अक्सर मीडिया इंटरव्यू लेता है लोगो का और नेताओ का चलो आज मीडिया का ही इंटरव्यू लिया जाए स्टिंग ऑपरेशन के बारे में जिनको वो बढ़ा चढ़ा कर बताते है ॥
जनता - स्टिंग ऑपरेशन हमेशा एक धर्म विशेष के लिए ही क्यो ?
मीडिया-ये
अंदर की बात है ताकि नेताओ से शाबाशी मिले। आजकल मीडिया “कोंपीटीशन”
कितना बढ़ गया हे ना ? मार्केट मे बने रहने के लिए रिस्क लेना पड़ता है
बॉस ।
जनता - कभी ऐसे भी स्टिंग ऑपरेशन करो जहा कौनसी फलाना अभिनेत्री कौनसे सेक्स
रेकेट मे लिप्त है, या पहले थी ? जो कभी कभी टी वी पर सच्चाई की बाते भी
करती है, फिर “डील″ के ऊपर “डील साइन” करती है, पहले हजारो मे ? अब लाखों
मे ?
मीडिया-नहीं,
ऐसा नहीं कर सकते है, क्योकि इससे हमारे अभिनेताओ से संबंध खराब होते है,
ये तो सभी को पता है, बताने की क्या जरूरत। वेसे भी नाम और “केरियर” खराब
होगा उनका । अभी पिछले दिनों एक नौकरनी ने इज्जतदार अभिनेता पर बलात्कार
के आरोप लगाए थे । आखिर सबको सच्चाई पता चल गयी ना ? (सबको पता है नौकरानी
शायद करोड़ पति हो गयी होगी )
जनता - कभी ऐसे भी स्टिंग ऑपरेशन करो जहा कौनसी मॉडल पैसो के लिए किस हद तक जाती
है?, कौनसे कौनसे नशे के रेकेटों से जुड़ी है? ढोंगी स्वयंवर रचाने वाली
पवित्र और तथाकथित “नाबालिग कन्याओं” को भी आपके पवित्र सुधारक पर्दे पर
लाओ ?
मीडिया - नहीं,
क्योकि इनके बिना बढ़िया रेटिंग नहीं मिलती ना, हमे उनके कार्यक्रम तो
दिखाने पड़ते हे ना, वेसे भी इंडिया मे एक वर्ग एसा भी है जो यह भी नहीं
जानता है की भारत का राष्ट्रपति कौन है लेकीन उसे यह जरूर पता है की फलाना
सुपर स्टार कहाँ रहता है और उसकी कौनसी फिल्म आ रही है और वे झोपड्पट्टी
मे भी टीवी जरूर देखते है, भले ही एक समय का खाना नसीब न हो ? उनका भी तो
ख़्याल रखना पड़ता है ना ? और फालतू समय मे विज्ञापन लाने के लिए गाना
बजाना / सब दिखाना होता है ना ? वेसे आपको इनसे क्या दुश्मनी है ? वे तो
अपना केरियर बनाती है ना ? और वेसे भी वे सभी सेकुलर है आपकी तरह । (भले
ही समाज से, युवाओ को उससे नुकसान हो, वे बिगड़ें, उन्हे कुछ भी हासिल न
हो, सिवाय बरबादी के )
जनता - अच्छा, क्या आप जनता को बताएँगे की कितनी अभिनेत्रियाँ, “आइटम गर्ल″,
सेक्स रेकेटों और प्रोस्टिक्यूशन मे पकड़ी गयी और पुलिस के इतिहास मे वे
दर्ज हो गयी, लेकिन मूर्ख जनता को आपने बताया ही नहीं। क्या ये समाज सुधार
और सूचना अधिकार का हिस्सा नहीं है ? हर आदमी थोड़े ही rti के ऑफिस मे
जाएगा ?
मीडिया - क्या
मुसीबत है बार बार एक जेसे ही सवाल….। नहीं, क्योकि इससे उनकी बदनामी
होगी और भविष्य और “केरियर” पर खतरा पड़ेगा और हमारे “बिज़नस” पर बुरा असर
पड़ेगा ।
जनता - कभी ऐसे भी ऑपरेशन करो जहा पर विदेशी कम्पनियाँ भी अवेध ( सरकारी हिसाब
से वेध ) कारोबार मे शामिल हो कर मिलावटी और वस्तुए बाजार मे खपाती हो ?
और ऊपर से वे ब्रांड और विज्ञापन का महंगा चोला लगाते है ( ताकि शुद्ध लगे
), लेकिन दुसरें शुद्ध काम कर के भी उतना मुनाफा नहीं कमा पाते या पकड़े
जाते है !
मीडिया - अरे
पागल हो गए हो, विदेशी कंपनियो पर केसे लांछन लगा सकते हो, उनसे तो हमे
आमदनी होती है, हम विज्ञापनो के लिए किसी भी हद तक जा सकते है चाहे सुबह
के समय मे धार्मिक प्रवचन के साथ साथ कोंडम की विज्ञापन हो, या शाम को
परिवार के साथ मे मिल कर खाने के समय पैड के विज्ञापन हो (भले ही वे
कंपनियाँ विज्ञापन मे मिलावट करती हो )
जनता - कभी ऐसा भी बताओ जनता को की ये हमारे देश भक्त क्रिकेटर, और अभिनेता जो
बड़े उपदेश देते फिरते है, टिप्पणियाँ करते है, जिसमे से कितनों ने घर पर
ए-के ४७ राइफलों को भी नजदीक से देखा हो, और किसी ने तो भारत मे
प्रतिबंदित जानवर का शिकार कर के खाया हो । भले ही वे कोक, पेप्सी, फेंटा,
मिरिंडा, स्प्राइट, कॉलगेट, पेप्सोडेंट, वोक्स वेगन, हुंडाई, लक्स,
डेटोल, जॉन्सन एंड जॉन्सन, लेज, कुरकुरे, बूस्ट, एडीडास जेसे विदेशी
ब्रँडो के विज्ञापन करते हे । भले ही भारत मे साल मे २५० से अधिक घरेलू
इकाइया बंद हो जाती हो । रास्ते पर आ जाते है स्वदेशी । तब इनकी देश भक्ति
कहाँ जाती है । क्या उनको पता नहीं है इस विचार के बारें मे, लेकिन ऐसे
भी लोग है इस देश मे जो पूरी उम्र स्वदेश की सेवा मे लगा देते है बिना
बीवी बच्चो के, ऐशों आराम के, लेकिन वे गुमनाम ही रहते है पूरी उम्र… क्यो
?
मीडिया -“वॉट
नॉनसेन्स”, अरे क्या तुम भी रूढ़िवादी हो, सांप्रदायिक ? जब जनता विदेशी
समान खरीद रही है तो भला इन्हे विज्ञापन से क्या परेशानी है ? भैया ये लोग
स्टार है और हम लोग इनकी पेरो की जुतिया, समझे । ये लोग जो करे वो हमे
मानना पड़ेगा । जो बोले वह करना पड़ेगा । अरे भैया ये स्वदेश-विदेश सिर्फ
फिल्मों के नाम के रूप मे अच्छे लगते है, क्या होता है ये स्वदेशी पालन ?
यहा दुनिया ग्लोबल हो रही है और ये पूरी उम्र स्वदेश से जी लगाए फिरते है,
खाओ पियो ऐश करो ! खुद खाओ दूसरों को खिलाओ ! एक बात और, स्टार हमसे और
हम स्टार से है, हमारे बिना स्टार-विस्टार कुछ नहीं होता है ।
जनता - अरे लेकिन सरकारी लेब ने तो यह सिद्ध कर दिया हे की ये कोल्ड ड्रिंक जहर
है फिर भी ये लोग प्रचार करते है और देश भक्त बनते है, अरे ये कोल्ड
ड्रिंक पानी का कितना पीने के पानी का कितना दुरपयोग करती है, और ये
सेलेब्रिटी लोग “पानी-बचाओ” विज्ञापन करते है, भाई ये बात तो हमे हजम नहीं
हुई |
जनता - अरे भाई तुम्हें इनसे क्या एलर्जी हे ? प्रश्न पूछना हे की नहीं, तो ऐसे प्रश्न मत ना पूछो हमे । मेरे पास समय कम हे ।
जनता - अच्छा आप ऐसा स्टिंग ऑपरेशन करो जहां पर लड़कियां ग्रुप बना कर रेव /
सेक्स / नशा पार्टियां करती है और मोबाइल मे पॉर्न फिल्मे रखती / देखती
है। इससे तो समाज का और माँ बाप का काफी भला होगा ।
मीडिया - छोड़िए
ना, ये तो सभी करते है, ये तो आजकल आम है, ये तो काम ये महिला आयोग का और
पुलिस का है, और ये जवानी मे नहीं करेंगे तो बुढ़ापे मे करेंगे ? क्या
आपने कॉलेज मे ऐसा नहीं किया होगा भला ? हमें तो ऐसी खबर दो जहा पर शराबी
महिलाओ / लड़कियों की हिन्दू ग्रुप पिटाई कर रहे है ( इससे सरकार मे हमारा रुतबा बढ़ेगा
), मासूम, बिचारे और औरतों को छेड़ते हुए मनचलो की जनता पिटाई कर रही है ।
मॉरल पुलिस बनने का अधिकार सिर्फ हमे दिया है सरकार ने, तभी तो आजकल कम
से कम घोटाले उजागर हो रहे है, अब हमारा काम स्टिंग ऑपरेशन कर के रेटिंग
कमाना हे तो केसे भी कर के किसी न किसी का तो स्टिंग करना पड़ेगा ना ? तो
हमने किसी धर्म विशेष को ही चुना जो बहुत सॉफ्ट है, जिसमे सब सेकुलर और
उदार होते है, किसी को कुछ नहीं कहते है, एसी खबरों को खबरे कहते है। और
इनके स्ट्रिंग ऑपरेशन करने के विदेशो से करोडो मिलते है
जनता - क्या आप कॉमनवेल्थ के घोटालो का स्टिंग ऑपरेशन करेंगे ?
मीडिया - नहीं, नहीं, ये बहुत “सेंसिटिव्ह मेटर” है, देश का नाम बदनाम होगा |
जनता - कभी किसी मिशनरिज केन्द्रो का भी स्टिंग ऑपरेशन करो, पता करो ना की वहाँ
पर क्या चल रहा है और हर साल मे कितने हिन्दू से ईसाई बनाए जा रहें है ?
उनके आगे के क्या क्या उद्येश्य है ? आगे कितना टार्गेट है, रोज
रेलगाड़ियो मे कितने मिशनरियों को भेजा जाता है लोगो को उपदेश देने के लिए
?
मीडिया -नहीं
उन्होने तो हमे न. 1 बनाया है, क्योकि हम उनके खिलाफ हमेशा अच्छी खबरें
देते है, क्या आपको पता नहीं है ईसाइयो पर हमले हुए थे तब हमने उनका कितना
दिल जीता था ? यही कारण हे की आजकल अँग्रेजी चेनलों की संख्या बढ़ रही है
( धर्म प्रचार को लेकर ) वेसे भी ये भी कोई महत्वपूर्ण विषय नहीं है,
आजकल धर्मांतरण तो आम है। सेकुलरिस्म का हिस्सा है, सिंह से शाह, जमनालाल
से जोसफ, लल्लू से लॉ, बबलू से बौबी. इसमे कैसी बुराई है ? दुनिया ग्लोबल
हो रही है भाई साहब । कहाँ हो आप ? और फिर चर्च हमे पैसा देना बंद कर देगा
भाई और मैडम की नाराजगी अलग |
जनता - कभी उन आतंकवादी स्थलो का भी स्टिंग ऑपरेशन कर लिया करो जहा पर हमलो की
योजनाए बनती है, जहा पर हथियारो के झखीरे है, दंगे मे अचानक कहाँ से ए-के
४७ राइफलें निकल आती है ? कभी इंडियन मुजाहिद्दीन जेसे और भी नेटवर्क का
भी पर्दा फ़ाश करो ।
मीडिया - ये
काम तो सुरक्षा एजेंसियो का है हमारा नहीं ! और उनमे हमारा कोई “फाइदा”
नहीं है, उल्टा नुकसान है…. !…?? ( कोई विज्ञापन नहीं देगा रेटिंग गिर
जाएगी, हमारी ) साउदी अरब पैसा देना बंद कर देगा सो अलग |
जनता - ऐसे स्थानो का भी स्टिंग करो जहा पर जर्मन बेकरी के जैसे न जाने कितने
षड्यंत्र होते है, और कसाब जेसे पहले से ही हथियारो के ढेर छुपाते है, आने
से पहले ? माफ करना मैं मालेगांव के आरोपियों का नाम लेना भूल गया, नहीं
तो हमें कट्टर कहेंगे आप, मैं भी सेकुलर हूँ । सलमान खान की कसम ! सेकुलर
हूँ हम !
मीडिया - हमने कहाँ ना, ये तो सब काम सुरक्षा एजेंसियो का है ? हमे उनसे खतरा मोल नहीं लेना, हमारे अस्तित्व का प्रश्न है ।
जनता -तो, ऐसे जगह स्टिंग ऑपरेशन कर के दिखाओ जहा पर किसी धर्म विशेष के लोगो
को ही अनुमति है जनता को बताओ की वहाँ ऐसा क्या हो रहा है की वह स्थान
दूसरे धर्म के लोगो के लिए प्रतिबंधित है, हिन्दू धार्मिक स्थल ( माफ करना
बाकी धर्म स्थान ) तो सेकुलरिस्म की जीती जागती मिसालें होते है
मीडिया - नहीं
हम ऐसा नहीं कर सकते ये बहुत “सेंसिटिव्ह मेटर” है, इससे उनकी धार्मिक
भावनाए आहात होती है, वेसे भी वे सताये हुये, निर्दोष है । ये हमारे
“स्ट्रेटेजी” मे नहीं है, इससे सिर्फ नुकसान ही नुकसान है, कोई दर्शक इसे
पसंद नहीं करेगा । ( एसे मामलो मे देश पूरा सेकुलर हो जाता है )
जनता - कभी कश्मीर के अलगाव वादी नेताओ का स्टिंग ऑपरेशन करो जो सरकारी खर्चे पर
चुपके चुपके अफजल गुरु जेसे देश-भक्तो से मिलने जाते है
मीडिया - हमें
सरकार ने अनुमति नहीं दी, ये काम सरकार का है किसको कब सजा देनी है !
वेसे भी अभी तक अफजल का जुर्म साबित नहीं हुआ है ? है ना ? और बेचारा कसब
को तो मंद वश किया गया था |
जनता - उन अंधेरे स्कूलों मे जहा सिर्फ रात मे ही उजाला होता है, स्टिंग ऑपरेशन
करो उन देश द्रोहीयों का जो मुंबई पर हमले के तुरंत बाद रिस्वत-खोर ,
फिक्सरों, पाकिस्तानी खिलाड़ियो को याद करते है, उनका स्टिंग ऑपरेशन करो
की वे उनसे कब और कहाँ बाते करते है ?
मीडिया - क्या
बात कर रहे हो, बात ही तो की हे उन्होने कौनसा हमला कर दिया है, वे तो
बड़े स्टार है, हमारे चेनल पर बड़े बड़े विज्ञापन उनके ही तो आते है, और
हमें वे सपोर्ट करते है वे, वे तो सेकुलर हे, कौनसे देश-द्रोही है । क्या
आपको दिखता नहीं वे टेक्स भरते है सरकार को, करोड़ों का, हमारी कितनी
आमदनी होती है उनसे । हमें उनसे संबंध खराब नहीं करने है । हम उनसे है और
वे हमसे !
जनता - बस एक प्रश्न, “सिर्फ” एक प्रश्न ।
आप के सुबह सुबह के कार्यक्रम मे आने वाले ज्योतिष विद्वानो, फेंग शुई,
वास्तु शास्त्र वालों का भी स्टिंग कीजिये ना ? उनमे से कितनों के ऊपर
लेनदारी, ठगी और जमीन से जुड़े केस चल रहे है ?
मीडिया - ????….
नहीं वे साफ होते है, हम तो उन्हे चुनी हुई पत्तियाँ की तरह और खास चुने
हुए बगानों से हम चुन चुन कर लाते है, आप बकवास कर रहे है…… !
यह है देश का मीडिया जिसे लोकतन्त्र का चौतहआ स्तम्भ भी कहते है ... आज यह स्तम्भ हम आम जन पर ही गिर रहा है कुचलने के लिए
good one
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