Sunday, 20 May 2012

जाग जरा इंसान ,जीवन दो घड़ी का है 
चेत रे नादान ,जीवन सिर्फ दो घड़ी का है 

काल नगाड़ा बाजे सर पर ,क्यूँ बैठा है गाफिल होकर 
यह संसार है देश बेगाना , तुमको यहाँ से एक दिन है जाना 
अपना घर पहचान ,जीवन दो घड़ी का है 

चला चली का सब है खेला ,झूठ सारा यही है झमेला
पल दो पल का जग है मेला ,उड़ जाएगा एक दिन हंस अकेला
इस सच्चाई को जान ,जीवन दो घड़ी का है

जोड़ी है जो पाई-पाई ,सब है माल पराया
क्या करता है मेरी मेरी ,हो जाएगा खाक की ढेरी
छोड़ दे अभिमान ,जीवन दो घड़ी का है

मन मंदिर की ज्योत जगा ले ,नाम ईश्वर का इसमे बसा ले
सुख दुख का है नाम सहायी ,नाम जगत में है सुखदाई
ले सतगुरु से ज्ञान ,जीवन सिर्फ दो घड़ी का है


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