Friday 6 April 2012

सोने पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने और गैर ब्रांडेड आभूषणों पर उत्पादन शुल्क लगाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सर्राफा व्‍यापारियों की हड़ताल वापस ले ली है.

व्‍यापारियों ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करने के बाद यह कदम उठाया.

सर्राफा व्‍यापारियों ने सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान मांग की कि बढ़ी एक्‍साइज ड्यूटी को वापस लेने का लिखित आश्‍वासन दिया जाए.


यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि स्वर्णकार इतने दिनों से हड़ताल पर है जिससे सरकार को भी तकरीबन ५०० करोड़ तक का राजस्व नुकसान भी हुआ है ,पर वित् मंत्री ने इतने दिनों से हड़ताली व्यापारियों कि तरफ ध्यान ही नहीं दिया .. आखिर में जब सोनिया गाँधी से गुहार करने के बाद इस मामले पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है

देश की जनता की बात देश में जन्मे मंत्री नहीं समझ सकते और जनता की गुहार की तरफ ध्यान ही नहीं दिया जाता , तो आज स्थिति ऐसी हो गई की विदेश की महिला देश में बहु बन कर देश की राजनीती में आकर अपना रुतबा ऐसा जमा देती कि देश में जन्मे राजनितिक तो क्या प्रधानमंत्री और सरकार का पूरा मंत्री मंडल उनके आदेश के बिना कोई निर्णय नहीं ले रहा है .

यह बात कहना गलत नहीं होगा कि भारत के लोगो को गुलामी सहने की आदत हो गई है , वर्तमान सरकार के मंत्री अपने फायदे के लिए एक विदेशी महिला के गुलाम बन बैठे और आम जन तो बिना स्वार्थ के ही इस सरकार के गुलाम बने हुए है

अन्ना आन्दोलन करते है तो उनका साथ देने उतर जायेंगे ,बाबा रामदेव रैली करते तो साथ नारे लगा देंगे पर कोई अन्ना नहीं बनाना चाहता कोई रामदेव नहीं बनाना चाहता .

दोस्तों अपने हक़ के लिए अपने को ही लड़ना है ,अन्ना सेनापति है ,बाबा रामदेव सेनापति है पर सैनिक तो हम ही है ना , सैनिक के बिना सेनापति का क्या काम ... अगर देश का जवान यह सोचकर रहे की जब सेनापति आयेगा तब ही हम दुश्मन से लड़ेंगे तब तक नहीं तो क्या हमारा देश सुरक्षित रहेगा , क्या वो जवान मारा नहीं जायेगा सेनापति के इंतजार में ..
देश के सैनिक खुद बनो खुद के लिए खुद लड़ो

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