Monday 12 March 2012

रब ! मेरे वतन को  लगी है किसकी छाया  , 
एकता और सर्वधर्म का प्रतीक रहा 
फिर क्यूँ वक़्त ने इस पर जुल्म ढाया , 
आए पुर्तगाली ,फ्रांसीसी और अंग्रेज़ भी आया 
मेहमान जानकर भारत माँ ने इनको भी अपनाया 
सदभाव और प्रेम से रहने वालों में 
क्यूँ ईष्या और नफरत का खेल रचाया ,
रहा हो हमेशा जो परिपूर्ण और सुखमय 
क्यूँ उनमे भ्रष्टाचारी और बेईमानी  को पनपाया , 
बेईमानो को नरभक्षी बनाकर तू जरा भी न घबराया , 
ईमानदार को मरते देख तू तनिक भी ना शरमाया 
आते है सब तेरे दर ,कोई मांगे औरों की खुशी तो कोई मांगे माया 
मैं भला क्या चहु तुझसे , दे सबको हिम्मत इतनी 
कि कर सके बेईमानी ,भ्रष्टाचार का सफाया । 


No comments:

Post a Comment