्नी की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा ..पर जैसे ही डोक्टर ने चेक करके बताया कि बच्चा न तो बोल सकेगा न चल सकेगा | मतलब बच्चा विकलांग है .. पोलियो ग्रस्त है , तब धनिया और उसकी पत्नी पर मनो पहाड़ टूट पड़ा हो |
यह तो बहुत ही दुःख कि बात है कल्लू भैया.... इस पीढ़ी के विकलांग विचारों ,विकलांग सोच ,कि तरह जन्मजात बच्चो पर भी इनका प्रभाव पड़ने लगा है ..
तभी मास्टर जी आ गए होटल पर
कहिए मास्टरजी आज रास्ता भूल कर इधर का रुख कैसे ? ( मैंने मुस्कुरा कर कहा )
अरे ऐसी बात नहीं राजा बाबु , आज स्कूल का अवकाश घोषित किया गया तो सोचा कल्लू कि दुकान हो आऊ |
चलो अच्छा किया मास्टर जी , पर आज तो सन्डे नहीं फिर काहे का अवकाश ? ; मैंने पूछा
स्कूल क्या बाज़ार भी बंद है आज तो ; मास्टर जी ने कहा
क्या ? बाज़ार भी बंद ? पर क्यों मास्टर जी ?सब कुछ ठीक तो है न ? ;मैंने आश्चर्य से पूछा
काहे का ठीक है राजा बाबु इस देश के नेता और मंत्री इस देश को अपने देश कि जागीर समझते है इसलिए जब चाहे अवकाश जब चाहे जब चाहे बाज़ार बंद | कोई शेर है तो कोई सवा शेर | अपने मतलब के लिए लोगो का जीना हराम कर रहे है |
पर आज क्या हुआ मास्टरजी जो बाज़ार और स्कूल बंद करवाएं है ; मैंने पूछा
होना क्या है कुछ समाजकंटक लोगो ने सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री पर कोई टिपण्णी कर दी ,उसी के रोस में मंत्रीजी के समर्थको ने हड़ताल करवा दी और हुडदंग मचा रखा है  ,सब काम ठप करवा दिया है |
लोगो को क्या चाहिए ,कुछ पैसे फेक देते और दारू वारु पिला देते ,, तो लोग उनके लिए कुछ भी करने पर उतर जाते है
हाँ मास्टर जी ,धनिया के बच्चे कि तरह यह देश भी विकलांग हो गया है ..मैंने कहा
क्या ? धनिया के बच्चा विकलांग ? मास्टर जी ने पूछा
हाँ  मास्टर जी , अब ज़माने का माहोल है ही ऐसा कि जन्मजात बच्चे भी विकलांग और बीमारियाँ लेकर ही जन्म लेते है ,
हमारे देश का भी यही हाल है मास्टरजी ,,, कितने तो भ्रष्टाचारी नेता है जो सरकार चला रहे है ,सब को पता है पर कोई कुछ नहीं कर पा रहा है ,क्यों कि कानून इनके हाथ में है सरकार  इनके हाथ में तो इनको कौन पूछे | अगर पूछने की कोई हिम्मत करता तो वो लोग उल्टा उनको ही भ्रष्टाचारी साबित कर देते | आखिर नेताओ का काम ही राजनीती खेलना है पर कोई इस तरह की राजनीती करेगा यह किसी ने नहीं सोचा .. यह लोग पैसो के इतने भूखे हो गए कि खुद भूल गए कानून कायदे भी कोई चीज़ है , अगर है भी तो यह लोग अच्छी तरह भाव तोल करना जानते है कानून ,कायदे का | अरे पैसे ने इनको ऐसा अँधा बना दिया कि इनको तो यह भी नहीं पता कि देश के  तिरंगे का कौनसा रंग ऊपर रहता | ऐसे नेताओ को गंवार कहें तो कोई गलत बात नहीं होगी . हर काम में राजनीती करते है चाहे शिक्षा हो,देश के विकाश कि बात हो ,किसी गरीब कि फरियाद भी क्यों न हो ,यह लोग उसमे भी राजनीती करने में नहीं चुकते ..|  एक तरफ देश में पूंजीवादी और इन् नेताओ जैसो का सशक्त पैर है तो दूसरी तरफ ,गरीबी,महंगाई ,भ्रष्टाचार और देश के हालातो का लचर पैर , धनिया के बच्चे को तो कोई सहारा दे देगा पर इस विकलांग देश को कौन सहारा देगा . महंगाई दिनों दिन असमान छू रही है , पेट्रोल ,डीजल के भाव तो महीने में एक बार बढ़ाना जरुरी हो गया , टैक्स भी बढ़ा देते ,क्यों कि देश का खजाना खाली हो रहा है | घर का भेदी लंका ढहाए , बिलकुल सटीक बात है ,देश के लोग देश का धन जो टैक्स के मार्फ़त और गरीब किसान कि कमी से जमा हुआ है उसे बेपरवाह लुटा रहे है | अरे क्या मरते वक़्त साथ ले जायेंगे क्या .. कुछ साथ नहीं चलेगा सिर्फ भलाई और पुन्य ही साथ चलेंगे ,, जितना भ्रष्टाचार किया अगर उतनी भलाई की होती तो लोग घर में भगवन के साथ इनकी भी पुजा करते | पर इन भ्रष्ट बुद्धि के इन्सान जिनकी तुलना कुत्ते से भी नहीं की जा सकती ,क्यों की कुत्ता भी अपने मालिक का वफादार होता है ... वोह जिस थाली में खता उस थाली में कभी छेद नहीं करता  ,पर यह भ्रष्टाचारी तो वोह वादे भी भूल जाते जो उन्होंने वोट मांगते वक़्त किये थे | नमक हराम है जो वादों से मुकर जाये | शिक्षा के लिए स्कूल तो बहुत है पर शिक्षा का स्तर क्या है यह बात नेताजी बखूबी जानते है ,क्यों नेता और मंत्री अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में पढने भेजने की बजाय प्राइवेट स्कूल में भेजते | क्यूँ की वह शिक्षा नहीं है | क्यों  नहीं शिक्षा सरकारी स्कूल में क्यों ध्यान नहीं दिया जाता ,| क्यों की वह गरीब लोग जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर है वोह मजबूरन उनके बच्चो को वह पढ़ा देंगे |
अब तो इस देश के लोगो को भी विकलांगता की आदत पड़ चुकी है | सब विकलांग हुए जा रहे है सब को सहारे की जरुरत होने लगी है | आज का इन्सान मदद का मोहताज़ हो गया है | हर पल मदद की ही आशा रखता है |
आम आदमी देश के काम को अपना समझते नहीं क्यों की जब सरकारी कर्मचारी ही काम के वक़्त नदारद हो तो ,आम आदमी को देश की क्या पड़ी .. |
मैं तमाम देश वाशियों से गुजारिश करूँगा कि आज देश अर्द विकलांग है , देश को पूरा विकलांग होने से बचाना है तो अपने आप को सुधारो ,,अगर देश का हर एक बंदा सुधर जाता है तो पूरा देश सुधर गया .. | क्यों की बुराई  हम खुद में है | अगर हम रिश्वत लेना और देना बंद करे तो भ्रष्टाचार तो ख़त्म हो जायेगा | पर यह काम कोई आन्दोलन करने या जन चेतना करने की बजाय हर हिन्दुस्तानी दिल से ठान ले तो ही संभव है . वरना कितने भी आन्दोलन हो जाये ,कुत्ते की दुम सीधी होना मुमकिन नहीं |
अगर दिल से सच्चे न बने तो इस विकलांग देश को गिरने से कोई नहीं बचा सकता | हम चाहते है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम विकलांग नहीं एक स्वस्थ देश सोपे |
अपना इमान मत बेचो ,अपने आने वाली पीढ़ी का जीवन बर्बाद मत करो , देश को बर्बाद होने से बचा लो |
:- राजू सीरवी (राठौड़)

Wednesday 2 November 2011

::जो चाहा वह नहीं मिला , पर मैं खुश हूँ ::


मैंने इश्वर से शक्ति माँगी थी ,ताकि मैं कुछ हासिल कर सकूँ
उसने मुझे कमजोर बनाया ,ताकि मैं दूसरो की सेवा कर सकूँ
मैंने सेहत माँगी ताकि मैं बड़े काम कर सकूँ
मुझे दुर्बलता मिली ताकि मैं अछे काम कर सकूँ
मैंने धन दौलत माँगी ताकि मैं खुश रह सकूँ
मुझे गरीबी मिली ताकि मैं बुद्धिमान बन सकूँ
मैंने रुतबा माँगा था ताकि लोग मुझे सराहे
मुझे असहाय बनाया ताकि मैं इश्वर की जरुरत महसूस करूँ
मैंने सब चीज़े माँगी थी ,ताकि मेरा जीवन खुशहाल हो
मुझे सिर्फ जीवन मिला ताकि मैं हर चीज़ से ख़ुशी पा सकूँ
मैंने जो भी माँगा नहीं मिला ,मगर वह सब कुछ मिला जिसकी आशा की थी
मेरे ऐसा करने के बावजूद मेरी अनकही प्रार्थनाएँ सुनी गयी
मुझ पर सब इंसानों से ज्यादा कृपा हुई |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Tuesday 1 November 2011

::अनमोल है ज़िन्दगी ,जीना है मुस्कुराकर::


अनमोल है ज़िन्दगी ,जीना है मुस्कुराकर 
हर पल जियो ख़ुशी से ,हर गम भुलाकर 
खाली हाथ आये थे खाली हाथ जायेंगे
चंद लफ्जों के अल्फाज़ ,दिलो में रह जायेंगे 
 सुख दुख सब के बांटकर , रहना सबको एक 
ऐसा कुछ कर जाओ, कि जाने के बाद भी कहे बंदा था नेक 
गरीबो की सहायता ही है हमारा कर्म 
इंसानियत को ही मानो अपना सच्चा धर्म 
जात पांत का भेद न हो , न हो ऊंच नीच का अंतर 
 इंसानियत ही मजहब हमारा ,यही हो हमारा मन्त्र 
एक दूजे का हाथ बटाना, रहना है मिलजुल कर  
द्वेष किसी से मत रखना ,दुःख न देना छलकर 
अनमोल है ज़िन्दगी ,जीना है मुस्कुराकर 
:-राजू सीरवी (राठौड़) 

::एक सेर मक्खन::

एक ग्वाला एक बेकारी वाले को रोजाना एक सेर मक्खन बेचा करता था | एक दिन बेकारी वाले ने यह परखने के लिए कि मक्खन एक सेर है या नहीं ,उसे तौला और पाया कि मक्खन कम था | इस बात से वह गुस्सा ह गया और ग्वाले को अदालत में ले गया | जज ने ग्वाले से पूछा "तुमने तौलने में किस बाट का उपयोग किया था "| ग्वाले ने जवाब दिया " हुजूर मैं अज्ञानी हूँ | मेरे पास तौलने के लिए कोई सही बाट नहीं है | लेकिन मेरे पास एक तराजू है |
जज ने पूछा " तो तुम मक्खन को कैसे तौलते हो ? ग्वाले ने जवाब दिया " इसने (बेकारी वाला ) मक्खन तो मुझसे अब खरीदना शुरू किया , मैं तो बहुत पहले से इससे एक सेर ब्रेड खरीद रहा हूँ | रोज़ सुबह जब मैं बेकारी वाले से ब्रेड लता हूँ तो मैं ब्रेड को बाट बना कर बराबर का मक्खन तोल देता हूँ | अगर इसमे किसी का दोष है तो वह है बेकारी वाले का |
ज़िन्दगी में हमें वही वापस मिलता है जो हम दूसरो को देते है | जब हम भी कोई काम करे तो खुद से यह सवाल पूछें - मुझे जो पैसा मिलता  है ,क्या मैं उसके बराबर कि मेहनत भी कर रहा हूँ या नहीं | ईमानदारी और बेईमानी एक आदत बन जाती है कुछ लोग बेईमानी कि प्रेक्टिस करते है ,और चहरे पर जरा सा भी संकोच ले बिना झूठ बोल सकते है | ऐसे लोग भी जो इतना झूठ बोलते कि सच क्या है यह भी भूल जाते है | मगर वह खुद को ही धोखा देते है |
ईमानदारी तहबीज़ से पेश की जा सकती है | कुछ लोग निर्दयी ढंग से इमानदार होने पर गर्व महसूस करते है | ऐसा लगता है कि उन्हें ईमानदारी के बजे उस निर्दयिता से ज्यादा आनंद आता है | ईमानदारी बरतने में शब्दों के चुनाव और व्यवहार कि महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
:- राजू सीरवी (राठौड़)

::सफलता की राह मे रोड़ा ::

वास्तविक या काल्पनिक ?
  • अहंकार
  • असफल /सफल होने का दर ; आत्मसम्मान की कमी ?
  • कोई योजना न होना
  • कोई निश्चित लक्ष्य न होना
  • ज़िन्दगी में उतार चढाव
  • टालमटोल की आदत
  • पारिवारिक जिम्मेदारियां
  • आर्थिक सुरक्षा से जुड़े मसले
  • एकाग्रता की कमी ,भ्रमित हो जाना
  • पैसो के लालच में दूर की न सोचना
  • सारा बोझ खुद उठाना
  • क्षमता से अधिक उलझ जाना
  • जुडाव न महसूस करना
  • ट्रेनिंग की कमी
  • दृढ़ता की कमी
  • प्राथमिकताएं न तय कर पाना
      :-राजू सीरवी (राठौड़)

::जीतने वाला बनाम हारने वाला::

  • जीतने वाला हमेशा समाधान का हिस्सा होता है !
  • हारने वाला हमेशा समस्या का हिस्सा होता है !
  • जीतने वाले के पास हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम होता है !
  • हारने वाले के पास हमेशा कोई न कोई बहाना होता है !
  • जितने वाला कहता है "मैं आपके लिए यह काम कर देता हूँ "!
  • हारने वाला कहता है  " यह मेरा काम नहीं है "!
  • जीतने वाले के पास हर समस्या का कोई न कोई हल होता है !
  • हारने वाले के पास समस्या है हर समाधान के लिए !
  • जीतने वाला कहता है " मुश्किल होने के बावजूद यह काम किया जा सकता है !
  • हारने वाला कहता है "इस काम को किया जा सकता पर यह बहुत मुश्किल है !
  • कोई गलती करने पर जीतने वाला कहता है "मैं गलत था "!
  • हारने वाले से कोई गलती होती है तो वह कहता है "इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी "!
  • जीतने वाला वचनबद्ध होता है !
  • हारने वाला खोखले वादे करते है !
  • जीतने वालो की आँखों में कामयाबी के सपने होते है !
  • हारने वाले के पास खोखली योजनाए होती है !
  • जीतने वाला कहता है "मुझे कुछ करना है "!
  • हारने वाला कहता है "कुछ होना चाहिए "!
  • जीतने वाला टीम का हिस्सा होता है !
  • हारने वाला टीम के हिस्से करता है !
  • जीतने वाला लाभ को देखता है !
  • हारने वाला तकलीफ को देखता है !
  • जीतने वाला संभावनाओ को देखता है !
  • हारने वाला समस्याओ को देखता है !
  • जीतने वाला "सभी की जीत "के सिद्धांत में विश्वास करता है !
  • हारने वाला मानता है कि जीतने के लिए किसी को हराना जरुरी है !
  • जीतने वाला आने वाले कलाल को देखता है !
  • हारने वाला बीते कल को देखता है !
  • जीतने वाला स्थिर स्वाभाव वाले तापस्थायी जैसा होता है !
  • हारने वाला तापमापी जैसा होता है !
  • जीतने वाला सोच कर बोलता है !
  • हारने वाला बोल कर सोचता है !
  • जीतने वाला विनम्र शब्दों में कड़े तर्क पेश करता है !
  • हारने वाला कड़े शब्दों में कमजोर तर्क पेश करता है !
  • जीतने वाला बुनियादी मूल्यों पर मजबूती से टिका रहता है पर छोटी मोटी चीजों पर समझौता  कर लेता है !
  • हारने वाला छोटी छोटी बातो पर अड़ जाता है ,लेकिन मूल्यों पर समझौता कर लेता है !
  • जीतने वाला दूसरो कि भावनाओ को महसूस करने में विश्वास करता है , वह मानता है कि "दूसरो के साथ वैसा नहीं करना चाहिए ,जैसे व्यवहार की उम्मीद हम दूसरो से अपने लिए नहीं करते ! उससे पहले ही तुम वह काम उसके साथ कर दो !
  • जीतने वाला काम को अंजाम देता है !
  • हारने वाला काम होने का इंतजार करता है !
  • जीतने वाला जीतने की योजना बनाते है , और तैयारी करते है !तैयारी ही मूल मन्त्र है !
 :-राजू सीरवी (राठौड़)

ज़िन्दगी समझौतों से कैसे भरी है ?


ज़िन्दगी केवल मौज मस्ती का नाम नहीं है ! इसमे दुःख और निराशा का भी सामना करना पड़ता है !
ज़िन्दगी में ऐसी घटनाएँ भी घटती है , जिसके बारे में हमने सोचा तक नहीं होता है ! कई बार हर चीज़ उलट- पलट हो जाती है !
अच्छे लोगो के साथ भी बुरी घटनाएँ घाट जाती है ! कुछ चीज़े हमारे काबू से बहार होती है ,जैसे की अपाहिज होना ,शरीर में कोई जन्मजात दोष होना !
हम अपने माँ- बाप ,या पैदा होने के वक़्त के हालत को तो नहीं चुन सकते , अगर तकदीर ने हमारे साथ नाइंसाफी की है तो ,मुझे अफ़सोस है !
लेकिन ऐसा हो ही गया है , तो अब हम क्या करेंगे - चीखेंगे -चिल्लाएँगे ,या तकदीर की चुनोती को मंजूर  करते हुएआगे बढ़ेंगे ? यह चुनाव हमको करना है !
किसी साफ दिन में हमको झील में सैकड़ो नावे तैरती दिखाई देंगी ! हर नाव अलग दिशा में जा रही होती है ! हवा के एक ही दिशा में बहने के बावजूद नावे
अलग अलग दिशाओ में जा रही होती है ! क्यों ? इसलिए की उनमे पाल को उसी ढंग से लगाया जाता है और इसका फैलाव नाविक करता है !
यही बात हमारी ज़िन्दगी पर लागू होती है ! हम हवा के बहाव की दिशा तो नही चुन सकते ,पर पाल लगाने का ढंग चुन सकते है !
सेहत ख़ुशी और सफलता ,हर आदमी के जूझने की क्षमता पर निर्भर होती है ! बड़ी बात यह नहीं कि हमारी ज़िन्दगी में क्या घटित होता है ,बल्कि यह है कि जो घटित होता है ,हम उसका सामना कैसे करते है !
अपने हालात को चुनना तो हमेशा हमारे बस में नहीं होता , लेकिन अपना नजरिया हम हमेशा चुन सकते है ! यह हमारा अपना चुनाव होता है ,कि  विजेता कि तरह व्यवहार करे ,
या पराजित कि तरह ! हमारी किस्मत हमारे मुकाम से नहीं बल्कि मिजाज से तय होती है ..
इन्द्रधनुष के बनने के लिय बारिश और धुप दोनों कि जरुरत होती है !हमारी ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है ! उसमे सुख है तो दुःख भी है , अच्छाई है, तो बुराई भी है , और उजाला है तो ,
अँधेरा भी है ! जब मुसीबत का सामना सही तरीके से करते है ,तो और मजबूत बन जाते है ! हम अपनी ज़िन्दगी की सभी घटनाओ पर तो नियंत्रण नहीं कर सकते , पर उनसे निपटने के तरीके पर हमारा नियंत्रण होता है !
रिचर्ड ब्लेशनिड़ेन और सेंट लुईस विश्व मेले में भारतीय चाय का प्रचार करना चाहते थे ! वहां काफी गर्मी थी ! इसलिए उनकी चाय कोई नहीं पीना चाहता था ! उसी बिच उन्होंने देखा कि ठन्डे पेय पदार्थ की खूब बिक्री हो रही थी !
उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न अपनी चीनी मिला कर उसे ठन्डे ड्रिंक के रूप में बेचे ! उन्होंने ऐसा ही किया , और लोगो ने उनकी ड्रिंक को खूब पसंद किया !
दुनिया में ठंडी चाय का प्रचलन वाही से शुरू हुआ ! आदमी कोई बंजफल नहीं है ,जिसके पास कोई विकल्प नहीं होता ! बंजफल खुद यह तय नहीं कर सकता है ! अगर हमारे पास निम्बू हो तो हम उसे आँख में डाल कर चीख चिल्ला सकते है , और उनकी शिकंजी बना कर भी पी सकते है !
अगर हालात बिगड़ जाएँ (कभी ना कभी ऐसा होता ही है ) तो यह हम पर निर्भर होता है कि उनका सामना जिम्मेदारी से करे या खिजते हुए करे !
राजू सीरवी (राठौड़ )

 

:: मुझे यकीन था कि तुम जरूर आओगे::

पवन और राहुल दोनों बचपन से इतने अच्छे दोस्त कि स्कूल, कॉलेज और यहाँ तक कि फौज में भी एक साथ भर्ती हुए |  एकाएक युद्ध छिड़ गया और दोनों एक ही यूनिट में थे | एक रात उन पर हमला हुआ ,चारो तरफ से गोलियां बरस रही थी | ऐसे में अँधेरे से एक आवाज़ आई " राहुल ,इधर आओ मेरी मदद करो "| (पवन को गोली लग गई थी ) राहुल ने अपने बचपन के दोस्त पवन कि आवाज़ फ़ौरन पहचान ली | उसने अपने कप्तान से पूछा " क्या मैं जा सकता हूँ " कप्तान ने जवाब दिया "नहीं मैं तुम्हे जाने कि इज़ाज़त नहीं दे सकता ,मेरे पास पहले से ही जवान कम है , मैं अपने एक और जवान को खोना नहीं चाहता | साथ ही पवन कि आवाज़ से भी लग रहा था कि पवन बच नहीं सकता | राहुल चुप था | फिर आवाज़ आई " राहुल आओ ,मेरी मदद करो ""| राहुल चुप बैठा रहा क्यूँ कि कप्तान ने उसे जाने कि इज़ाज़त नहीं दी थी | वही आवाज़ बार बार आई | राहुल अपने को ज्यादा नहीं रोक सका और कप्तान से कहा "कप्तान ! वह मेरे बचपन का दोस्त है मुझे उसकी मदद के लिए जाना ही होगा | कप्तान ने बिना मन से उसे जाने कि इज़ाज़त दी | राहुल अँधेरे में रेंगता हुआ आगे बढ़ा ,और पवन को खीच कर अपने खड्डे में ले आया | उन लोगो ने पाया कि पवन तो मर चूका था | अब कप्तान नाराज़ हो गए और राहुल पर चिल्लाये " मैंने कहा था न कि वह नहीं बचेगा ,वह मर गया है और तुम भी मारे जाते ,मैं अपना एक और जवान खो बैठता ,तुमने वह जाकर गलती कि थी "| राहुल ने जवाब दिया "कप्तान मैंने जो किया वह ठीक किया था | जब मैं पवन के पास पहुंचा तो वह जिन्दा था और उसके आखिरी शब्द थे " राहुल मुझे यकीन था कि तुम जरुर आओगे |"
अच्छे रिश्ते बड़ी मुस्किल से बनते है और एक बार बन जाये तो उसे निभाना चाहिए |
हमसे अक्सर कहा जाता है कि सपने साकार करो | मगर हम अपने सपनो को दूसरो कि कीमत पर असलियत का रूप नहीं दे सकते | ऐसा करने वालो के पास चरित्र नहीं होता | हमें अपने परिवार ,दोस्तों और उन लोगो के लिए जिनकी हम परवाह करते है और जो हम पर निर्भर है ,अपने निजी हितो का त्याग करना चाहिए |
:- राजू सीरवी (राठौड़)