Sunday 25 March 2012

समय के कुछ पल भले ही बुरे हो
पर समय हर वक़्त गद्दार नहीं 

सूरज समा जाए चाँद की आग़ोश में
पर चाँद की चाँदनी बेकार नहीं


सुख-दुख तो ज़िंदगी का हिस्सा है 
पर इसके बिना ज़िंदगी का सार नहीं

पाना है लक्ष्य को, हो चाहे लाखो मुश्किले 
तान कर सीना बढ़ जा आगे कि मानेगा तू हार नहीं 

रूठे को मना दे ,दुश्मन को भी यार बना दे
उन मधुर अल्फ़ाज़ों से तेज तलवार की धार नहीं

सुख दुख के हर पालो में हाथ जो थामे रहे 
भटके को पथ दिखाये  उससे बड़ा कोई यार नहीं

जगत की सारी खुशियाँ माँ के चरणों में है
माँ की ममता से बढ़कर कोई प्यार नहीं

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