Tuesday 3 July 2012

हमने देखा है जो भी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठता है उसके साथ एक अपराधी जैसा सुलूक होता है ॥
जो मीडिया एक समय जनता की आवाज़ बन कर अन्याय के विरुद्ध हुआ करता था आज वही मीडिया अन्याय के दलदल में है ,बिकाऊ मीडिया  ईमानदार पत्रकारो को अपराधी ठहरा देता है ,
यह तो वही हुआ "जिसकी लाठी उसकी भैस " जिसके पास ताकत है वो कुछ भी कर सकता है ।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कही जाने वाली पत्रकारिता आज अपना ही आस्तित्व  खो रही है ।
कभी मीडिया का नाम आते ही लोगो के जहाँ में क्रांति, विस्फोट, तख्तापलट, परिवर्तन, जागरूकता जैसे शब्द लोगो के जहन में आने लगते थे आज मीडिया में स्टिंग आपरेशन, पेड़ न्यूज़ , टी आर पी, जैसे शब्द जुड़ गए है आज की मीडिया का रूप मिशन से बदल कर प्रोफेसन हो गया है
 भारतीय मीडिया का पहला दूसरा और तीसरा दौर कफ्ही सराहनीय रहा है लेकिन वर्तमान में मीडिया की स्थिति अपनी वास्तविकता से दूर होती जा रही है
पैसा कमाने की होड़ में पत्रकारों और मीडिया घरानों के बीच बढती गलाकाट प्रतिस्पर्धा, न्यूज़ वैल्यू के नाम पर नंगापन परोसने की प्रवत्ति से भी आज लोग अनजान नहीं है. इसलिए जनता का विश्वास धीरे धीरे मीडिया से उठता जा रहा है
आज जिस तरीके से मीडिया अपना काम करता ,उसे देख हर कोई यह अनुमान लगा सकता कि कितनी ईमानदारी से काम कर रहे है मीडिया के लोग ,
आज बेईमान मीडिया की संख्या ज्यादा होने की वजह से ईमानदार पत्रकार को कुचल दिया जाता है ॥
बेहद शर्मनाक है .....
झारखंड के राजनामा खबर पोर्टल  के संचालक मुकेश भारतीय को झूठे आरोपो में फंसाकर जेल भेज दिया । 
भड़ास 4  मीडिया 
नाम ही काफी है , यह एक न्यूज़ पोर्टल है जिसके संस्थापक यशवंत सिंह है । निडर और साहसी इस पत्रकार के साथ भी वही हुआ जो अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाते है
यशवंत सिंह को झूठे आरोपो में फंसाकर गिरफ्तार कर लिया गया ।
यशवंत ने बड़ा गुनाह किया है। उन्‍होंने मगरूर मीडिया को आईना दिखाने का कम किया है। वो लोग जो नये पत्रकारों को बलि का बकरा मान बैठ थे, यशवंत उन बेचारो की आवाज़ बन गये... यही गुनाह है यशवंत का। यशवंत यक़ीनन गुनाहगार हैं..वो गुनाहगार हैं ..उन सब लोगों के लिए जो मीडिया में भडुयागिरी और चापलूसी के बल पर कुर्सियों पर पैर जमाय बैठे हैं। यशवंत गुनहगार हैं उन लोगों के.. जिनके खिलाफ कोई भी आवाज़ नहीं उठा सकता था ..लेकिन यशवंत ने उनकी पोल सरे आम खोल दी।
मीडिया लगभग कुछ लोगो को छोड़कर सभी पत्रकारिता को माध्यम बना कर सिर्फ अपना विकास करने में लगे हुए है
आखिर ये लोग ऐसी कौन सी पत्रकारिता करते है
भारत के न्यूज़ चैनल्स का जो अपने साथ "नेशनल न्यूज़ चैनल" का टैग लगाते हैं। न्यूज़ का सामान्य अर्थ इस तरह से लिया जा सकता है- नॉर्थ+ईस्ट+वेस्ट+साउथ की खबरों का प्रसारण! पर कौन सा ऐसा चैनल है जो इस परिभाषा के करीब भी है?
 गौर से देखा जाए तो शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रति व्यक्ति इनकम,  जागरूकता, रोजगार, क़ानून व्यवस्था, सरकारी योजनाओं के क्रियान्यवन के लिहाज़ से ,  दिल्ली-मुंबई और एन.सी.आर. और कुछ अन्य महानगरों में व्यवस्थाएं काफी हद तक संतोषजनक हैं! भारत के दूसरे हिस्से काफी पिछड़े हैं और कई आधुनिक सुविधाओं से वंचित हैं (न यकीं हो तो इन हिस्सों के सरकारी स्कूल , ऑफिस और अस्पतालों का मुआयना कर आइये) ! पर "नेशनल न्यूज़" का टैग लगाया मीडिया वहाँ तक पहुँच ही नहीं पा रहा ! माली या टाली हालत के चलते !
 अगर आप को लगता है कि आप ऐसे लोग हमारे आने वाली पीढियों के लिए आदर्श न बने तो अपने विचारो से हमें जरुर अवगत कराये

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