Saturday 3 December 2011

::भावना गरीब है तो कुछ भी नहीं है हमारे पास::

एक दिन एक पिता और उसका आमिर परिवार कुछ खास उदेश्य के साथ भ्रमण के लिए गए | वोह अपने बेटे को दिखाना चाहते कि गरीब लोग कैसे रहते है | इसके लिए वोह एक दिन और एक रात एक बहुत ही गरीब के घर रहे जो खेत में था | जब वोह सब यात्रा से वापस आये अपने घर तो पिता ने अपने बेटे से पूछा " यात्रा कैसी रही बेटा " .. बेटे ने कहा " बहुत ही अच्छी रही पिताजी " .. तुमने देखा गरीब लोग किस तरह से रहते है ? पिता ने पूछा .. "हाँ पिताजी " बेटे ने कहा | तो बेटा तुमने उनसे क्या सीखा | बेटे ने कहा -पिताजी मैंने देखा  है कि हमारे पास एक कुत्ता है इनके पास ४ है | हमारा एक छोटा बगीचा है इनके खेत हमारे बगीचों से भी अच्छे है | हमारे बगीचे में एक आयातित बल्ब लगा है रौशनी के लिए पर इनके पास सितारों की रौशनी है , हमारा आंगन उस यार्ड तक सिमित है पर उनका पूरा वह एरिया , हम सब्जी बाज़ार से खरीदते है , वह खुद सब्जी की पैदावार करते है | दूध ,पानी भी हम मोल लेते है पर उनको यह सब खरीदने की जरुरत नहीं | वह गरीब भले ही हो पर हर वस्तु से तृप्त है खुश है  पर हम नहीं ,,, हमको जितना है उससे ज्यादा पाने का लालच है |छोटे लड़के ने अपनी बाते समाप्त की | लड़के के पिता अवाक् थे | लड़के ने उसके पिता से कहा " धन्यवाद् पिताजी कि अपने मुझे दिखाया  " कितने गरीब है हम  | क्या यह सही नहीं कि यह सब हमारे देखने के नज़रिए पर निर्भर करता है ? यदि हम परिवार ,हेल्थ ,अच्छे स्वाभाव , दोस्ती ,प्यार और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया रखते है तो हमको सब कुछ मिल गया समझो | हम यह सब खरीद नहीं सकते | हम हमारे भविष्य के लिए हर कोई वस्तु सामग्री या सम्पति अनेको की कल्पना कर सकते है पर अगर हमारी भावना गरीब है तो हमारे पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं है 
:- राजू सीरवी (राठौड़)

No comments:

Post a Comment