Monday 14 November 2011

::लालच बुरी बला::

आज देश के हालत भ्रष्टाचार की मार से बहुत कमजोर हो गए है | हर तरफ रिश्वत खोरी , हिंसा और ना -ना प्रकार की बुराइया पनप रही है | इस सब की जड़ है लालच , लालच ही सब बुरइयो की वजह है | सम्पति का लालच भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है ,ऐश मौज का लालच हिंसा और कई तरह की बुरइयो को दावत देता है | पर इसका परिणाम तो एक ना एक दिन भुगतना निश्चित है |
एक लालची किसान से कहा गया कि वह दिन में जितनी जमीन पर चलेगा, उतनी जमीन उसकी हो जाएगी ,बशर्ते वह जहा से चलना शुरू करता वहा सूरज ढलने तक वापस लौट आये | ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए किसान दुसरे दिन सूरज निकलने से पहले निकल पड़ा | वह काफी तेजी से चल रहा था ,क्यों कि वह ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करना चाहता था | थकने के बावजूद वह सारी दोपहर कड़ी धूप में भी चलता रहा ,क्योंकि वह ज़िन्दगी में दौलत कमाने के लिए हासिल हुए इस मौके हो गंवाना नहीं चाहता था | दिन ढलते वक़्त उसे वह शर्त याद आयी कि उसे सूरज डूबने से पहले शुरुआत कि जगह पहुंचना है | दौलत के लालच कि वजह से किसान शुरूआती जगह से काफी दूर जा चूका था | वह अब वापस लौट पड़ा | सूरज ढलने का वक़्त ज्यो ज्यो नजदीक आ रहा था , वह उतनी तेजी से दौड़ता जा रहा था | वह बुरी तरह थक कर हांफने लगा ,फिर भी वह बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौड़ता रहा | नतीजा यह हुआ कि सूरज ढलते ढलते वह शुरुआती स्थान पर तो पहुँच गया पर बुरी तरह थके घायल किसान का दम निकल गया | किसान मार गया | उसको दफना दिया गया ,और उसे दफ़न करने के लिए जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरुरत पड़ी |
इस कहानी में आज के ज़माने की सच्चाई और सबक भी है | आज इन्सान अपनी जरुरत पूरी होने के बावजूद, बहुत कुछ पाने की लालसा रखता है और यही लालच दुखो का कारण बनता है | गरीब हो या आमिर सब लालची इंसानों का हश्र इस किसान की तरह ही होता है | कुछ नहीं ले जा सकेंगे दुआओ के, मृत शारीर को भी सिर्फ २ गज जमीन की आवश्यकता होगी ,तो क्या करोगे दुनिया भर की दौलत को पाकर |
:-राजू सीरवी (राठौड़)

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