Friday 24 May 2013

गीत को मैंने चुना है ,मन मेरे क्यूँ अनमाना है 
बादलों के साथ रहना ,नीर सा अनवरत बहना है 
डर भला क्या आंधियों से ,हर दिशा में डग भरना है 
पर नहीं तो क्या हुआ ,व्योम का सम्बल घना है  
छटपटाती भावनायें ,नेह वाली कामनायें 
अब न थमती दिख रही है स्वप्न देखी वर्जनायें 
प्यार की दीवार ,दिल की कामना से घर बना है
साथ साहस है तसल्ली ,जग उड़ाये खूब खिल्ली 
कर्म को मैंने सराहा ,फिर कहाँ है दूर दिल्ली  
लक्ष्य कैसे कह सकेगा ,पास आना मना है 
गुनगुनाते पार पाना ,संग समय के मुस्कुराना 
हर तरफ चर्चा यही है ,हो गया है "राज " दीवाना 
उसकी धरा क्या ,व्योम क्या ,गाँव क्या ,क्या परगना है 
गीत को मैंने चुना है ,मन मेरे क्यूँ अनमाना है 

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