Thursday 24 May 2012

क्यूँ बहुत इतराते थे ना कि हम तीसरी पीढ़ी के लोग है अब मजबूरन -तीसरी पीढ़ी में जाना पड़ रहा है न ...
कहा था ना इतना मत कूदो कि कष्ट में पाव जमीन पर रखने से दर जाए ॥

अक्सर लोग कहते है "भई जमाना बादल गया है "
पर आज सरकार का रवैया देखा जाए तो कुछ नहीं बदला ,, बदला है  तो सिर्फ तरीका ,लोगो की कमर तोड़ने का ॥
पहले अंग्रेज़ सरकार लोगो से"लगान" वसूलती थी ,आज उसी लगान का नाम पेट्रोल के दाम बढ़ाओ , गेहु को सड़ने दो ,सब्जियों के दाम बढ़ा दो ,टैक्स में बढ़ोतरी कर दो॥ यह सब "लगान " के बहुवचन शब्द है ,जिसका इस्तेमाल कर आज की सरकार अंगरेजी शासन चला रही है ।

अब इस""लगान" से छुटकारा पाने के लिए क्रिकेट भी नहीं खेल सकते क्यूँ कि मैं और आप तो खेलने से रहे और रहे जो प्रोफेसनल क्रिकेटर वो तो रेव पार्टियों में व्यस्त है , कोई रिश्वत में पस्त है , कोई लड़की छेडने में मस्त है ,और कोई खराब फोरम के चलते सुस्त है ... ऐसे में कोई खेला नहीं हो सकता ॥

15 अगस्त 1947 को आधी रात में पुकार हो गई कि हमारा देश आज़ाद हो गया ...
हालात से तो नहीं लगता देश आज़ाद है ,
अगर आज़ाद होता तो पेट्रोल के दामो में पहिये नहीं लगते , सब्जियों के दाम को पर नहीं लगते , कर के ज्वालामुखी फूट कर पहाड़ नहीं बनाते , और इन सब के जिम्मेदार हम आम जन है ... वैसे "आम" तो फलों का राजा कहलाता पर आज का आम इंसान अपने ही घर में नामर्दों की तरह हो गए ।

आज़ादी आधी रात को घोषित हो गई पर सवेरा ना जाने कब होगा

हमने तो तय कर लिया भईया ... गाड़ी तो वैसे भी नहीं है .... अब साइकल ही ले लेंगे ताकि पेट्रोल का मोहताज ना होना पड़े ... फाइदा ही फाइदा ... बचत की बचत और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं ,,,और तो और अपना स्वस्थ भी अच्छा ...
क्यूँ भई है ना फायदे का सौदा ....
चलो थोड़ा पीछे कदम बढ़ाते है ताकि भविष्य सुरक्षित रहे ...

छोड़ो अब गाड़ियों के गुणगान
बनाओ साइकिल को अपनी शान ॥





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