Sunday 18 March 2012

नन्ही सी कोमल काली 
रुई के फाहे सी सफ़ेद 
घने काले केशों के संग 
मानो श्याम मेघो के 
बीच चंदा ,रहा चमक 
इन्द्रधनुषी आभा सी दमकती 
मेरे आँगन में चमकती 

नयनों की डिबिया को 
झप-झप झपकाती 
कस के बंद 
गुलाबी मुट्ठियों को 
हिलती डुलती 
अलि सी गुनगुन में 
गुनगुनाती -इठलाती 

हमारी दुलारी है तू 
चाँद सी प्यारी है तू 
रौशन होगा तुमसे ही 
अपने घर का हर कोना 
हर त्योहार में तू ही 
रचेगी बसेगी 
तेरी किलकारी से 
हमारी दुनिया सजेगी 
जब-जब तू खिलखिलाएगी 
भतीजी ! हमारी दुनिया जगमगाएगी 
 "प्यारी पवित्रा हमारी "

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