Saturday 22 October 2011

::आत्म सम्मान हमारी खुद की सोच है::


एक किसान ने अपने खेतों में लौकी बोई ! उसने बिना कुछ सोचे समझे एक छोटी सी लौकी को बेल समेत एक शीशे के जार में रख दिया !
फसल काटने के समय उसने देखा की जार में राखी लौकी केवल उतनी ही बड़ी हो सकी ,जितना बड़ा जार था ! जिस तरह लौकी उसे रोकने वाली हदों से अधिक नहीं बढ़ सकी , उसी तरह हम भी
अपनी सोच के दायरे से आगे नहीं बढ़ सकते , उस दायरे की हदे जो भी हो !
ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान के कुछ फायदे -
लोगो की भावनाओ और उनकीं उत्पादकता के बीच सीधा रिश्ता होता है ! ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान का  इज़हार अपने आप को ,दूसरों को,
तथा जायदाद , कानून ,माँ-बाप और देश को दी जाने वाली इज्ज़त से होता है ! इसका उल्टा भी उतना ही सही है !
ऊँचे दर्जे का आत्मसम्मान :
:-दृढ़ विश्वास पैदा करना है !
:-जिम्मेदारियां कबूल करने की इच्छा पैदा करना है !
:-आशावादी नजरिया बनाता है !
:-रिश्ते बेहतर बनाता है और ज़िन्दगी में परिपूर्णता लाता है !
:-दूसरो की जरूरतों के प्रति व्यक्ति को संवेदनशील बनाता है और देखभाल का नजरिया बनाता है !
:-व्यक्ति को खुद से प्रेरित और महत्वकांक्षी बनाता है !
:-आदमी की सोच में नए अवसरों और चुनौतियों को कबूल करने के लिए खुलापन लाता है !
:-कार्य करने की क्षमता और खतरे मोल लेने की योग्यता बढ़ता है !
:-आदमी की प्रशंसा और निंदा का लेनदेन चतुराई ,और सरलता के साथ करने में मदद देता है !
:-ऊँचे दर्जे के आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपनी साख गँवाने के बजाय व्यापर में घाटा उठा लेता है ,क्यों की वोह अपनी साख को अनमोल मानता है !

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