Saturday 22 October 2011

::मेरे साथी मेरे हमदम::


मेरे साथी मेरे हमदम ,मेरे साथी मेरे हमदम
जबसे देखा है तुझको ,मन मेरा बेगाना हुआ.....
मेरे साथी मेरे हमदम , मेरे साथी मेरे हमदम

पहली बार जब नज़रे मिली ,तो दिल धड़कन बढ़ी
हम कुछ नहीं कह सके , पर आँखे बयां कर गयी
नज़ारे झुका कर युही शर्मा कर
लबों पर थी मुस्कान भरी
मेरे साथी मेरे हमदम , मेरे साथी मेरे हमदम

एक मासूम सा चेहरा , जिस पर है दिल फ़िदा
राह मैं देखतां हूँ उनकी ,हो जाये उनका दीदार
ना जाने दिल क्यों ना समझे ,क्यों है इतना बेक़रार
अब बेगाना दिल यह पूछे ,क्यूँ  होता है प्यार
मेरे साथी मेरे हमदम ,मेरे साथी मेरे हमदम
जब से देखा है तुझको ,मन मेरा बेगाना हुआ
मेरे साथी मेरे हमदम
:-राजू सीरवी (राठौड़)

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