Tuesday 1 November 2011

::एक सेर मक्खन::

एक ग्वाला एक बेकारी वाले को रोजाना एक सेर मक्खन बेचा करता था | एक दिन बेकारी वाले ने यह परखने के लिए कि मक्खन एक सेर है या नहीं ,उसे तौला और पाया कि मक्खन कम था | इस बात से वह गुस्सा ह गया और ग्वाले को अदालत में ले गया | जज ने ग्वाले से पूछा "तुमने तौलने में किस बाट का उपयोग किया था "| ग्वाले ने जवाब दिया " हुजूर मैं अज्ञानी हूँ | मेरे पास तौलने के लिए कोई सही बाट नहीं है | लेकिन मेरे पास एक तराजू है |
जज ने पूछा " तो तुम मक्खन को कैसे तौलते हो ? ग्वाले ने जवाब दिया " इसने (बेकारी वाला ) मक्खन तो मुझसे अब खरीदना शुरू किया , मैं तो बहुत पहले से इससे एक सेर ब्रेड खरीद रहा हूँ | रोज़ सुबह जब मैं बेकारी वाले से ब्रेड लता हूँ तो मैं ब्रेड को बाट बना कर बराबर का मक्खन तोल देता हूँ | अगर इसमे किसी का दोष है तो वह है बेकारी वाले का |
ज़िन्दगी में हमें वही वापस मिलता है जो हम दूसरो को देते है | जब हम भी कोई काम करे तो खुद से यह सवाल पूछें - मुझे जो पैसा मिलता  है ,क्या मैं उसके बराबर कि मेहनत भी कर रहा हूँ या नहीं | ईमानदारी और बेईमानी एक आदत बन जाती है कुछ लोग बेईमानी कि प्रेक्टिस करते है ,और चहरे पर जरा सा भी संकोच ले बिना झूठ बोल सकते है | ऐसे लोग भी जो इतना झूठ बोलते कि सच क्या है यह भी भूल जाते है | मगर वह खुद को ही धोखा देते है |
ईमानदारी तहबीज़ से पेश की जा सकती है | कुछ लोग निर्दयी ढंग से इमानदार होने पर गर्व महसूस करते है | ऐसा लगता है कि उन्हें ईमानदारी के बजे उस निर्दयिता से ज्यादा आनंद आता है | ईमानदारी बरतने में शब्दों के चुनाव और व्यवहार कि महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
:- राजू सीरवी (राठौड़)

2 comments:

  1. wow hkm sahi kah rahe ho .
    dunia aajkal jhut ka sath deti hai hkm sachai to nam matr ki hi rah gayi hai.
    r aaj kal sach bolne wale ke sath insaaf hi kaha hota hai.
    mene khud feel kiya hai hkm.
    ab thak kar me khud sachai ka sath chod raha hu.

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  2. इसी से मिलती कहानी दीवान साहब अक्सर कहते है-एक सेठ से किसान नमक ले जाता उससे घी तोलकर देता। ईमान सिखाने की कहानी बहूत अच्छी है

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