Monday 5 December 2011

::खुद की दृष्टि बदलो ,दुनिया को नहीं::

एक अमीर व्यक्ति अपनी आँखों के गंभीर दर्द से बहुत परेशान था | उसने कई डॉक्टरो से इलाज लिया पर सब बेअसर रहा | डॉक्टर की बताई दवाई लेता रहा , सैकड़ो इंजेक्शन लगवाता रहा , पर उसकी आँखों के दर्द से निजात मिलना तो दूर उल्टा दर्द और भी ज्यादा होने लगा | आखिर में वह अमीर व्यक्ति  एक साधू से मिला जो ऐसे रोगियों के उपचार के लिए विशेषज्ञ माना जाता है | उसने अपनी समस्या साधू को बताई | साधू ने उस अमीर व्यक्ति की उसकी समस्या को समझा और कहा कि कुछ समय के लिए वह केवल हरे रंग पर अपना ध्यान केन्द्रित करे , किसी और रंग पर बिलकुल धयन न दे | अमीर व्यक्ति ने  एक साथ  बहुत से बैरल हरा रंग माँगा लिया और हर वस्ति जिस पर उसकी आँख पड़ती उसे हरे रंग में रंगवा देता , जैसा कि कि सदु ने कहा कि वोह सिर्फ और सिर्फ हरे रंग पर देखे | जब साधू कुछ दिनों बाद यात्रा से वापस उसके पास आये तो उस अमीर के नौकर ने हरे रंग कि बाल्टी को साधू पर डाल दिया ताकि मालिक के पास जाये तो मालिक को साधू भी हरा रंग का ही दिखे नहीं तो मालिक कि आंखे फिर दर्द करने लगेगी | साधू ने अमीर के नौकर को फटकारा कि यह क्या किया ! नौकर ने कहा " मालिक कि आज्ञा का पालन कर रहे है , मालिक ने कहा जिस वास्तु पर उनकी नज़र पड़े उसे हरे रंग से रंग दिया जाये | साधू को हंसी आ गयी | साधू उस अमीर व्यक्ति के पास गए और हंस कर कहा आप इतने रंग रोगन का खर्चा करने के बजाय कोई सस्ता हरे रंग का चश्मा ला सकते थे ,, इन दीवारों ,पेड़ो , बर्तनों और अन्य सभी वस्तुओ  को हरा करने कि जरुरत भी कहा थी ! अगर अपने अपने dimag से सोच समझ कर काम किया होता तो आपका इतना बड़ा खर्चा बच सकता था |
आप पूरी दुनिया को हरे रंग से नहीं  पुतवा सकते | हमें अपनी दृष्टि को बदलना है दुनिया देखने के लिए न कि दुनिया को बदलना अपनी दृष्टि को दिखाने के लिए | 
:- राजू सीरवी (राठौड़)

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