Tuesday 5 June 2012

कहने को आज पर्यावरण दिवस है ,पर पर्यावरण के लिए कोई खास दिन की नहीं बल्कि पर्यावरण के बारे में रोज़ चिंता करने की जरूरत है ॥ क्यूँकि विकास और प्रगति के नाम पर जंगलो को काटा जा रहा सीमित हो रहे जंगल हमारे आने वाले भविष्य के लिए बड़ी दुखद बात है ॥ पेड़ है तो जीवन है ,जंगल है तो जहां है ।
जिस तरह हम भोजन ग्रहण करना हमारी दिनचर्या का हिस्सा है उसी तरह एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करना भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेवे और फिर से इस पावन धरा को हरा भरा बनाने में अपना योगदान देवे ...
हमारा पर्यावरण अगर सेहतमंद नहीं हैं तो हम अपने स्वास्थ्य के प्रति निश्चिंत नहीं हो सकते।
आज पीने के पानी कि किल्लत होती है ,गर्मी से लोग बेहाल होते है ,बिन मौसम बरसात से लोगो को नुकसान होता है ,सर्दी का मौसम भी बिगड़ता जा रहा है ॥ पूरे पर्यावरण का समीकरण बिगड़ रहा है ,और इन सब का कारण काटते पेड़ ,सिमटते जंगल ....

जहां पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी जटिल समस्या से लड़ने के उपाय ढूंढ रही हैं वहीं आप और हम अपनी दिनचर्या में थोड़ी सी सावधानी या बदलाव लाकर पर्यावरण को बचाने में बड़ा योगदान कर सकते हैं।

प्राकृतिक के खिलाफ बढ़ते इंसान के गलत कदम के कारण हिमालय सहित देश के वन संपदा से हजारों ऐसी जड़ी-बूटियां खत्म हो रही हैं, जो कई तरह की बीमारियों को दूर रखने की ताकत रखती हैं।

आज मानव प्रकृति को देता है नकार,
विनाश के साधन को करता है तैयार,
जो पल भर में मचाता है,
पृथ्वी पर क्रूर हाहाकार ।
क्यों प्रकृति के प्रति इतना विकर्षण ?
क्यों आधुनिकरण के प्रति इतना लगाव ?

मानव –मानव में प्रेम सदा,
करता है मानवता का विकास ।
दुर्भाग्य नहीं सौभाग्य है यह,
जब मानव करता अपना चरम विकास ।
पर रहे ध्यान सदा इसका,
इस विकास के नशे में,
हो न प्रकृति का नाश ।
वरन होगा अगर प्रकृति का नाश,
तो एक न एक दिन -
अवश्य हो जायेगा मानव सभ्यता का सर्वनाश
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पर्यावरण के आभूषण – पेड़ों, वनों, जंगलों को काट दिया गया,
सांस लेने के लिए मिली हवा को भी जहरीला बना दिया गया ।
प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित दोहन किया गया,
भ्रष्टाचार के खेल में पर्यावरण को भुला दिया गया ।

उपयोगी व उपजाऊ कृषि भूमि को खत्म किया जा रहा है,
भविष्य में अनाज उत्पादन के बारे में नहीं सोचा जा रहा है ।

विभिन्न जीव जन्तु भी हैं पर्यावरण के अंग,
पर बढ़ते प्रदूषण ने उनका जीवन किया बेरंग ।
गौरैया, गिद्ध, अन्य  पक्षी,जलीय जन्तु समाप्ति की ओर हैं अग्रसर,
मनुष्य भी इसके प्रभाव से नहीं है बेअसर ।

पर्यावरण का सन्तुलन यदि ऐसे ही बिगड़ता रहेगा,
मनुष्य के जीवन पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता रहेगा ।
आज पीने को शुद्ध पानी नहीं, सांस लेने को स्वच्छ हवा नहीं,
प्रदूषण से मनुष्य को ऐसे रोग मिले, जिनकी दवा नहीं ।

विकास के नाम पर पर्यावरण का शोषण रुकना चाहिए,
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सभी को जागरूक होना चाहिए ।

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