Monday 31 October 2011

:: मुस्कान::

मुस्कान की कोई कीमत नहीं होती, मगर यह बहुत कुछ रचती है,
यह पाने वाले को खुशहाल करती है ,देने वाले का कुछ घटता नहीं ,
यह क्षणिक होती है लेकिन यह यादो में सदा के लिए रह सकती है ,
कोई इतना आमिर नहीं कि बगेर इसके बगैर काम चला ले ,
और कोई इतना गरीब नहीं कि इसके फायदे को न पा सके ,
यह घर में खुशहाली लाती है,व्यवहार में ख्याति बढाती है ,
और यह दोस्तों कि पहचान है |
यह थके हुए के लिए आराम है ,निराश लोगो के लिए रोशनी,
उदास के लिए सुनहरी धुप ,और हर मुस्किल के लिए
कुदरत की सबसे अच्छी दवा |
न तो यह भीख में ,न खरीदने से ,
न उधर मांगने से और न चुराने से मिलती है ,
क्योंकि यह एक ऐसी चीज़ है जो तब तक किसी के काम की नहीं ,
जब तक आप इसे किसी को न दे ,
दिन भर की भाग दौड़ में कुछ परिचित हो सकते है ,
कि इतने थके कि मुस्कुरा न सके |
तो उन्हें अपनी ही मुस्कान दीजिए |
किसी को मुस्कान कि उतनी जरुरत नहीं होती जितनी कि उसे ,
जो खुद किसी को अपनी मुस्कान न दे सके |

:-राजू सीरवी (राठौड़)

::भोजन मुफ्त में नहीं मिलता::

एक राजा ने अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते इतिहास की समझदारी भरी बाते लिखने के लिए कहा ,ताकि वह उन्हें आने वाली पीढियों तक पहुंचा सके | सलाहकारों ने काफी मेहनत कर समझदारी भरी बातो पर कई किताबे लिखी ,और उन्हें राजा के सामने पेश किया | राजा को वो किताबे काफी भरी भरकम लगी | उन्होंने सलाहकारों से कहा कि लोग इन्हें पढ़ नहीं पाएंगे , इसलिए इन्हें छोटा करो | सलाहकारों ने फिर  काम किया और केवल एक किताब लेकर ए | राजा को वह भी काफी मुस्किल लगी | राजा ने सलाहकारों को इसे और छोटा करने का आग्रह किया | इस बार सलाहकार सिर्फ एक अध्याय लेकर आए  | राजा को वह भी काफी लम्बा लगा ,अतः राजा ने उसे और छोटा करने का आग्रह किया | तब सलाहकारों ने उसे और छोटा कर सिर्फ एक पन्ना पेश किया | लेकिन राजा को एक पन्ना भी लंबा लगा | आखिरकार सलाहकार राजा के पास सिर्फ एक वाक्य लेकर आये और राजा उससे संतुष्ट हो गया | राजा ने कहा कि अगर उसे आने वाली पीढ़ियों तक समझदारी का केवल एक वाक्य पहुँचाना हो तो वह वाक्य होगा ""भोजन मुफ्त में नहीं मिलता ""
""भोजन मुफ्त में नहीं मिलता"" का मतलब दरसल यह है कि हम कुछ दी बिना कुछ पा भी नहीं सकते | दूसरो लफ्जों में कहे तो जो हम लगते है ,बदले में वही पाते है | अगर हमने किसी योजना में ज्यादा लागत नहीं लगाई तो हमको ज्यादा फायदा भी नहीं मिलेगा |
बेशक हर समाज में ऐसे मुफ्तखोर भी होते है जो कुछ किए बिना ही पाने कि उम्मीद लगाए रहते है  |
 :-राजू सीरवी (राठौड़)

Sunday 30 October 2011

::वचनबद्धता::

हमारे जीवन मूल्यों का एक बेहद जरुरी हिस्सा है ,वचनबद्धता | जब हमारे जीवन मूल्य साफ होते है ,तो फैसला लेना और वचन निभाना आसन हो जाता है |
उदहारण के तौर पर आप देश दुश्मनों को अपने देश के राज़ बताकर या बेचकर अपने देश के प्रति वचनबद्धता नहीं निभा सकते | अपने दोस्त के राज़ दूसरो को बताकर दोस्ती बरकरार नहीं रख सकते |  नियमानुसार काम नहीं करके ,आप अपनी नौकरी या काम के प्रति वचनबद्धता नहीं दिखा सकते |
वचनबद्धता पूरा न करने का नतीजा बेईमान व्यवहार होता है |

कोई रिश्ता चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक ,अगर निम्नलिखित बातो के बावजूद कायम रहे तो निसंदेह एक हैरानी की बात होगी -
मैं कोशिश करूँगा, मगर मैं वचनबद्धता नहीं दे सकता |
मैं इसे कर लूँगा मगर मेरे भरोसे मत रहना |
अगर हो सके तो मैं आऊंगा मगर कम ही आशा रखना |
जब तक तुम्हारी सेहत अच्छी है मैं तुम्हारे साथ रहूँगा |
जब तक तुम कामयाब हो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा |
जब तक मुझे कुछ और अच्छा नहीं मिल जाता ,मैं तुम्हारे साथ रहूँगा

अगर निम्नलिखित रिश्ते एक दुसरे पर भरोसा नहीं कर सकते ,तो पता नहीं दुनिया का काम कैसे चलेगा -
माँ - बाप / बच्चे
पति /पत्नी
गुरु / शिष्य
विक्रेता /ग्राहक
मालिक / कर्मचारी
दोस्त /दोस्त
इन रिश्तो के बुनियादी उसूलो पर भरोसा न कर पाने का अहसास किसी इन्सान को पागल बना सकता है | हमारे सबसे मजबूत रिश्ते वचन के अदृश्य  धागे से बंधे होते है | इन दिनों वादा तोडना कोई बड़ी बात नहीं मानी जाती है ,लेकिन वचनबद्धता के बिना सभी रिश्ते खटाई में पड़ जाते है | वचनबद्धता की कमी  रिश्तो में दरार डाल देती है ,और असुरक्षा बढाती है | वचनबद्धता न होने पर लोग समझ नहीं पाते कि उनके आपसी रिश्तो में कितनी गहराई है |
वचनबद्धता में जरुरी -
भरोसा
विश्वसनीयता
निश्चितता
निरंतरता
परवाह करना
दूसरो कि भावनाओ का अहसास
कर्तव्य का भाव
ईमानदारी
चरित्र
निष्ठा
वफ़ादारी
अगर इनमे से एक भी चीज़ कि कमी हो तो वचनबद्धता में कमजोरी आ सकती है |
जब कोई व्यक्ति किसी को वचन देता है तो वह वास्तव में कहता है "तुम मुझ पर हर हाल में भरोसा कर सकते हो "और "जब भी तुम्हे मेरी जरुरत होगी मैं तुम्हारे साथ होऊंगा "
बिना किसी शर्त के दिया गया वचन कहता है "अनिश्चित भविष्य में ही निश्चित हूँ "
भविष्य को अनिश्चित बनाती -
आपकी ज़िन्दगी और हालत में बदलाव
बाहरी हालत में बदलाव
वचन देने वाला इन्सान बहुत कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहता है | वचनबद्धता कहती है -
मैं त्याग करने को तैयार हूँ ,क्योंकि मुझे तुम्हारी परवाह है
मैं भरोसेमंद व्यक्ति हूँ तुम मुझ पर विश्वास कर सकते हो
मैं तुम्हे धोखा नहीं दूंगा
तकलीफों के बावजूद मैं तुम्हारे साथ रहूँगा
अछे या बुरे समय में मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा
वचनबद्धता उस क़ानूनी कांट्रेक्ट की तरह नहीं होता जिसे पूरा करना ही पड़ता | इसकी बुनियाद कागज के टुकड़े पर किया गया दस्तखत नहीं ,बल्कि चरित्र ,निष्ठां और दूसरो की मनोभावनाओ का अहसास है |
वचन देने का मतलब यह नहीं किऔर कोई रास्ता न बचने पर ही इसे निभाया जाए | इसका मतलब बहुत से रस्ते होने पर भी अपने वचन पर डंटे रहना |  
वचनबद्धता कायम रखने के फायदे -
निश्चितता
सुरक्षा
व्यक्तिगत विकास
व्यक्ति और समुदाय के बीच अटूट रिश्ता
टिकाऊ व्यक्तिगत और व्यावसायिक रिश्ते
वचनबद्धता रिश्तो को जोड़ने वाली गोद कि तरह होती है ,वचन निभाने का मतलब -अपने सुखो को त्यागकर दुःख को इच्छापूर्वक स्वीकार करना |
मिसाल के तौर पर -
दोस्ती में वचन निभाने का मतलब-विश्वसनीयता कायम रखना |
ग्राहकों के प्रति वचन निभाने का मतलब- अच्छी सेवा देना |
वैवाहिक जीवन के प्रति वचनबद्धता का मतलब - वफादार होना |
शिष्टता के प्रति वचनबद्धता का मतलब - अशिष्टता से दूर रहना |
देशभक्ति के प्रति वचनबद्धता का मतलब -त्याग करना |
नौकरों के प्रति वचनबद्धता का मतलब -निष्ठावान होना |
समुदाय के प्रति वचनबद्धता का मतलब - जिम्मेदारी होना |
वचनबद्धता परिपक्वता कि पहचान है | वचनबद्धता का मतलब है ,दूसरा रास्ता मिलने या कठिनाइयाँ सामने आने पर अपने फ़र्ज़ से मुँह न मोड़ना | सिर्फ मजबूत इरादों के लोग ही एक मजबूत समाज का निर्माण करते है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::अधुरा सच::

एक नाविक तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था | एक रात वह नशे में धुत हो गया | ऐसा पहली बार हुआ था | कप्तान  ने इस घटना को रजिस्टर में इस तरह दर्ज किया "नाविक आज रात नशे में धुत था "|
नाविक ने यह बात पढ़ ली | वह जानता था कि इस एक वाक्य से उसकी नौकरी पर असर पड़ेगा ,इसलिए वह कप्तान के पास गया ,और माफ़ी मांगी और कप्तान से कहा कि उसने जो कुछ भी लिखा है ,उसमे यह भी जोड़ दे कि ऐसा तीन साल में पहली बार हुआ है ,क्यों कि पूरी सच्चाई यही है | कप्तान ने मन कर दिया और कहा " मैंने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा वह सही है ,वही असली सच्चाई है "|
अगले दिन रजिस्टर भरने कि बारी नाविक की थी | उसने लिखा " आज की रात कप्तान ने शराब नहीं पी |'' कप्तान ने इसे पढ़ा और नाविक से कहा कि या तो वह इस वाक्य को बदल दे या पूरी बात लिखने के लिए आगे कुछ  और लिखे ,क्यों कि जो लिखा गया था उससे जाहिर होता था कि कप्तान हर रात शराब पीता था | नाविक ने कप्तान से कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा ,वह सच है |
दोनों बाते सही थी ,लेकिन दोनों से जो सन्देश मिलता है ,वह एक दम भटकाने वाला है ,और उसमे सच्चाई की झलक नहीं है |

बढ़ा चढ़ा कर कहना 
सच को बढ़ चढ़ा कर कहने से दो बाते होती है -
  • इससे हमारी बात का असर कम होता है ,और हमारी विश्वसनीयता घटती है |
  • यह एक आदत की तरह है | एक आदत सी बन जाती है | कुछ लोग बात को बढाए चढ़ाए बिना सच कह ही नहीं पाते | 
निष्कपट बने -
निष्कपट होना मन की एक भावना है | इसका सबूत देना मुश्किल है | मन में कोई कपट रखे बिना दूसरो की मदद करने की भावना हमें अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद देती है |
दिखावे से दूर रहना -
मुसीबत में पड़े किसी दोस्त से यह पूछना काफी अखरता है कि " मेरे लायक कोई काम हो तो बताओ " क्यों कि ऐसा मदद करने के मकसद से नहीं ,बल्कि दिखावे के लिए कहा जाता है "अगर हम सचमुच मदद करना चाहते है तो करने लायक कोई उचित काम सोचिए और कीजिए |
बहुत से लोग अपने स्वार्थ को छिपाने के लिए इंसानियत का नकाब लगा लेते है ,ताकि जब कभी उन्हें तकलीफ हो तो वे बदले में हक़ जताते हुए सहायता मांग सके |
झूठी और बेकार कि नाटक बजी से दूर रहे |
निष्कपटता सही फैसले का मापदंड नहीं है | कोई इमानदार होते हुए भी गलत हो सकता है |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Saturday 29 October 2011

::खतरों से सफलता::

सफलता पाने के लिए सोच समझ कर खतरे भी उठाने पड़ते है | खतरे उठाने का मतलब बेवकूफी भरा जुआ खेलना और गैरजिम्मेदारी बरतना नहीं होता | कई बार लोग गैरजिम्मेदारी पूर्ण और  ऊटपटाँग कामो को करना भी खतरा उठाना मान लेते है | इस वजह से जब बुरे नतीजे मिलते है तो वो अपनी किस्मत को दोष देते है |
हमें कौनसी चीज़ पीछे धकेल रही है ?
खतरे का मतलब अलग अलग इन्सान के लिए हो सकता है और यह ट्रेनिंग का नतीजा भी होता है | पहाड़ पर चढ़ना किसी प्रशिक्षित व्यक्ति और किसी नए सिखने वाले दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है ,लेकिन प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए इसे गैरजिम्मेदारी भरा खतरा नहीं मन जा सकता | जिम्मेदार ढंग से खतरे उठाने के लिए ज्ञान ,प्रशिक्षण ,ध्यानपूर्वक  अध्ययन .आत्मविश्वास और काबिलियत की जरुरत होती है | खतरा सामने होने पर ये चीज़े हमको उनका सामना करने की हिम्मत देती है | खतरा न उठाने वाला आदमी कोई गलती भी नहीं करता | लेकिन कोशिश नहीं करना ,कोशिश करके असफल होने से भी बड़ी गलती है |
कई लोगो में फैसला न पाने की आदत बन जाती है ,और यह छुआछुत बीमारी की तरह फैलती है | ऐसे लोग फैसले न ले पाने के कारण कई अवसरों से हाथ धो बैठते है  | खतरे उठाइए ;पर जुआ मत खेलिए |
खतरा उठाने वाले अपनी आंखे खुली करके आगे बढ़ते है ,जबकि जुआ खेलने वाले अँधेरे में तीर चलते है |
एक बार किसी ने एक किसान से पूछा "क्या तुमने इस मौसम में गेहू की फसल बोई है ?" किसान ने जवाब दिया "नहीं मुझे बारिश न होने का अंदेशा था " उस आदमी ने पूछा :क्या तुमने मक्के की फसल बोई ?'' किसान ने कहा ;नहीं मुझे दर था कि कीड़े मकोड़े खा लेंगे " तो उस आदमी ने पूछा ;आखिर तुमने बोया क्या है , किसान ने कहा ; कुछ नहीं , मैं कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था "

हँसने में बेवकूफ समझे जाने का डर है |
रोने में जज्बाती समझे जाने का डर है |
लोगो से मिलने में नाता जुड़ जाने का डर है |
अपनी भावनाएं प्रकट करने में ,मन कि सच्ची बात खुल जाने का डर है |
अपने विचार ,अपने सपने लोगो से कहने में ,उनके चुरा लिए जाने का डर है |
किसी को प्रेम करने पर बदले में प्रेम न पाने का डर है |
जीने में डरने का डर है | 
आशा में निराशा का डर है |
कोशिश करने में असफलता का डर है |
लेकिन खतरे जरुर उठाएं जाने चाहिएं क्यों कि ,
ज़िन्दगी में खतरा न उठाना ही सबसे बड़ा खतरा है |
जो सख्स खतरा नहीं उठता वह न तो कुछ करता है ,
न कुछ पाता है ,और न कुछ बनता है |
वे जिंदगी में दुःख दर्द से तो बच सकते है ,लेकिन
वे सिखने ,महसूस करने ,बदलाव लेन ,आगे बढ़ने या प्रेम करने ,
और जीवन जीने को सीख नहीं पाते है |
अपने नज़रिए कि जंजीरों में बंधकर गुलाम बन जाते है |
और अपनी आज़ादी खो देते है |
सिर्फ खतरा उठाने वाला इन्सान  ही सही मायनो में आज़ाद है |

:- राजू सीरवी (राठौड़)

::हिम्मत न हरो::


जब कोई काम बिगड़ जाए ,
जैसे की कभी कभी होता है ,
जब रास्ता सिर्फ चढ़ाई का ही दिखता हो,
जब पैसे कम और क़र्ज़ ज्यादा हो ,
जब मुस्कराहट की इच्छा आ बने ,
जब चिंताएं दबा रही हो ,
तो सुस्ता लो ,लेकिन हिम्मत न हारो ,
भूल भुलैया है ये जीवन ,
पगडंडियाँ जिसकी हमें पार करनी है ,
कई असफल तब लौट गए ,
पार हो गए जो आगे बढ़ते गए ,
धीमी रफ़्तार तो क्या ,
मंजिल को एक दिन पाओगे ,
सफलता छिपी असफलता में ही ,
जैसे शंका के बदल में आशा की चमक ,
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी ,
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो ,
डटे रहो चाहे कितनी भी मुस्किल हो ,
चाहे हालात जितने भी बुरे हो ,
लेकिन हिम्मत न हारो ,डटे रहो !
:राजू सीरवी (राठौड़)

::पर्यावरण::

यह नदिया ,यह सागर
होकर भाप ,बन जाते बादल 
उड़ते है मीलो आकाश में,
जहाँ होता है बरसना ,बरस पड़ते उल्लास में
लगी बरसात की झड़ी ,लहला गए खेत खलियान
हरियाली की चादर ओढ़े ,मुस्कुरा रहे है मैदान
वक़्त बदला ,इन्सान भी बदले
समय की है ऐसी धार
कर रहे कलुषित वातावरण को
अब नहीं आते वसंत बहार
खो गयी मौसम की खुशबु
सुने लग रहे नदिया पहाड़
मत काटो इन बेजुबां पेड़ो को
खुशहाल रहेगा ये जहाँ और किसान
वक़्त रहते अगर न चेते
मिट जायेगा नामुनिशान
आँखे बंद ,कान भी बंद है इन्सान की
और मर रहे चुपचाप
अगर हो स्वच्छ वातावरण का स्पंदन
हर वक़्त रहे आनंद ही आनंद
:राजू सीरवी (राठौड़)
























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::हमदर्द बने::


एक बच्चा पालतू जानवरों की दुकान में एक पिल्ला खरीदने गया ! वहाँ चार पिल्लै साथ बैठे थे ,जिसमे से हर एक की कीमत २५०० रुपये थी ! एक पिल्ला कोने में अकेला बैठा हुआ था !
उस बच्चे ने जानना चाहा कि क्या वह उन्ही बिकाऊ पिल्लो में से एक है ,और वह अकेला क्यों बैठा है ? दुकानदार ने जवाब दिया कि वह उन्ही में से एक है पर अपाहिज है ,और बिकाऊ नहीं है !
बच्चे ने पूछा :-उसमे क्या कमी है ? दुकानदार ने बताया कि जन्म से ही उस पिल्लै कि एक टांग बिलकुल ख़राब है ,और उसकी पूंछ के पास के अंगो में भी खराबी है ! बच्चे ने पूछा ,आप इसके साथ क्या करेंगे ?
तो उसका जवाब था कि इसे हमेशा के लिए सुला दिया जायेगा ! उस बच्चे ने दुकानदार से पूछा कि क्या वह उस पिल्लै के साथ खेल सकता है !
दुकानदार ने कहा ,क्यों नहीं ! बिलकुल खेल सकते हो | बच्चे ने पिल्लै को गोद में उठा लिया ,और पिल्ला उसके कान को चाटने लगा | बच्चे ने उसी समय फैसला किया कि वह उसी पिल्लै को खरीदेगा | दुकानदार ने कहा ,यह बिकाऊ नहीं है ,मगर बच्चा जिद्द करने लगा |इस पर दुकानदार मान गया | बच्चे ने दुकानदार को २०० रुपये दिए और बाकी कि धनराशी लेने अपनी माँ के पास दौड़ा | अभी वह दरवाजे तक ही पहुंचा था कि दुकानदार ने जोर से कहा ,मुझे समझ में नहीं आता कि तुम इस पिल्लै के लिए इतने रुपये क्यों खर्च कर रहे हो ,जबकि तुम इतने ही रुपयों में एक अच्छा पिल्ला खरीद सकते हो | बच्चे ने कुछ नहीं कहा |
उसने अपने बाएँ पैर से पैंट उठाई , उस पाँव में उसने ब्रेस पहन रखी थी | दुकानदार ने कहा ;मैं समझ गया तुम इस पिल्लै को ले जा सकते हो |
इसी को दूसरो कि भावनाएँ समझना कहते है |
जब आप दुःख बंटते है तो यह काम हो जाता और जन आप सुख बंटते तो यह बढ़ जाता है
:-राजू सीरवी (राठौड़)

Thursday 27 October 2011

::स्नेह मिलन::


हमारा मोहल्ला इतना सुन्दर और मानवता की एक मिशाल है ! जहा जात  पांत के नाम की कोई चीज़ ही नहीं !  हिन्दू भी रहते ,मुस्लिम भी है ,जैन परिवारों के कुछ घर ,तो हरमिंदर सोडी और जसप्रीत चाची और कोमल (जॉब करती है यही पर तो हमारे मोहल्ले में ही रहती है ) भी रहते है !
सच में वाकई इतना अच माहोल रहता हमारे मोहल्ले का कि जो भी हमारे मोहल्ले में आये ,उनका मन भी करता कि काश वोह भी इस अनूठे परिवार का हिस्सा होते ! कितनी खुशिया है इस मोहल्ले में है यह हर वह व्यक्ति   जनता जो इंसानियत के मायने जानता हो !
हम सब अलग अलग गाँव,शहर से है पर हमारा भाईचारा और नाता ऐसा है कि कोई भूल कर भी न कहे कि हम सब एक नहीं या एक ही गाँव के नहीं ! हर ख़ुशी में सब सामिल होते है ,तो हर गम को को भी सब साथ में झेलते है !
कल दीपावली है , हमारे मोहल्ले में सब को दीपावली के बेसब्री से इंतजार था ! सब अपने अपने घर कि सफाई कर रहे थे ! मैं तो सबसे पहले सफाई का काम निपटा लेता हूँ ,
जसप्रीत चाची ने आवाज़ दी" बेटा राजू थोड़ी मदद करेगा मेरी "
अरे जस्सू चाची (मैं जसप्रीत चाची को जस्सू चाची ही कहता हूँ ) मदद कहोगे तो मैं कोई मदद नहीं कर सकता ,क्यों कि इन्सान जब मदद का आदि हो जाये तो ज़िन्दगी सिर्फ मदद कि मोहताज़ हो जाती है ,जहा तक जितना हो सके अपना काम मदद लेकर करने कि बजाय खुद करो(कोमल मेरी बाते सुन कर मंद मंद मुस्कुरा रही और थोड़ी गुस्साई सी पर अपनापन था गुस्से में भी ) ,और रही बात आपके काम की तो मुझे अपनों का काम करने में क्या दिक्कत हो सकती !(जस्सू चाची की उम्र हो चुकी तो थोड़ी तकलीफ तो होती ही है )
जस्सू चाची :-चल ठीक है मदद न सही मेरे लिए ही सही ,,, वैसे भी तेरे चाचा और पूनम ( पूनम चाची की बेटी ,पूनम और चाचा जी की एक दुर्घटना में मौत हो गयी ) के जाने के बात मेरा परिवार यह अपना मोहल्ला और बेटा तूं  ही तो है !
मैं चाची के हर काम करता और हर जरुरत पूरी करता ,वैसे चाची जी की आर्मी की नौकरी थी तो चाची को उनकी पेंसन मिलती है. कभी अकेला महसूस होता है तो मैं अक्सर चाची के पास जाकर वक़्त बिताया करता हूँ !
हरमिंदर :- के हाल है राजू प्राजी ?
सब बढ़िया है हरमिंदर भाई ,बस कल दिवाली है तो साफ सफाई का काम तो हो ही गया और चाची को थोडा काम है तो लग गया हूँ यहाँ ,, और तुम बताओ हरमिंदर हो गयी सब तैयारियां दिवाली की ,और भाभी जी क्या स्पेशल बना रहे है दिवाली पर ?
हरमिंदर:- हां राजू सब तैयारियां हो गयी और स्पेशल तो तुम ही पूछलो अपनी भाभी से ( हंस कर बोला ) चल भाई मैं बाज़ार जाकर कुछ सामान और पठाखे ले आता हूँ !
अच्छा सोडी ! तभी इब्राहीम चाचा और कोमल दोनों साथ में आए" कहा चल दिए इब्राहीम चाचा "
अरे बेटा दिवाली है कल तो बाज़ार जाकर कुछ मिठाई ,पठाखे ले आता हूँ ,नहीं तो तेरी चाची और बच्चे मुझे चैन से कहा बैठने देंगे (मुस्कुराकर इब्राहीम चाचा भी बाज़ार गए )
और कोमल आप ?:मैंने पूछा
मैं भी मार्केट ही जा रही हूँ सोचा बाज़ार भी कर लुंगी और चाचा की हेल्प भी हो जाएगी (मुझे जलने के लिए )
मेरे साथ चलियेगा कोमल जी बाइक पर जाकर जल्दी आ जायेंगे.:मैंने कहा
नहीं आप चाची का काम कीजिये और मैं हो आती हूँ मार्केट और चाचा के साथ रहूंगी तो चाचा को भी कोई तकलीफ नहीं होगी !आप आराम से अकेले ही जाइएगा मार्केट :कोमल ने कहा
वैसे कोमल के मन में सबके लिए बहुत सम्मान है
जस्सू चाची आपका काम हो गया मैं भी मार्केट हो आता हूँ कुछ सामान लाना है आपको भी कुछ मांगना है तो कहिये ला देता हूँ !
यह ले पैसे और कुछ मिठाई ले आना :जस्सू चाची ने कहा ,
मैंने मार्केट जाकर पूजा की सामग्री और मिठाइय ले आया ...
रात भर सब जाने दिवाली की तैयारियों में जुटे हुवे थे ! सुबह होते ही सब घरो में मिठाइय और पकवान बन रहे थे ! मोहल्ला पकवान की खुशबु से नहाया हुआ और इतना सुन्दर दिख रहा मनो राम जी की अयोध्या यही पर बसी हुई है ! शाम होते होते सब तैयार हो गए , सब मोहल्ले वाले नए वस्त्र पहने और सबके चहरे खिलखिलाए हुवे ,,कोमल भी आज चौदवी का चाँद सी लग रही थी ,बहुत सुन्दर नज़ारा था ,, दीपो की रौशनी से मोहल्ला चकम रहा था ,इब्राहीम चाचा के बच्चो ने रंगोली बहुत सुन्दर बनायीं मोहल्ले के प्रांगण में ! शाम को एक एक करके सब जानो के घर पूजा हो गयी ,इब्राहीम चाचा ,सोडी और जस्सू चाची सब की पूजा में शामिल हुवे ! पूजा के बाद हम सबने बहुत खुशिया मनाई पठाखे फोड़े मिठाई खिलाकर सबका मुह मीठा किया ! उसी मिठाई की तरह हमारे रिस्तो की मिठास भी हमेशा बनी रहे यही हमसब ने प्रार्थना की माँ लक्ष्मी जी से ! इब्राहीम चाचा का चेहरा तो इतना खुश की मानो मोहल्ले की रौशनी इनकी ख़ुशी से ही हुई हो ... जस्सू चाची भी चाचा को और पूनम का गम तो भुला नहीं सकती पर हम सब का प्यार और अपनापन चाची को गम में खो जाने का मौका तक नहीं देता ! आखिर हमारे लिए सब की खुशियों में ही अपनी ख़ुशी है ! भाईचारा ही हमारा मजहब और मानवता ही हमारा ईमान है !
पूरी रात जश्न मनाया ... सुबह हुई पर हमारे मोहल्ले का जश्न अभी भी जोरो से हो रहा था ,,लोगो का आना शुरू हुआ स्नेह मिलन के लिए लोग आ रहे थे और सब के होंठो पर एक ही बात  "भाई परिवार हो तो आपके जैसा ,पूरा मोहला एक परिवार की तरह "
मैं और कोमल बाते कर रहे कि हमारा जश्न तो सालभर ऐसे ही चलता रहे  आज दिवाली हो गयी थोड़े दिन बाद ईद और गुरुनानक जयंती भी आएगी तो फिर क्रिशमस भी है... हमारा स्नेह मिलन ऐसे ही हमेशा होता ही रहेगा !   नज़र न लगे हमारे परिवार को
राजू सीरवी (राठौड़) 

Tuesday 25 October 2011

"Divorcing " a friend



Friends come in many categories -best friend, close friend ,casual friend, and ex- friend
  " The ideal of friendship forever 'has replaced that of marriage forever ..And sometimes that ideal turns out to be a myth..
just like couples ,friends can break up ,too.But how do you dump a friend ? In cases of major rifts or betrayals ,being direct but kind once you decide to end the relationship ."Tell you friend what hurt u nd why u need to put the friendship on hold "
while it's cruel to abandon longtime friends without offering any reasons . it's easy to let some friendship fizzle :Don't return calls as quickly ;avoid plans or make them so far ahead that there's time to cancle if u decide u still don't want to get together "Most people"
will start to get the hint
phasing -out friends who have put u down ---or who have let u down--pays others dividends ,"one benefit of pruning "destructive friendship is u'll have more time and energy to invent in positive friendship --and to cultivate new once . if u feel better about ur friends ,you're more likely to feel better about urself

::आया है त्यौहार दिवाली का ::


आया त्यौहार दिवाली का   
बच्चो की खुशहाली का
चिंटू कहता पापा से
मुझको PC लाना है
गुड्डी कहती मम्मी से
हमें सितार बजाना है
पापा बड़े अचम्भे में ही
यह मौसम कंगाली का
आया त्यौहार दिवाली का

बीबी कहती पति देव से
जब बोनुस तुम पायोगे
सबसे पहले है सुनहरा
ला मुझको पहनाओगे
पति देव तो मूक बने है
रूपया देना उधारी का
आया त्यौहार  दिवाली  का

सब की फरमाइश से तंग हुए है
चिंटू गुडिया के पापा जी
पत्नी तो सिर चढ़ कर बोले
कभी ना कहती आओ जी
अब भाग ना सकते पापा जी
जो ठेका लिया रखवाली का
आया त्यौहार दिवाली का 
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::तू जगमगाए तेरा दीप जगमगाए::

 
तू  जगमगाए  तेरा  दीप जगमगाए 

सरे जहां की खुशिया तेरे भी घर को आये
गंगा और यमुना सा निर्मल हो तेरा मन
अम्बर और धरा सा स्वच्छ हो तेरा तन  
इस नगर में तेरी ज्योति चमचमाए
तू जगमगाए तेरा  दीप  जगमगाए

अच्छे कर्मो से जग में नाम होगा तेरा
तेरी आहात से बुराइया लेंगी नहीं बसेरा
तेरे मरने के बाद भी लोग तेरा नाम गायें
तू जगमगाए तेरा दीप जगमगाए

मिट जाए अँधेरा जो तेरी डगर में आये
आये कभी न गम जो  देती चिंताए
नाम अमर हो तेरा एक तारा टिमटिमाये
तू  जगमगाए  तेरा  दीप  जगमगाए

दूर करना छुआछूत मंदिर मस्जिद का झगड़ा
कोई मरे ना  भूखा कोई रहे ना कंगाल
आने वाला कल तेरा नाम गुनगुनाये
तू  जगमगाए तेरा दीप  जगमगाए 
:-राजू सीरवी (राठौड़ )

Sunday 23 October 2011

::गाँधी जी के अनुसार सात महापाप::



  1. बिना मेहनत किए दौलत कमाना !
  2. सद्विवेक रहित आनंद !
  3. चरित्ररहित ज्ञान !
  4. नैतिकता रहित व्यापर !
  5. मानवता रहित विज्ञानं !
  6. त्याग रहित धर्म !
  7. सिद्दांतरहित राजनीति !  

Saturday 22 October 2011

::मेरे साथी ओ मेरे साथी::


मेरे साथी ओ मेरे साथी
क्यूँ मुझसे प्यार किया ,क्यूँ दिल को तन्हा किया
अगर छोड़ना था मझधार में तो क्यूँ हाथ थम लिया
कैसे चले इस राह पर तु मुझको अब दे बता
कैसे जीये यह ज़िन्दगी ,कुछ तो मुझे समझा
मेरे साथी ओ मेरे साथी

हद से ज्यादा चाह तुझे ज़िन्दगी तेरे नाम कर दी
ख्वाबों में बस तुझको देखा , हर साँस तेरे नाम लिख दी
बंदिसे थी ज़माने की , ठुकरा कर सब अपनाया तुझे
जा न मुझसे दूर ,यह भी समझाया तुझे
मेरे साथी ओ मेरे साथी


सोचा था सब हासिल हो गया ,जो तुझे पा लिया
यह भूल थी मेरी ,न जाना मैंने इतना दर्द भी मिलेगा
आँखों से आंसू न रुकते ,दिल तडपता ही जाये
क्यूँ गए हो दूर मुझसे ,दिल यह बार बार पुकारे
मेरे साथी ओ मेरे साथी
क्यूँ मुझसे प्यार किया ,क्यूँ दिल को तन्हा किया
अगर छोड़ना था मझधार में तो क्यूँ हाथ थम लिया
कैसे चले इस राह पर तु मुझको अब दे बता
कैसे जीये यह ज़िन्दगी ,कुछ तो मुझे समझा
मेरे साथी ओ मेरे साथी
:- राजू सीरवी (राठौड़)

::मेरे साथी मेरे हमदम::


मेरे साथी मेरे हमदम ,मेरे साथी मेरे हमदम
जबसे देखा है तुझको ,मन मेरा बेगाना हुआ.....
मेरे साथी मेरे हमदम , मेरे साथी मेरे हमदम

पहली बार जब नज़रे मिली ,तो दिल धड़कन बढ़ी
हम कुछ नहीं कह सके , पर आँखे बयां कर गयी
नज़ारे झुका कर युही शर्मा कर
लबों पर थी मुस्कान भरी
मेरे साथी मेरे हमदम , मेरे साथी मेरे हमदम

एक मासूम सा चेहरा , जिस पर है दिल फ़िदा
राह मैं देखतां हूँ उनकी ,हो जाये उनका दीदार
ना जाने दिल क्यों ना समझे ,क्यों है इतना बेक़रार
अब बेगाना दिल यह पूछे ,क्यूँ  होता है प्यार
मेरे साथी मेरे हमदम ,मेरे साथी मेरे हमदम
जब से देखा है तुझको ,मन मेरा बेगाना हुआ
मेरे साथी मेरे हमदम
:-राजू सीरवी (राठौड़)

::आत्म सम्मान हमारी खुद की सोच है::


एक किसान ने अपने खेतों में लौकी बोई ! उसने बिना कुछ सोचे समझे एक छोटी सी लौकी को बेल समेत एक शीशे के जार में रख दिया !
फसल काटने के समय उसने देखा की जार में राखी लौकी केवल उतनी ही बड़ी हो सकी ,जितना बड़ा जार था ! जिस तरह लौकी उसे रोकने वाली हदों से अधिक नहीं बढ़ सकी , उसी तरह हम भी
अपनी सोच के दायरे से आगे नहीं बढ़ सकते , उस दायरे की हदे जो भी हो !
ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान के कुछ फायदे -
लोगो की भावनाओ और उनकीं उत्पादकता के बीच सीधा रिश्ता होता है ! ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान का  इज़हार अपने आप को ,दूसरों को,
तथा जायदाद , कानून ,माँ-बाप और देश को दी जाने वाली इज्ज़त से होता है ! इसका उल्टा भी उतना ही सही है !
ऊँचे दर्जे का आत्मसम्मान :
:-दृढ़ विश्वास पैदा करना है !
:-जिम्मेदारियां कबूल करने की इच्छा पैदा करना है !
:-आशावादी नजरिया बनाता है !
:-रिश्ते बेहतर बनाता है और ज़िन्दगी में परिपूर्णता लाता है !
:-दूसरो की जरूरतों के प्रति व्यक्ति को संवेदनशील बनाता है और देखभाल का नजरिया बनाता है !
:-व्यक्ति को खुद से प्रेरित और महत्वकांक्षी बनाता है !
:-आदमी की सोच में नए अवसरों और चुनौतियों को कबूल करने के लिए खुलापन लाता है !
:-कार्य करने की क्षमता और खतरे मोल लेने की योग्यता बढ़ता है !
:-आदमी की प्रशंसा और निंदा का लेनदेन चतुराई ,और सरलता के साथ करने में मदद देता है !
:-ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपनी साख गँवाने के बजाय व्यापर में घाटा उठा लेता है ,क्यों की वोह अपनी साख को अनमोल मानता है !

Thursday 20 October 2011

::रास्ता बनाने वाला ::


एक बुजुर्ग , जो एक सुनसान सड़क पर जा रहा था ,शाम होते -होते ठण्ड ठिठुरता पहुंचा ,एक लंबे ,गहरे और चौड़े दर्रे के करीब ,
जिसके अन्दर तेज़ पानी बह रहा था ! बुजुर्ग ने शाम के धुंधलके में उसे पार किया ! पानी कि धारा से उसे कोई दर नहीं लगा !
मगर वह पीछे मुड़ा सुरक्षित पर करने के बाद , और उन लहरों के आर पार एक पुल बनाया !
"ओ बुजुर्ग " एक साथी यात्री ने उसे पुकारा ,"तुम इसे बनाने में बेकार मेहनत कर रहे हो " !
तुम्हारी यात्रा दिन के ढलते ही ख़त्म हो जाएगी ;और फिर तुम कभी इस रस्ते से नहीं गुजरोगे:
तुमने इस चौड़े और गहरे दर्रे को पार कर लिया है -तुम इस धारा पार पुल क्यों बना रहे हो ? "
उस बुजुर्ग ने अपने सिर को उठाकर कहा "प्यारे दोस्तों ,जिस रास्ते से मैं आया हूँ,उस रह में मेरे पीछे आ रहा है एक नौजवान ,जिसे यही से गुजरना है "
यह दर्रा जो मेरे लिए मुश्किल रहा है ,उस सजीले नौजवान के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है !उसे भी शाम के धुंधलके में पार करना पड़ेगा !
मेरे दोस्तों मैं यह पुल उस नौजवान के लिए बना रहा हूँ !

राजू सीरवी (राठौड़)

इन्सान का चरित्र से गुणों का मेल है !


इन्सान का चरित्र ,निष्ठां , निस्वार्थ  भावना , समझ दृढ़ विश्वास , साहस, वफादारी और दूसरों की इज्ज़त करने जैसे गुणों का मेलजोल होता है !
कोई खुशनुमा , चरित्रवान व्यक्तित्व कैसा होता है !
  • उसका अपना एक स्थर होता है !
  • उसमे आत्मसंयम होता है !
  • वह संतुलित होता है !
  • उसमे अहंकार रहित दृढ़ता और आत्म विश्वास होता है !
  • वह दूसरो का ध्यानं रखता है !
  • वह बह्गाने नहीं बनता है !
  • वह जानता है कि शिष्टाचार ,और सलीके से पेश आने के लिए छोटी छोटी कुर्बानिय देनी पड़ती है !
  • वह अपनी पिछली गलती से सीखता है !
  • वह पैसे , या ऊँचे खानदान कि देन नहीं होता है !
  • वह अपने फायदे के लिए दूसरो को तबाह नहीं करता !
  • उसमे दिखावा नहीं , बल्कि असलियत होती है !
  • उसमे ऊँचे लोगो को सोहबत में रहने कि काबिलीयत तो होती ही है ,साथ  ही आम आदमी वाला अंदाज़ भी होता है !
  • उसके शब्दों में मिठास ,नजाए में हमदर्दी और मुस्कान में शराफत होती है !
  • उसमे अत्याचार के विरोध में खड़ा हो सकने वाला स्वाभिमान होता है !
  • वह अपने साथ और दूसरो के साथ सहज रहता है !
  • उसमे एक बात खास होती है ,जो उसे जितने वाली बढ़त दिलाती है !
  • वह चमत्कार करता है !
  • वह अदभुत उपलब्धिया हासिल करता है !
  • उसे पहचानना आसन है , लेकिन उसकी व्याख्या करना मुश्किल है !
  • वह जिम्मेदारी काबुल करता है !
  • वह विनम्र होता है !
  • वह जीत और हार दोनों परिस्थितियों में समानता बनाये रखता है !
  • वह भाग्य और प्रसिद्दी का मोहताज़ नहीं होता है !
  • वह कोई नेम प्लेट नहीं होता !
  • उसमे स्थिरता होती है !
  • उसे महसूस किया जा सकता है पर देखा नहीं जा सकता है !
  • वह चापलूस नहीं होता ,पर विनम्र और शिष्ट होता है !
  • उसमे उत्करिष्ठाता होती है , पर गरूर नहीं होता है !
  • उसमे आत्म अनुशासन और ज्ञान होता है !
  • वह जीतने पर दयाभाव और हारने पर समझदारी दिखाता है! 

Wednesday 19 October 2011

सफलता क्या है ?


सफलता कोई रहस्य नहीं है ! यह केवल कुछ बुनियादी उसूलो को लगातार अमल में लाने का नतीजा होती है !
इसके विपरीत भी उतना ही सही -असफलता और कुछ नहीं , बल्कि कुछ गलतियों को लगातार दुहराने का नतीजा होती है !
यह बात आपको काफी सरल लगती है  ,लेकिन हकीकत यही है कि ज्यादातर सच बड़े सरल होते है ! मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि वे आसन होते है
लेकिन यह सच है कि वे सरल होते है !

सदा मुस्कुराना और सबको प्यार करना
गुणी जनों का सम्मान पाना
बच्चो के दिल में रहना
सच्चे आलोचकों से स्वीकृति पाना
झूठे दोस्तों कि दगाबाजी को सहना
खूबसूरती को सराहना
दूसरो में खूबियाँ तलाशना
किसी उम्मीद के बिना
दूसरो के लिए खुद को अर्पित करना
उत्साह के साथ हँसना और खेलना
और मस्ती भरे तराने गाना
इस बात का एहसास है कि
आपकी ज़िन्दगी ने किसी एक व्यक्ति का
जीवन आसन बनाया
यही सच्ची सफलता है !!
:-राजू सीरवी (राठौड़)

जिम्मेदारी


आप बचत को नज़रंदाज़ करके खुशहाल नहीं हो सकते !
आप  मजबूत को कमजोर करके ,कमजोर को मजबूत नहीं कर सकते !
आप  अमीरों को गरीब बनाकर गरीबो को आमिर नहीं बना सकते !
आप रोज़गार देने वालो को नुकसान पहुंचा कर रोज़गार लेने वालो की मदद नहीं कर सकते !
आप  इन्सान की आज़ादी छीन कर चरित्र और हिम्मत नहीं बढ़ सकते !
आप आपसी द्वेष को बढ़ावा देकर
भाईचारा नहीं बढ़ सकते !
आप अपनी चादर के बहार पैर पसारने के बाद अपनी मुस्किल से नहीं बच सकते !
उन कामो को करके जो लोग खुद कर सकते और
जो उन्हें करने ही चाहिए आप उनकी परमानेंट मदद नहीं कर सकते
::अब्राहम लिंकन ::

सफ़र



गाँव गए बहुत साल हो गए ! भला जायें भी तो कैसे ,भला काम धंधा छोड़कर घुमने की फुर्सत किसे है !
हम सिर्फ तरक्की करने में ही रह गए ! अच्छा खासा व्यापर ,और पैसे कमा रहे है ! पर यह भी तो ठीक नहीं है ना की पैसे कमाने के चक्कर में अपनी माटी अपने प्रदेश को ही भूल जाये !
चलो सोचा इस बार तो अपने देश होकर ही आएंगे ... आखिर साथ क्या चलने वाला है .. तन के कपडे तक साथ नहीं चलेंगे तो धन दौलत की क्या बिसात ..
और रही बात हमारी आने वाली पीढ़ी (बच्चो के लिए) के लिए धन दौलत जमा करने की बात तो इतनी तो हो ही गयी ! अब ज्यादा करेंगे तो वो(बच्चे ) क्या करेंगे ! अगर उनके लिए पूरी ज़िन्दगी का बंदोबस्त
करेंगे तो वो तो आलसी हो जायेंगे ना ... और फिर बुरी आदते भी सीखेंगे .. भाई बाप कमा कर रखेंगे तो बेटे तो ऐश ही करेंगे आखिर यह कलयुग जो है ! मैं देख रहा हूँ , पटेल साहब ने अपार धन दौलत कमाई है , भाई मेहनत भी खूब की है ! रात दिन एक कर दिए धन अर्जित करने के लिए ! बेटे और 1 बेटी है सब को अच्छी तालीम भी मिली, पर अब बाप ने इतना धनार्जन किया  है तो बेटो को अब धनार्जन की जरुरत  नहीं समझते .अब तो पटेल साहब की भी उम्र हो गयी बस खाना वक़्त पर मिल जाये तो अच्छी बात , पर अभी भी होसला है जितना हो सके कमा ही रहे है पर बेटे बाप के धन पर मज़े कर रहे है ! काम धंधे में कोई हाथ बटाता नहीं . तो भाई हमें ना तो पटेल साहब जितना अर्जित करना है और ना ही खुद को दुःख के दलदल में धकेलना चाहते .. कहते है ना " अति  शब्द सबके लिए दुखदायी ही होता है !
खैर ट्रेन का टिकट बुक करवाने के लिए लिए चल दिया !
भाई साहब एक टिकट बना दो जोधपुर के लिए : मैंने टिकट बनाने वाले से कहा
कब का सर ? :टिकट बनाने वाले ने पूछा
अगले महीने की १५ तारीख  का , हा अभी एक महिना है , क्या करे ट्रेन में जल्दी बुकिंग ना करवाओ तो बैठने की क्या खड़े होने की जगह भी मिलना मुस्किल !
सर १७५ वेटिंग है ,बुकिंग कर दू क्या :
क्या ? अभी एक महिना है और फिर भी इतनी वेटिंग ,करदो भाई क्या क्या करे आखिर बहुत सालो बाद गाँव जा रहे जैसे तैसे चले जायेंगे ! बहुत बेईमानी करते है यह सरकारी अफसर भी टिकट की भी कालाबाजारी होती है !
अब पैसा है ही ऐसी चीज़ की किसी ब्रम्हचारी को भी भ्रष्ट बना देता है !
खैर इस देश के हालत कब बदलेंगे इसका इंतजार सबको है ! पर जब तक खुद इमानदार नहीं बनते तब तक यह हालत बदल ही नहीं सकते ! भाई अपना काम निकालने  के लिए इन्सान क्या क्या नहीं कर रहा आजकल , पैसा फेक कर कुछ भी काम आसान किया जा सकता है ..
मैं अपने काम में व्यस्त रहता .. दिन निकले गए . तारीख भी गई गाँव जाने की...
रेलवे स्टेशन पंहुचा .. पता चला ट्रेन थोड़ी देरी से चल रही है ! चलो थोड़ी देर यही बैठ जाता हूँ !
ट्रेन स्टेशन पर आ गयी ..अपनी सीट पर जाकर बैठा ...
रात के १२ बजे थे , सो गया ! ट्रेन चल पड़ी ..मैं भी चादर तान कर सो गया .. अब गडगडाहट में नींद किसे आती ! आँख लगती अचानक कुछ आवाज़ आती नींद कि पो बारह !
सुबह हो गयी उठ कर निवर्त होकर अपनी सीट पर आकर बैठा . चाय वाला आया तो चाय ले ली .. चुस्किय ले रहा था ,कि एक छोटा लड़का हाथ में बड़ा सा कपडा लिए ट्रेन कि बोगी साफ़ किये जा रहा था !
आधे तन पर फटे कपडे . सफाई करके सबसे रुपये २ रुपये कि गुजारिश कर रहा था .. कोई देता कोई नहीं .. मैंने भी दिए ! पर मेरे मान में कई सवाल पैदा कर गया वोह लड़का ! क्यों यह लड़के शिक्षा से वंचित रहते.क्यों माँ बाप इनको पढ़ने कि बजाय छोड़ देते कि कमाओ और खाओ ! और सरकार भी इनको देख कर अनदेखा कर देती ! खैर मैं अकेला तो देश को सुधरने से रहा  ... ट्रेन अपनी गति से चल रही थी कही हरियाली तो कही सूखे .. कही पहाड़ तो कही घाटी बहुत ही सुन्दर नज़ारा था !
अचानक ट्रेन रुकी . लगता कोई स्टेशन आया ! मैं नीचे उतरा और कुछ खाने के लिए ले आया .. वापस अपनी सीट पर आ गया ! तभी एक बुजुर्ग दम्पति और एक लड़की मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठे ! मैंने जानबुझकर उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया ! तभी उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि उनके बैग रखवाने में थोड़ी मदद करू .. सो मैंने की ! जान पहचान भी कर ली ,वो आबू  उतरेंगे . घुमने जा रहे पोती के साथ .. बेटा है काम में इतना व्यस्त की वक़्त पर खाना खाने की फुर्सत नहीं ... खैर यह उनका निजी मामला है मैं कोई दखल नहीं देना चाहता ! पर मन में सवाल जरुर आ जाते की खूब धन कम लेते पर क्या माँ बाप उससे वाकई खुश है , क्या उनके साथ वैसा ही हो रहा जैसा वोह चाहते है !
दोपहर का वक़्त ह गया मैंने भी खाना खा लिया वोह लोग खाना खा रहे थे ! मैंने लड़की का नाम पूछा, "साधना" बताया था ! वह डिप्लोमा कर रही थी ! जान पहचान बढ़ी .. अच्छे स्वाभाव की थी बिलकुल दादा दादी की तरह ! उसमे मेरा e-mail ID लिया ताकि हम contact में रह सके ! उसे भी मेरी तरह लिखना और पढना बहुत अच्छा लगता था !
नींद आने लगी सोचा थोडा लेट जाऊ ..
सोया ही था की कुछ किन्नर  आये और पैसे मांगने लगे ,,नहीं दे  तो बत्तमीजी  करते ! मुझसे भी 50 रुपये छिन  लिए , साधना से भी पूछने लगे मैंने कहा हम सब एक ही परिवार के है , साधना के चेहरे पर मुस्कुराहट सी थी ! शायद  उसे अच्छा लगा की मैंने उनको अपना परिवार वाला समझा ! साधना ने कहा " कैसे इन्सान है यह भी जोर जबरदस्ती से वसूली , कुछ तो इंसानियत होनी चाहिए " मेरे मन में भी यही बात थी पर मुझे लगता कही न कही उनकी भी मजबूर है !
किन्नर  पूरी ट्रेन में वसूली कर के वापस हमारे कोच में आकर मेरे पास  वाली सीट पर बैठे ! वैसे वोह इतने भी बुरे नहीं की हम उनसे घृणा करे ! मैंने उनमे से एक को पूछा की आप में से कितने लोग पढ़े लिखे है ?
हम में से लगभग सब पढ़े हुवे है , पर यह दोनों डिग्री (इशारा करते हुवे ) होल्डर है
मेरा माथा ठनक गया डिग्री होल्डर और ट्रेन में वसूली ? साधना  भी आश्चर्यचकित नज़र से मुझे देखने लगी शायद वोह भी यही सोच रही ..
मुझसे रहा नहीं गया मैंने किन्नरों से पूछ ही लिया :-आप सब डिग्री होल्डर हो तो यहाँ पैसे मांगने की क्या जरुरत कही जॉब क्यों नहीं करते
किन्नर  तनिक उदास मन से " साहब हमको कौन जॉब देगा, न सरकार हमको नोकरी दे सकती न कोई प्राइवेट कंपनी .. साहब हमको भी ऐसे काम करने का कोई शौक नहीं  है . पर क्या करे मजबूरी है , साहब आपने कही भी किसी भी प्रमाण पात्र या फार्म में (स्त्री या पुरुष तो होते ही है ) नपुंसक का विकल्प है ? न जन्म प्रमाण पात्र ,न मृत्यु प्रमाण पात्र में ,न किसी नौकरी के फार्म में ,न किसी प्रतियोगिता फार्म में , न हमारे लिए नौकरी का प्रबंध , हमको सिर्फ और सिर्फ हेय दृष्टी से देखा जाता है , तो हम इसके सिवाय क्या करे !
मेरी जुबान को मनो  ताला लग गया . कुछ शब्द नहीं बोलने के लिए , क्यों की उनकी बातो को हम नकार नहीं सकते जो सच है , सच में इनके लिए नौकरी या और किसी सुविधा के लिए कोई विकल्प नहीं है !
खैर आबू आ गया किन्नर भी उतर गए और साधना और उनके दादा दादी भी .
बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर भगवान ने चाहा तो फिर मिलेंगे बेटा :साधना के दादा दादी ने कहा
साधना ने भी मुस्कुराकर विदाई ली ...
ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी तभी साधना दौड़कर आई और मुझे एक डिब्बा दिया और कहा " मेरी तरफ से आपके लिए पहला तोहफा "
ट्रेन चल पड़ी .. मैंने डिब्बा खोलकर देखा रस्सगुल्ले थे ! एक पल के लिए चेहरे पर मुस्कुराहट सी  आ गयी , कल तक जिनको मैं जनता नहीं था आज वोह मेरे अपने जैसे लगने लगे पर जो अपने है वोह न जाने क्यों बेगाने हुवे जा रहे है ! खैर साधना से तो मैंने रस्सगुल्ले ले लिए पर उसको मैं कुछ नहीं दे सका ! अगली बार जब भी मिलेंगे तब मैं उसको तोहफा दूंगा .
इसी तरह खयालो में शाम तक जोधपुर पहुच गया ,
और मन में कई सवाल अभी भी है ,पर ज़िन्दगी का सफ़र भी अभी बहुत है ,, और किसी यात्रा में और कुछ सवालो के जवाब भी मिल जायेंगे !
:-राजू सीरवी (राठौड़)

अगर आप सोचते हैं


अगर आप सोचते है कि आप हार गए है
तो आप हार गए
अगर आप सोचते कि आप में हौसला नहीं है
तो सचमुच नहीं है
अगर आप जितना चाहते है
मगर सोचते कि जीत नहीं सकते
तो निश्चित है कि आप नहीं जीतेंगे
अगर आप सोचते है कि हार जायेंगे
तो आप हार चुके है
क्यों कि हम दुनिया में देखते है कि
सफलता कि शुरुआत इन्सान कि इच्छा से होती है
यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है
अगर आप सोचते है कि आप पिछड़ गए
तो आप पिछड़ गए
तरक्की करने के लिए आपको अपनी सोच ऊँची करनी होगी
कोई भी सफलता प्राप्त करने से पहले
आपको अपने प्रति विश्वास लाना होगा
जीवन कि लड़ाईयां हमेशा
सिर्फ तेज और मजबूत लोग ही नहीं जीतते बल्कि
आज नहीं तो कल जीतता वही है
जिसे यकीं है कि वह जीतेगा

Tuesday 18 October 2011

ज़िन्दगी समझोतों से कैसे भरी है ?


ज़िन्दगी केवल मौज मस्ती का नाम नहीं है ! इसमे दुःख और निराशा का भी सामना करना पड़ता है !
ज़िन्दगी में ऐसी घटनाएँ भी घटती है , जिसके बारे में हमने सोचा तक नहीं होता है ! कई बार हर चीज़ उलट- पलट हो जाती है !
अच्छे लोगो के साथ भी बुरी घटनाएँ घाट जाती है ! कुछ चीज़े हमारे काबू से बहार होती है ,जैसे की अपाहिज होना ,शरीर में कोई जन्मजात दोष होना !
हम अपने माँ- बाप ,या पैदा होने के वक़्त के हालत को तो नहीं चुन सकते , अगर तकदीर ने हमारे साथ नाइंसाफी की है तो ,मुझे अफ़सोस है !
लेकिन ऐसा हो ही गया है , तो अब हम क्या करेंगे - चीखेंगे -चिल्लाएँगे ,या तकदीर की चुनोती को मंजूर  करते हुएआगे बढ़ेंगे ? यह चुनाव हमको करना है !
किसी साफ दिन में हमको झील में सैकड़ो नावे तैरती दिखाई देंगी ! हर नाव अलग दिशा में जा रही होती है ! हवा के एक ही दिशा में बहने के बावजूद नावे
अलग अलग दिशाओ में जा रही होती है ! क्यों ? इसलिए की उनमे पाल को उसी ढंग से लगाया जाता है और इसका फैलाव नाविक करता है !
यही बात हमारी ज़िन्दगी पर लागू होती है ! हम हवा के बहाव की दिशा तो नही चुन सकते ,पर पाल लगाने का ढंग चुन सकते है !
सेहत ख़ुशी और सफलता ,हर आदमी के जूझने की क्षमता पर निर्भर होती है ! बड़ी बात यह नहीं कि हमारी ज़िन्दगी में क्या घटित होता है ,बल्कि यह है कि जो घटित होता है ,हम उसका सामना कैसे करते है !
अपने हालात को चुनना तो हमेशा हमारे बस में नहीं होता , लेकिन अपना नजरिया हम हमेशा चुन सकते है ! यह हमारा अपना चुनाव होता है ,कि  विजेता कि तरह व्यवहार करे ,
या पराजित कि तरह ! हमारी किस्मत हमारे मुकाम से नहीं बल्कि मिजाज से तय होती है ..
इन्द्रधनुष के बनने के लिय बारिश और धुप दोनों कि जरुरत होती है !हमारी ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है ! उसमे सुख है तो दुःख भी है , अच्छाई है, तो बुराई भी है , और उजाला है तो ,
अँधेरा भी है ! जब मुसीबत का सामना सही तरीके से करते है ,तो और मजबूत बन जाते है ! हम अपनी ज़िन्दगी की सभी घटनाओ पर तो नियंत्रण नहीं कर सकते , पर उनसे निपटने के तरीके पर हमारा नियंत्रण होता है !
रिचर्ड ब्लेशनिड़ेन और सेंट लुईस विश्व मेले में भारतीय चाय का प्रचार करना चाहते थे ! वहां काफी गर्मी थी ! इसलिए उनकी चाय कोई नहीं पीना चाहता था ! उसी बिच उन्होंने देखा कि ठन्डे पेय पदार्थ की खूब बिक्री हो रही थी !
उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न अपनी चीनी मिला कर उसे ठन्डे ड्रिंक के रूप में बेचे ! उन्होंने ऐसा ही किया , और लोगो ने उनकी ड्रिंक को खूब पसंद किया !
दुनिया में ठंडी चाय का प्रचलन वाही से शुरू हुआ ! आदमी कोई बंजफल नहीं है ,जिसके पास कोई विकल्प नहीं होता ! बंजफल खुद यह तय नहीं कर सकता है ! अगर हमारे पास निम्बू हो तो हम उसे आँख में डाल कर चीख चिल्ला सकते है , और उनकी शिकंजी बना कर भी पी सकते है !
अगर हालात बिगड़ जाएँ (कभी ना कभी ऐसा होता ही है ) तो यह हम पर निर्भर होता है कि उनका सामना जिम्मेदारी से करे या खिजते हुए करे !
राजू सीरवी (राठौड़ )

 

हिंदी

हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा है और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
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हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति
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हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का भान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि -
१. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है,
२. वह सबसे अधिक सरल भाषा है,
३. वह सबसे अधिक लचीली भाषा है,
४, वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं तथा
५. वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
६. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
७. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
८. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
९. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
१०. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।
११. भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
१२. भारत की सम्पर्क भाषा
१३. भारत की राजभाषा
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सिर्फ मातम-पुर्सी से काम नहीं चलने वाला है।हिन्दी भारत वर्ष में राज-काज की भाषा है,हमारे सम्मान की प्रतीक है,तो सभी प्रांतीय व स्थानीय भाषायें हिन्दी की बहनें।भारत-वर्ष में बोली जाने वाली समस्त स्थानीय भाषाओं का एक समान आदर व सम्मान हमारा राष्ट धर्म होना चाहिए।डा0राममनोहर लोहिया ने प्रत्येक हिन्दी भाषी क्षेत्र के निवासी को सलाह दी थी कि वो कम से कम जहां जिस क्षेत्र या प्रदेश में रह रहे हों,वहां की स्थानीय भाषा को भी सीखें,उसका आदर करें,उसी स्थानीय भाषा को वहां पर बोल-चाल में अपनायें।इसी के साथ समूचे भारत के लोगों को हिन्दी अवश्य सीखने की सलाह भी डा0 लोहिया ने दी थी।
आज हिन्दी अपने उस मुकाम पर नहीं है जहां उसको होना चाहिए था।हिन्दी भाषी क्षेत्रों के शहरी इलाकों में रहने वाले लोग हिन्दी की जगह अंग्रेजी व पाश्चात्य सभ्यता को जाने-अनजाने बढ़ावा देते चले आ रहे हैं।हिन्दी समूचे राष्ट के लिए सम्मान की प्रतीक होनी चाहिए परन्तु एैसा हो नहीं पा रहा है।अंग्रेजों के जाने के पश्चात् भी अंग्रेज परस्त लोगों की गुलाम मानसिकता के कारण आजाद भारत में आज भी निज भाषा गौरव का बोध परवान नहीं चढ़ पा रहा है।जगह-जगह हर शहर,कस्बों में अंग्रेजी माध्यम का बोर्ड लगा देखकर इस भाषाई पराधीनता की वस्तुस्थिति को समझा जा सकता है।आज की शिक्षा बच्चों के लिए बोझ सदृश्य हो गई है।वर्तमान शिक्षा में अंग्रेजी के अनावश्यक महत्व ने आम जन व गरीबों के बच्चों के विकास को बाधित कर रखा है।जो गरीब का बच्चा,आम आदमी का बच्चा हिन्दी या अपनी किसी अन्य मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करता है,उस बालक को अपने-आप शैक्षिक रूप से पिछडा़ मान लिया जाता है।अंग्रेजी भाषा का झुनझुना उसके हाथों में पकड़ा कर उसके बोल उसके कानों में जबरन डाले जाते हैं।वो बेबस बालक दोहरी पढ़ाई करता है यानि कि एक तो शिक्षा ग्रहण करना और दूसरी पराई भाषा को भी पढ़ना।उस पर अंग्रेज परस्त लोगों का यह कहना कि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है,इसका महत्व किसी भी स्थानीय भाषा के महत्व से ज्यादा है,भारत में व्याप्त अभी भी गुलाम मानसिकता का द्योतक है।इन गुलाम मानसिकता के अंग्रेज-परस्त लोगों ने अंग्रेजी भाषा को आज प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है।जबकि सत्य यह है कि आज लोग इस भ्रम में कि अपने बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दिलाना चाहते हैं कि अंग्रेजी सीखने के बाद जीविका के तमाम अवसर मिल जायेंगें।दरअसल किसी भी भाषा के बढ़ने के कारकों में सर्वाघिक महत्व-पूर्ण बात यह हो गई है कि उस भाषा का प्रत्यक्ष लाभ आदमी को रोजी-रोटी कमाने में मिले।जिस भाषा से ज्ञान और शिक्षा को संगठित करके रोजगार परक बना दिया जाता है,वह भाषा आम जन के मध्य लोकप्रिय होती जाती है।आज भारत की भाषाओं पर एक सोची-समझी रणनीति के पहत् अंगेजी थोप दी गई है।जीविका को अंग्रेजी भाषा के आश्रित बनाकर भारत के लोगों को मानसिक तौर पर गुलाम बना लिया गया है।आज पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र एैसा देश है जहां के निवासियों को अपनी भाषा में बात-चीत करने या लिखने पढ़ने में भी शर्म आने लगी है।भारत के मूल निवासी मानसिक गुलाम अधकचरी अंग्रेजी बोलने में मस्तक उॅंचा करके गर्व महसूस करते हैं।
हम अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को कदई गलत नहीं मानते,किसी भी भाषा का ज्ञान व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास व योग्यता के लिए बहुत आवश्यक होता है।लेकिन जब किसी भाषा को किसी देश की मातृभाषा,स्थानीय भाषा के उपर थोपा जाता है तब कष्ट होता है।भारत के लोगों को भी चीन,जापान,रूस,फ्रांस,स्पेन आदि देशों के लोगों की ही तरह अंग्रेजी को सिर्फ एक साधारण भाषा के तौर पर ही लेना चाहिए।भाषा ज्ञान का पर्यायवाची नहीं होती है।कोई भी राष्ट अपनी भाषा में तरक्की के बेमिसाल मापदण्ड़ स्थापित कर सकता है इसके जीवन्त उदाहरण जापान,अमेरिका,चीन आदि देश हैं

Take A Challenge Everyday

Take a challenge everyday
That tomorrow should be better than today.
When I fight my innerself, I do lose battles sometime
But the war with myself, is what I win everytime. I crib not, about what is gone
I forget the nights, start afresh every dawn.

Present, is what, I create and enjoy
Content am I, like a child with his toy. What it is! matters, not to me
Coz I believe to see what can be.

Not blaming others, faults in me, is what I see
Coz I believe if it is to be it is up to me. I just not know how to smile
But I believe in spreading a smile.

Its not easy to spread a smile,
For this, one needs to walk an extra mile. Step by step, step by step, is how I tread the path
In sea of failures, to reach success, I took a bath

The fun lay, not in the destination
But journey itself was a fascination. Nothing came free, but with success in mind
I payed the price, not just money, but in every kind.

What it is to successful, had I known
To reach it, double the efforts, would I have sown. I counted not the seeds in a fruit
But counted the fruits that came from every root.

I hit the iron when it was hot
But ridicule in return is all I got. BUT
When I touched the pinnacles, I saw the viewpoints alter
Concern in return for a little hard work, I think was a good barter…
Concern in return for a little hard work, I thought was a good barter…

वास्तविक तरक्की

सुबह रघु काका ने बांग लगाई " अरे राजीया (राजू) दिन दोपहर हुआ अभी तक तेरी नींद पूरी नहीं हुए "
रघु काका  रात को देर से सोया तो नींद आ रही बस १० मिनट और सो जाऊ : मैंने कहा
क्यों कुछ काम कर रहा था क्या : रघु काका ने पूछा
नहीं वोह facebook पर दोस्त online  थे तो बातो बातो में कब १ बजे पता ही चला .
रघु काका सोच में पड़ गए ....
खटिया पर से उठ कर निवृत होकर काका के पास बेठा
क्या बात है काका आज बहुत गहरे विचारो में खोये हो
काका बोले :भाई जमाना प्रगति कर रहा है ,और उनकी यह झूठी प्रगति कितने दिन चलेगी पता नहीं ...
खैर यह देख पाकिस्तान में हिन्दू  को राष्ट्रपति बनाया है
एक पल के लिए मेरा सर भी ठनक गया ,झट से काका के हाथ से अख़बार छिनकर देखा ... वाकई जैसा काका ने कहा वैसा ही लिखा .
अरे काका यह तो नारायण मूर्ती है इनफ़ोसिस के मालिक , गलती से छाप गया होगा ....
यह क्या है इनफ़ोसिस : काका ने पूछा
काका इनफ़ोसिस कंपनी वह  कंप्यूटर और मोबाइल के सॉफ्टवेर बनती है ..
खैर काका को कोई काम नहीं मैं निकलता हूँ ...
अरे कहा जा रहा है आज ? काका ने पूछा
अरे काका काम पर नहीं जाना क्या ..मैंने कहा ... अरे आज तो छुटी है ना...
हा ! आज तो छुटी है , प्रगति के इस दौर में हम प्रतिस्पर्धा की होड़ में ना जाने क्या क्या भूल रहे है ,, घर परिवार को समय नहीं दिया जा सकता
कुछ पल माता पिता के साथ नहीं बिता सकते ... सुबह जल्दबाजी में घर से निकलते (अरे आज लेट हो गया हु )ना किसी से बात करने का समय ना शांति से भगवन की भक्ति
दिन भर काम में व्यस्त ..फिर शाम को घर लोटे तो माथे पर चिंता की लकीर
पिताजी बोले : कैसा रहा दिन बेटा ... जवाब : कुछ खास नहीं पिताजी (आवश्यकता से जाया भी अर्जित कर ले तो भी यही राग अलापते है )
थके मांदे भोजन वोजन कर के सो गए .. फिर रोज़ का यही क्रम
काका अख़बार में आखे फाड़े बेठे थे ... ना जाने क्यों दिमाग में ख्याल आये की क्या हम सच में प्रगति कर रहे है
पर यह तो सिर्फ एक भोतिक प्रगति है .जैसे चाहे अपनी जरूरते तो हम पूरी कर लेते पर जो कुदरती जरूरते हमको चाहिए या हमसे किसी को चाहिए क्या हमको मिल रही है ,
या क्या हम किसी को दे पा रहे है
क्या प्रगति का मतलब  सिर्फ और सिर्फ पैसा अर्जित करना ही है .
तभी काका: बोले देखो अब हमारे हिंदुस्तान कितना प्रगति कर रहा है ,बच्चो को अब पुस्तकों का बोज़ ढोने की जरुरत नहीं पड़ेगी (सरकार छोटे आई पेड की शुरुआत जो की है )
हा काका यह तो बहुत अच्छी खबर है ,आई पेड बच्चो को मिल जायेगे तो किताबी बोझ  तो कम होगा ही साथ ही साथ facebook user  की संख्या बढ़ जाएगी
खैर तकनिकी युग है नित नए प्रयोग होते है ..
क्या बात है राजीया आज तू इतनी गहरी चिंता में ??? काका ने पूछा
काका क्या पैसा कमाना  ही प्रगति है ?
काका ने मेरे सर पर हाथ फेर कर कहा :- आज का ज़माना तो पैसा कमाने को ही तरक्की समझते है .. जिसके पास पैसा है वोह अपनी हुकूमत चलता है
इस तरक्की की होड़ में मेरे बेटे ने मुझे ठुकरा दिया ... क्यों की मैं काम कुछ सकता नहीं तो खाने को भी नहीं मिलता हर्ष (काका का बेटा ) ने भी कह दिया की कुछ कम नहीं सकते तो खाना क्यों खाते हो ... मान भर आय जब बेटे ने ऐसी बात कही
खैर वोह परदेश चला गया कमाने ... करने दो खूब तरक्की
देख राजू असली तरक्की वही होती जिससे हम दूसरो को खुश  रख कर खुद ख़ुशी से जी सके ..
धन  तो खूब अर्जित किया ,,आवश्यकता से भी ज्यादा पर क्या उस धन से किसी का भला हुआ है ?
पद तो बहुत उचा मिल गया पर उस पद का उपयोग करके किसका भला किया ?
मान सम्मान तो बहुत है पर भला किसका किया है ?
रट्टा मारकर की हुए पढाई कुछ काम की नहीं ..
किसी गरीब की सहायता में काम ना आये तो धन भी  व्यर्थ
माँ बाप की सेवा ना कर सके तो जीवन भी व्यर्थ है
इसलिए झूठी तरक्की से बच कर रहना
काका की डबडबाई आँखों में एक ही  मलाल था की काश हर्ष भी झूठी तरक्की के मोह में नहीं पड़ता तो काका आज बेटे के साथ हंशी खुसी जीवन बिताते
(क्यों की आज हर्ष भी अकेला पड़ गया पर किस मुह से काका के सामने आये ,हलाकि काका ने बहुत गुजारिश की )
बातो बातो में दोपहर हो गयी ...मैं और काका खाना खाने के लिए चल पड़े , सच में काका की कही बातो में कडवी  सच्चाई है जिसको हम नकार देते

:-राजू  सीरवी

जीतने वाला बनाम हारने वाला

  • जीतने वाला हमेशा समाधान का हिस्सा होता है !
  • हारने वाला हमेशा समस्या का हिस्सा होता है !
  • जीतने वाले के पास हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम होता है !
  • हारने वाले के पास हमेशा कोई न कोई बहाना होता है !
  • जितने वाला कहता है "मैं आपके लिए यह काम कर देता हूँ "!
  • हारने वाला कहता है  " यह मेरा काम नहीं है "!
  • जीतने वाले के पास हर समस्या का कोई न कोई हल होता है !
  • हारने वाले के पास समस्या है हर समाधान के लिए !
  • जीतने वाला कहता है " मुश्किल होने के बावजूद यह काम किया जा सकता है !
  • हारने वाला कहता है "इस काम को किया जा सकता पर यह बहुत मुश्किल है !
  • कोई गलती करने पर जीतने वाला कहता है "मैं गलत था "!
  • हारने वाले से कोई गलती होती है तो वह कहता है "इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी "!
  • जीतने वाला वचनबद्ध होता है !
  • हारने वाला खोखले वादे करते है !
  • जीतने वालो की आँखों में कामयाबी के सपने होते है !
  • हारने वाले के पास खोखली योजनाए होती है !
  • जीतने वाला कहता है "मुझे कुछ करना है "!
  • हारने वाला कहता है "कुछ होना चाहिए "!
  • जीतने वाला टीम का हिस्सा होता है !
  • हारने वाला टीम के हिस्से करता है !
  • जीतने वाला लाभ को देखता है !
  • हारने वाला तकलीफ को देखता है !
  • जीतने वाला संभावनाओ को देखता है !
  • हारने वाला समस्याओ को देखता है !
  • जीतने वाला "सभी की जीत "के सिद्धांत में विश्वास करता है !
  • हारने वाला मानता है कि जीतने के लिए किसी को हराना जरुरी है !
  • जीतने वाला आने वाले कलाल को देखता है !
  • हारने वाला बीते कल को देखता है !
  • जीतने वाला स्थिर स्वाभाव वाले तापस्थायी जैसा होता है !
  • हारने वाला तापमापी जैसा होता है !
  • जीतने वाला सोच कर बोलता है !
  • हारने वाला बोल कर सोचता है !
  • जीतने वाला विनम्र शब्दों में कड़े तर्क पेश करता है !
  • हारने वाला कड़े शब्दों में कमजोर तर्क पेश करता है !
  • जीतने वाला बुनियादी मूल्यों पर मजबूती से टिका रहता है पर छोटी मोटी चीजों पर समझौता  कर लेता है !
  • हारने वाला छोटी छोटी बातो पर अड़ जाता है ,लेकिन मूल्यों पर समझौता कर लेता है !
  • जीतने वाला दूसरो कि भावनाओ को महसूस करने में विश्वास करता है , वह मानता है कि "दूसरो के साथ वैसा नहीं करना चाहिए ,जैसे व्यवहार की उम्मीद हम दूसरो से अपने लिए नहीं करते ! उससे पहले ही तुम वह काम उसके साथ कर दो !
  • जीतने वाला काम को अंजाम देता है !
  • हारने वाला काम होने का इंतजार करता है !
  • जीतने वाला जीतने की योजना बनाते है , और तैयारी करते है !तैयारी ही मूल मन्त्र है !
 :-राजू सीरवी (राठौड़)

सफलता की राह में आने वाली कुछ बाधाएं

वास्तविक या काल्पनिक ?
  • अहंकार
  • असफल /सफल होने का दर ; आत्मसम्मान की कमी ?
  • कोई योजना न होना
  • कोई निश्चित लक्ष्य न होना
  • ज़िन्दगी में उतार चढाव
  • टालमटोल की आदत
  • पारिवारिक जिम्मेदारियां
  • आर्थिक सुरक्षा से जुड़े मसले
  • एकाग्रता की कमी ,भ्रमित हो जाना
  • पैसो के लालच में दूर की न सोचना
  • सारा बोझ खुद उठाना
  • क्षमता से अधिक उलझ जाना
  • जुडाव न महसूस करना
  • ट्रेनिंग की कमी
  • दृढ़ता की कमी
  • प्राथमिकताएं न तय कर पाना
      :-राजू सीरवी (राठौड़)