Thursday 27 October 2011

::स्नेह मिलन::


हमारा मोहल्ला इतना सुन्दर और मानवता की एक मिशाल है ! जहा जात  पांत के नाम की कोई चीज़ ही नहीं !  हिन्दू भी रहते ,मुस्लिम भी है ,जैन परिवारों के कुछ घर ,तो हरमिंदर सोडी और जसप्रीत चाची और कोमल (जॉब करती है यही पर तो हमारे मोहल्ले में ही रहती है ) भी रहते है !
सच में वाकई इतना अच माहोल रहता हमारे मोहल्ले का कि जो भी हमारे मोहल्ले में आये ,उनका मन भी करता कि काश वोह भी इस अनूठे परिवार का हिस्सा होते ! कितनी खुशिया है इस मोहल्ले में है यह हर वह व्यक्ति   जनता जो इंसानियत के मायने जानता हो !
हम सब अलग अलग गाँव,शहर से है पर हमारा भाईचारा और नाता ऐसा है कि कोई भूल कर भी न कहे कि हम सब एक नहीं या एक ही गाँव के नहीं ! हर ख़ुशी में सब सामिल होते है ,तो हर गम को को भी सब साथ में झेलते है !
कल दीपावली है , हमारे मोहल्ले में सब को दीपावली के बेसब्री से इंतजार था ! सब अपने अपने घर कि सफाई कर रहे थे ! मैं तो सबसे पहले सफाई का काम निपटा लेता हूँ ,
जसप्रीत चाची ने आवाज़ दी" बेटा राजू थोड़ी मदद करेगा मेरी "
अरे जस्सू चाची (मैं जसप्रीत चाची को जस्सू चाची ही कहता हूँ ) मदद कहोगे तो मैं कोई मदद नहीं कर सकता ,क्यों कि इन्सान जब मदद का आदि हो जाये तो ज़िन्दगी सिर्फ मदद कि मोहताज़ हो जाती है ,जहा तक जितना हो सके अपना काम मदद लेकर करने कि बजाय खुद करो(कोमल मेरी बाते सुन कर मंद मंद मुस्कुरा रही और थोड़ी गुस्साई सी पर अपनापन था गुस्से में भी ) ,और रही बात आपके काम की तो मुझे अपनों का काम करने में क्या दिक्कत हो सकती !(जस्सू चाची की उम्र हो चुकी तो थोड़ी तकलीफ तो होती ही है )
जस्सू चाची :-चल ठीक है मदद न सही मेरे लिए ही सही ,,, वैसे भी तेरे चाचा और पूनम ( पूनम चाची की बेटी ,पूनम और चाचा जी की एक दुर्घटना में मौत हो गयी ) के जाने के बात मेरा परिवार यह अपना मोहल्ला और बेटा तूं  ही तो है !
मैं चाची के हर काम करता और हर जरुरत पूरी करता ,वैसे चाची जी की आर्मी की नौकरी थी तो चाची को उनकी पेंसन मिलती है. कभी अकेला महसूस होता है तो मैं अक्सर चाची के पास जाकर वक़्त बिताया करता हूँ !
हरमिंदर :- के हाल है राजू प्राजी ?
सब बढ़िया है हरमिंदर भाई ,बस कल दिवाली है तो साफ सफाई का काम तो हो ही गया और चाची को थोडा काम है तो लग गया हूँ यहाँ ,, और तुम बताओ हरमिंदर हो गयी सब तैयारियां दिवाली की ,और भाभी जी क्या स्पेशल बना रहे है दिवाली पर ?
हरमिंदर:- हां राजू सब तैयारियां हो गयी और स्पेशल तो तुम ही पूछलो अपनी भाभी से ( हंस कर बोला ) चल भाई मैं बाज़ार जाकर कुछ सामान और पठाखे ले आता हूँ !
अच्छा सोडी ! तभी इब्राहीम चाचा और कोमल दोनों साथ में आए" कहा चल दिए इब्राहीम चाचा "
अरे बेटा दिवाली है कल तो बाज़ार जाकर कुछ मिठाई ,पठाखे ले आता हूँ ,नहीं तो तेरी चाची और बच्चे मुझे चैन से कहा बैठने देंगे (मुस्कुराकर इब्राहीम चाचा भी बाज़ार गए )
और कोमल आप ?:मैंने पूछा
मैं भी मार्केट ही जा रही हूँ सोचा बाज़ार भी कर लुंगी और चाचा की हेल्प भी हो जाएगी (मुझे जलने के लिए )
मेरे साथ चलियेगा कोमल जी बाइक पर जाकर जल्दी आ जायेंगे.:मैंने कहा
नहीं आप चाची का काम कीजिये और मैं हो आती हूँ मार्केट और चाचा के साथ रहूंगी तो चाचा को भी कोई तकलीफ नहीं होगी !आप आराम से अकेले ही जाइएगा मार्केट :कोमल ने कहा
वैसे कोमल के मन में सबके लिए बहुत सम्मान है
जस्सू चाची आपका काम हो गया मैं भी मार्केट हो आता हूँ कुछ सामान लाना है आपको भी कुछ मांगना है तो कहिये ला देता हूँ !
यह ले पैसे और कुछ मिठाई ले आना :जस्सू चाची ने कहा ,
मैंने मार्केट जाकर पूजा की सामग्री और मिठाइय ले आया ...
रात भर सब जाने दिवाली की तैयारियों में जुटे हुवे थे ! सुबह होते ही सब घरो में मिठाइय और पकवान बन रहे थे ! मोहल्ला पकवान की खुशबु से नहाया हुआ और इतना सुन्दर दिख रहा मनो राम जी की अयोध्या यही पर बसी हुई है ! शाम होते होते सब तैयार हो गए , सब मोहल्ले वाले नए वस्त्र पहने और सबके चहरे खिलखिलाए हुवे ,,कोमल भी आज चौदवी का चाँद सी लग रही थी ,बहुत सुन्दर नज़ारा था ,, दीपो की रौशनी से मोहल्ला चकम रहा था ,इब्राहीम चाचा के बच्चो ने रंगोली बहुत सुन्दर बनायीं मोहल्ले के प्रांगण में ! शाम को एक एक करके सब जानो के घर पूजा हो गयी ,इब्राहीम चाचा ,सोडी और जस्सू चाची सब की पूजा में शामिल हुवे ! पूजा के बाद हम सबने बहुत खुशिया मनाई पठाखे फोड़े मिठाई खिलाकर सबका मुह मीठा किया ! उसी मिठाई की तरह हमारे रिस्तो की मिठास भी हमेशा बनी रहे यही हमसब ने प्रार्थना की माँ लक्ष्मी जी से ! इब्राहीम चाचा का चेहरा तो इतना खुश की मानो मोहल्ले की रौशनी इनकी ख़ुशी से ही हुई हो ... जस्सू चाची भी चाचा को और पूनम का गम तो भुला नहीं सकती पर हम सब का प्यार और अपनापन चाची को गम में खो जाने का मौका तक नहीं देता ! आखिर हमारे लिए सब की खुशियों में ही अपनी ख़ुशी है ! भाईचारा ही हमारा मजहब और मानवता ही हमारा ईमान है !
पूरी रात जश्न मनाया ... सुबह हुई पर हमारे मोहल्ले का जश्न अभी भी जोरो से हो रहा था ,,लोगो का आना शुरू हुआ स्नेह मिलन के लिए लोग आ रहे थे और सब के होंठो पर एक ही बात  "भाई परिवार हो तो आपके जैसा ,पूरा मोहला एक परिवार की तरह "
मैं और कोमल बाते कर रहे कि हमारा जश्न तो सालभर ऐसे ही चलता रहे  आज दिवाली हो गयी थोड़े दिन बाद ईद और गुरुनानक जयंती भी आएगी तो फिर क्रिशमस भी है... हमारा स्नेह मिलन ऐसे ही हमेशा होता ही रहेगा !   नज़र न लगे हमारे परिवार को
राजू सीरवी (राठौड़) 

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