Friday 7 June 2013

थोडा झुक हूँ ,पर अभी मैं हरा नहीं
थोडा रूका हूँ ,पर अभी मैं थम नहीं
थोडा ओझल हूँ ,पर अभी मैं मिटा नहीं
थोडा दूर ही सही ,पर आप सब से जुदा नहीं
आँखों में आंसू है ,पर अभी मैं रोया नहीं
नींद शायद खुली है ,पर सपना अभी मैंने खोया नहीं
दिल में दर्द है ,पर दिल अभी टूटा नहीं
लक्ष्य को है पाना ,
क्यूंकि सपना मेरा झूठा नहीं...... 
surendra
ज़िन्दगी खुली आँखों का एक सपना है
और मौत एक अनकही सच्चाई
ज़िन्दगी कभी न ख़त्म होने वाला एक मुकदमा है
और मौत उसकी आखिरी सुनवाई है