Saturday 22 October 2011

::मेरे साथी ओ मेरे साथी::


मेरे साथी ओ मेरे साथी
क्यूँ मुझसे प्यार किया ,क्यूँ दिल को तन्हा किया
अगर छोड़ना था मझधार में तो क्यूँ हाथ थम लिया
कैसे चले इस राह पर तु मुझको अब दे बता
कैसे जीये यह ज़िन्दगी ,कुछ तो मुझे समझा
मेरे साथी ओ मेरे साथी

हद से ज्यादा चाह तुझे ज़िन्दगी तेरे नाम कर दी
ख्वाबों में बस तुझको देखा , हर साँस तेरे नाम लिख दी
बंदिसे थी ज़माने की , ठुकरा कर सब अपनाया तुझे
जा न मुझसे दूर ,यह भी समझाया तुझे
मेरे साथी ओ मेरे साथी


सोचा था सब हासिल हो गया ,जो तुझे पा लिया
यह भूल थी मेरी ,न जाना मैंने इतना दर्द भी मिलेगा
आँखों से आंसू न रुकते ,दिल तडपता ही जाये
क्यूँ गए हो दूर मुझसे ,दिल यह बार बार पुकारे
मेरे साथी ओ मेरे साथी
क्यूँ मुझसे प्यार किया ,क्यूँ दिल को तन्हा किया
अगर छोड़ना था मझधार में तो क्यूँ हाथ थम लिया
कैसे चले इस राह पर तु मुझको अब दे बता
कैसे जीये यह ज़िन्दगी ,कुछ तो मुझे समझा
मेरे साथी ओ मेरे साथी
:- राजू सीरवी (राठौड़)

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