Tuesday 8 August 2017

जंगल में आग लगी है ,अगर अंधे और लंगड़े नहीं मिले तो खतरा भारी है ।

समाज में कई महत्वपूर्ण बदलाव अतिआवश्यक है
आज समाज में कई समस्याएं है जिनमे तलाक,
बुजुर्गो का उपेक्षा,अपनों से दूरियां,युवा पीढ़ी का गुमराह होना ... ऐसी कई समस्याएं है

प्रेम सबकुछ सह लेता है पर उपेक्षा नहीं सह सकता.बदलाव की इस बयार को समय रहते संज्ञान नहीं लिया तो यह विकट समस्या बन कर समाज को तहस नहस कर देगी ।

." घर को लगा दी आग घर के चिराग ने " यह कहकर दूसरों के ऊपर तरस खाने की जगह समाज के लोगों को आगे बढ़कर समाज उत्थान में भागीदार बनाना पड़ेगा ,
अन्यथा..... आने वाला समय हमें माफ नहीं करेगा ।
समस्याएं विकराल बने उससे पहले इन पर गौर कर काबू में कर लिया जाना आवश्यक है ।

वस्तुतः पुरानी और नई पीढ़ियों का संघर्ष नूतन और पुरातन का संघर्ष है,जो थोड़ी बहुत मात्रा में सदैव रहता है,
मगर वर्तमान समय में अचानक भारी परिवर्तन हो जाने के कारण पीढ़ियों में टकराव की परिस्थितियाँ अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली  बन गई है ,जिसमें संघर्ष को और अधिक बल मिला है ।

युवा जीने की क्षमता तो रखता है,लेकिन अनुभव नहीं रखता या बुजुर्गो से कम,

बुजुर्ग अनुभव रखते है ,लेकिन जीने की जोश की क्षमता खो
गई होती है ,ऊर्जा खो गई होती है ।

जरुरत है कि दोनों मिल जाएँ ।

जंगल में आग लगी है ,अगर अंधे और लंगड़े नहीं मिले तो खतरा भारी है ।

ना तो भौतिकवादी अकेला बच सकता है और ना ही  अध्यात्मवादी अकेला बच सकता है।

अतः समन्वय में ही सारी मनुष्यता का बचाव है ।

विजय बहुर्मुखी होता है , पराजय अंतर्मुखी ।
अतः हमें सशर्त आत्म -मंथन की जरूरत है।

No comments:

Post a Comment