Saturday 29 October 2011

::हिम्मत न हरो::


जब कोई काम बिगड़ जाए ,
जैसे की कभी कभी होता है ,
जब रास्ता सिर्फ चढ़ाई का ही दिखता हो,
जब पैसे कम और क़र्ज़ ज्यादा हो ,
जब मुस्कराहट की इच्छा आ बने ,
जब चिंताएं दबा रही हो ,
तो सुस्ता लो ,लेकिन हिम्मत न हारो ,
भूल भुलैया है ये जीवन ,
पगडंडियाँ जिसकी हमें पार करनी है ,
कई असफल तब लौट गए ,
पार हो गए जो आगे बढ़ते गए ,
धीमी रफ़्तार तो क्या ,
मंजिल को एक दिन पाओगे ,
सफलता छिपी असफलता में ही ,
जैसे शंका के बदल में आशा की चमक ,
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी ,
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो ,
डटे रहो चाहे कितनी भी मुस्किल हो ,
चाहे हालात जितने भी बुरे हो ,
लेकिन हिम्मत न हारो ,डटे रहो !
:राजू सीरवी (राठौड़)

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