Thursday 8 December 2011

::मैं मुस्कान हूँ::

होंठो से है नाता मेरा ,हर ख़ुशी में झलकती हूँ
चाहे जो मुझको पाना , मैं उनके साथ रहना चाहती हूँ
दुआओं में सबकी ,मैं पहचान अपनी देखती हूँ
लबों पर सज के मैं पहचान ख़ुशी की जताती हूँ
मायूसी जब छा जाये,तो पल भर के लिए गुमनाम हो जाती हूँ 
पर क्षण भर की ख़ुशी में फिर से महक जाती हूँ
गरीब हो या अमीर सब की मैं चहेती हूँ
हिन्दू हो या मुस्लिम,जाति मैं ना देखती हूँ 
मुस्कान हूँ मैं सब को खुश रखना चाहती हूँ
पर एक दुसरे से बैर जो रखते ,तो मैं मायूस होकर चली जाती हूँ
:- राजू सीरवी (राठौड़)

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