Sunday 4 December 2011

::आज मौसम बहुत अच्छा है पर मैं देख नहीं सकता::

अक्सर हम विकलांग और अपंग लोगो को उपेक्षित करते या उनको नज़र अंदाज़ कर देते है | उनकी हम सहायता तो करते या नहीं भी पर उनके लिए सकारात्मक काम करने से कतराते है | हा अपनी पेट पूजा के लिए वो लोग कई जतन करते है ,पर कुछ ऐसे भी होते जो पेट की भूख मिटने में भी शक्षम नहीं हो सकते | एक लड़का जिसकी आँखों की रोशनी नहीं है , वोह सड़क के किनारे कटोरा लिए और हाथ में एक ठप्पे पर लिखवाया कि " अँधा हूँ मेरी सहायता करो " अक्सर लोग उनके कटोरे में कुछ सिक्के जरुर दल देते है | वोह सड़क किनारे हाथ में वो ठप्पा लिए बेठा, कुछ लोगो ने उसके कटोरे में कुछ सिक्के डाले , एक व्यक्ति उधर से गुजर रहा था उसने उस लड़के को देखा और उसके हाथ में उस ठप्पे को भी जिस पर लिखा " अँधा हूँ मेरी सहायता करो " उस व्यक्ति ने ने भी उसके कटोरे में सिक्का तो डाला पर उसने उस लड़के से वोह ठप्पा लेकर ठप्पे के दूसरी तरफ कुछ लिख कर चला गया | शाम के वक्त जब वोह व्यक्ति वापस उस लड़के के पास आया तो उसने देखा उसके कटोरे में बहुत से सिक्के थे | उस व्यक्ति ने लड़के के पास बैठ कर कहा " आज तो तुम्हारे पास बहुत से सिक्के हो गए | लड़के ने कहा " श्रीमान क्या अपने ही सुबह में मेरे ठप्पे पर कुछ बदलाव किया जिसकी वजह से मुझे आज इतने सिक्के मिले | हाँ बेटा " उस व्यक्ति ने कहा | आपके क्या लिखा -लड़के ने पूछा | तुम्हारे और मेरे लिखने का मकसद एक ही है पर नजरिया अलग है , तुमने लिखा " अँधा हूँ मेरी सहायता करो " और मैंने लिखा " आज मौसम बहुत अच्छा है पर मैं देख नहीं सकता " | इस कहानी से मेरा मकसद यही है कि हमको किसी विकलांग या अपंग की उपेक्षा के बजाय सहायता निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए | पर उसमे बहुत से ठगी भी होते जैसे " कोहू राम नाम जपे कोहू रात धुणी तपे कोहू राम के नाम पर ठगे सारी दुनिया को | तो ऐसो को सबक भी सिखाना चाहिए | 

:-राजू सीरवी (राठौड़)

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